*आप सभी को अपने वास्तविक नववर्ष — हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.!!*
*हिंदुओं को जाति-आरक्षण के नाम पर बाँटो, मुस्लिमों को निकाह से हिजाब तक फ्री हैंड : ‘न्याय पत्र’ में लिपटकर आया कॉन्ग्रेस का ‘शरिया’, आपने पढ़ा क्या*
कॉन्ग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कुख्यात है। जिसके परिणामस्वरूप
पार्टी लगभग 52 सीटों पर सिमट गई है, किन्तु तुष्टिकरण छोड़ने को तैयार नहीं है। कॉन्ग्रेस ने शुक्रवार (5 अप्रैल 2024) को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया, जिसे न्याय पत्र नाम दिया है। इस न्याय पत्र में कॉन्ग्रेस समाज को तोड़ने वाले कई वादे किए हैं। कॉन्ग्रेस ने हाल ही में मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन कानून को रद्द करने, मुस्लिमों को पर्सनल लॉ को बनाए रखने और धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर कई तरह की छूट देने का संकेत अपनी घोषणा पत्र में दिया है। इसके अतिरिक्त, स्कूल-कॉलेजों में बुर्का-हिजाब को पहनने की अनुमति, भाषा और खानपान की स्वतंत्रता की बात कही है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/politics/loksabha-election-2024-congress-manifesto-nyay-patra-minority-muslim-appeasement/
कॉन्ग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कुख्यात है। जिसके परिणामस्वरूप
पार्टी लगभग 52 सीटों पर सिमट गई है, किन्तु तुष्टिकरण छोड़ने को तैयार नहीं है। कॉन्ग्रेस ने शुक्रवार (5 अप्रैल 2024) को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया, जिसे न्याय पत्र नाम दिया है। इस न्याय पत्र में कॉन्ग्रेस समाज को तोड़ने वाले कई वादे किए हैं। कॉन्ग्रेस ने हाल ही में मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन कानून को रद्द करने, मुस्लिमों को पर्सनल लॉ को बनाए रखने और धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर कई तरह की छूट देने का संकेत अपनी घोषणा पत्र में दिया है। इसके अतिरिक्त, स्कूल-कॉलेजों में बुर्का-हिजाब को पहनने की अनुमति, भाषा और खानपान की स्वतंत्रता की बात कही है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/politics/loksabha-election-2024-congress-manifesto-nyay-patra-minority-muslim-appeasement/
ऑपइंडिया
हिंदुओं को जाति-आरक्षण के नाम पर बाँटो, मुस्लिमों को निकाह से हिजाब तक फ्री हैंड: ‘न्याय पत्र’ में लिपटकर आया कॉन्ग्रेस का ‘शरिया’…
कॉन्ग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में मुस्लिम तुष्टिकरण की एक बार फिर सारी हदें पार कर दी हैं। पार्टी ने उनके पर्सनल कानून बनाए रखने की बात कही है।
*आत्मबोध🕉️🦁*
*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*
*दिवस :३०४/३५० (304/350)*
*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*सप्तदशऽध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग*
*अध्याय १७ श्लोक २० (17:20)*
*दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।*
*देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्विकं स्मृतम्॥*
*शब्दार्थ—*
(दातव्यम्) दान देना ही कर्तव्य है (इति) ऐसे भावसे (यत्) जो (दानम्) दान (देशे च काले) समय और स्थिति (च) और (पात्रेा) दान देने योग्य व्यक्ति के प्राप्त होने पर (अनुपकारिणे) उसके बदले में अपनी भलाई अर्थात् फल की इच्छा न रखते हुए (दीयते) दिया जाता है (तत्) वह (दानम्) दान (सात्त्विकम्) सात्विक (स्मृतम्) कहा गया है।
*अनुवाद—*
दान देना ही कर्तव्य है- ऐसे भाव से जो दान देश तथा काल (जिस देश-काल में जिस वस्तु का अभाव हो, वही देश-काल, उस वस्तु द्वारा प्राणियों की सेवा करने के लिए योग्य समझा जाता है।) और पात्र के (भूखे, अनाथ, दुःखी, रोगी और असमर्थ तथा भिक्षुक आदि तो अन्न, वस्त्र और ओषधि एवं जिस वस्तु का जिसके पास अभाव हो, उस वस्तु द्वारा सेवा करने के लिए योग्य पात्र समझे जाते हैं और श्रेष्ठ आचरणों वाले विद्वान् ब्राह्मणजन धनादि सब प्रकार के पदार्थों द्वारा सेवा करने के लिए योग्य पात्र समझे जाते हैं।) प्राप्त होने पर उपकार न करने वाले के प्रति दिया जाता है, वह दान सात्त्विक कहा गया है।
*अध्याय १७ श्लोक २१ (17:21)*
*यत्तु प्रत्युपकारार्थं फलमुद्दिश्य वा पुन:।*
*दीयते च परिक्लिष्टं तद्दानं राजसं स्मृतम्।।*
*शब्दार्थ—*
(तु) किंतु (यत्) जो दान (प्रत्युपकारार्थम्) बदले में लाभ के लिए (वा) अथवा (पुनः) फिर (फलम्) फलके (उद्दिश्य) उदे्श्य (दीयते) दिया जाता है (च) तथा (परिक्लिष्टम्) क्लेशपूर्वक अर्थात् न चाहते हुए पर्ची काटने पर दुःखी मन से दिया जाता है (तत्) वह (दानम्) दान (राजसम्) राजस (स्मृतम्) कहा गया है।
*अनुवाद—*
किन्तु जो दान क्लेशपूर्वक (जैसे प्रायः वर्तमान समय के चन्दे-चिट्ठे आदि में धन दिया जाता है।) तथा प्रत्युपकार के प्रयोजन से अथवा फल को दृष्टि में (अर्थात् मान बड़ाई, प्रतिष्ठा और स्वर्गादि की प्राप्ति के लिए अथवा रोगादि की निवृत्ति के लिए।) रखकर फिर दिया जाता है, वह दान राजस कहा गया है।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्विकं स्मृतम्॥*
*शब्दार्थ—*
(दातव्यम्) दान देना ही कर्तव्य है (इति) ऐसे भावसे (यत्) जो (दानम्) दान (देशे च काले) समय और स्थिति (च) और (पात्रेा) दान देने योग्य व्यक्ति के प्राप्त होने पर (अनुपकारिणे) उसके बदले में अपनी भलाई अर्थात् फल की इच्छा न रखते हुए (दीयते) दिया जाता है (तत्) वह (दानम्) दान (सात्त्विकम्) सात्विक (स्मृतम्) कहा गया है।
*अनुवाद—*
दान देना ही कर्तव्य है- ऐसे भाव से जो दान देश तथा काल (जिस देश-काल में जिस वस्तु का अभाव हो, वही देश-काल, उस वस्तु द्वारा प्राणियों की सेवा करने के लिए योग्य समझा जाता है।) और पात्र के (भूखे, अनाथ, दुःखी, रोगी और असमर्थ तथा भिक्षुक आदि तो अन्न, वस्त्र और ओषधि एवं जिस वस्तु का जिसके पास अभाव हो, उस वस्तु द्वारा सेवा करने के लिए योग्य पात्र समझे जाते हैं और श्रेष्ठ आचरणों वाले विद्वान् ब्राह्मणजन धनादि सब प्रकार के पदार्थों द्वारा सेवा करने के लिए योग्य पात्र समझे जाते हैं।) प्राप्त होने पर उपकार न करने वाले के प्रति दिया जाता है, वह दान सात्त्विक कहा गया है।
*अध्याय १७ श्लोक २१ (17:21)*
*यत्तु प्रत्युपकारार्थं फलमुद्दिश्य वा पुन:।*
*दीयते च परिक्लिष्टं तद्दानं राजसं स्मृतम्।।*
*शब्दार्थ—*
(तु) किंतु (यत्) जो दान (प्रत्युपकारार्थम्) बदले में लाभ के लिए (वा) अथवा (पुनः) फिर (फलम्) फलके (उद्दिश्य) उदे्श्य (दीयते) दिया जाता है (च) तथा (परिक्लिष्टम्) क्लेशपूर्वक अर्थात् न चाहते हुए पर्ची काटने पर दुःखी मन से दिया जाता है (तत्) वह (दानम्) दान (राजसम्) राजस (स्मृतम्) कहा गया है।
*अनुवाद—*
किन्तु जो दान क्लेशपूर्वक (जैसे प्रायः वर्तमान समय के चन्दे-चिट्ठे आदि में धन दिया जाता है।) तथा प्रत्युपकार के प्रयोजन से अथवा फल को दृष्टि में (अर्थात् मान बड़ाई, प्रतिष्ठा और स्वर्गादि की प्राप्ति के लिए अथवा रोगादि की निवृत्ति के लिए।) रखकर फिर दिया जाता है, वह दान राजस कहा गया है।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*आत्मबोध🕉️🚩*
*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेदानुसार, मनुष्य लोग परस्पर कैसे सत्कार करने वाले हों?*
*नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नमः पूर्वजाय चापरजाय च नमो मध्यमाय चापगल्भाय च नमो जघन्याय च बुध्न्याय च नमः सोम्याय॥*
*(यजुर्वेद - अध्याय 16; मन्त्र 32)*
*मन्त्रार्थ—*
हे मनुष्यों! तुम लोग (ज्येष्ठाय) अत्यन्त वृद्धों (च) और (कनिष्ठाय) अति बालकों को (नमः) सत्कार और अन्न (च) तथा (पूर्वजाय) ज्येष्ठभ्राता वा ब्राह्मण (च) और (अपरजाय) छोटे भाई वा नीच का (च) भी (नमः) सत्कार वा अन्न (मध्यमाय) बन्धु, क्षत्रिय वा वैश्य (च) और (अपगल्भाय) ढीठपन छोड़े हुए सरल स्वभाव वाले (च) इन सब का (नमः) सत्कार आदि (च) और (जघन्याय) नीचकर्मकर्त्ता शूद्र वा म्लेच्छ (च) तथा (बुध्न्याय) अन्तरिक्ष में हुए मेघ के तुल्य वर्त्तमान दाता पुरुष का (नमः) अन्नादि से सत्कार करो।
*व्याख्या—*
परस्पर मिलते समय सत्कार करना हो तब (नमस्ते) इस वाक्य का उच्चारण करके छोटे बड़ों, बड़े छोटों, नीच उत्तमों, उत्तम नीचों और क्षत्रियादि ब्राह्मणों वा ब्राह्मणादि क्षत्रियादिकों का निरन्तर सत्कार करें। सब लोग इसी वेदोक्त प्रमाण से सर्वत्र शिष्टाचार में इसी वाक्य का प्रयोग करके परस्पर एक-दूसरे का सत्कार करने से प्रसन्न होवें।
*हिन्दू एकता संघ द्वारा सनातन धर्म के मूल ग्रन्थ वेदों के कल्याणकारी मन्त्रों के प्रचार हेतु बनाए गए नए इंस्टाग्राम पेज @vedicdarshan से जुड़ें 👇🏻🕉️*
*वैदिक दर्शन - लिंक:*
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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेदानुसार, मनुष्य लोग परस्पर कैसे सत्कार करने वाले हों?*
*नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नमः पूर्वजाय चापरजाय च नमो मध्यमाय चापगल्भाय च नमो जघन्याय च बुध्न्याय च नमः सोम्याय॥*
*(यजुर्वेद - अध्याय 16; मन्त्र 32)*
*मन्त्रार्थ—*
हे मनुष्यों! तुम लोग (ज्येष्ठाय) अत्यन्त वृद्धों (च) और (कनिष्ठाय) अति बालकों को (नमः) सत्कार और अन्न (च) तथा (पूर्वजाय) ज्येष्ठभ्राता वा ब्राह्मण (च) और (अपरजाय) छोटे भाई वा नीच का (च) भी (नमः) सत्कार वा अन्न (मध्यमाय) बन्धु, क्षत्रिय वा वैश्य (च) और (अपगल्भाय) ढीठपन छोड़े हुए सरल स्वभाव वाले (च) इन सब का (नमः) सत्कार आदि (च) और (जघन्याय) नीचकर्मकर्त्ता शूद्र वा म्लेच्छ (च) तथा (बुध्न्याय) अन्तरिक्ष में हुए मेघ के तुल्य वर्त्तमान दाता पुरुष का (नमः) अन्नादि से सत्कार करो।
*व्याख्या—*
परस्पर मिलते समय सत्कार करना हो तब (नमस्ते) इस वाक्य का उच्चारण करके छोटे बड़ों, बड़े छोटों, नीच उत्तमों, उत्तम नीचों और क्षत्रियादि ब्राह्मणों वा ब्राह्मणादि क्षत्रियादिकों का निरन्तर सत्कार करें। सब लोग इसी वेदोक्त प्रमाण से सर्वत्र शिष्टाचार में इसी वाक्य का प्रयोग करके परस्पर एक-दूसरे का सत्कार करने से प्रसन्न होवें।
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*हुसैनी समोसा सेंटर में बीफ सप्लाई करने वाला इमरान कुरैशी गिरफ्तार, मीट एक्सपोर्ट कंपनी में कर चुका है काम : वडोदरा पुलिस ने घर से दबोचा*
गुजरात के वडोदरा में सोमवार (8 अप्रैल 2024) को समोसे में गोमांस भरकर बेचे जाने के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपित इमरान यूसुफ कुरैशी को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले पुलिस ने शनिवार (6 अप्रैल 2024) को 6 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। हालाँकि, इमरान फरार होने में कामयाब हो गया था। इस मामले में पुलिस ने कुल 7 आरोपितों के खिलाफ FIR दर्ज कर किया था।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/imran-supplies-beef-used-in-vadodara-based-huseni-samosa-center-caught-by-gujarat-police/
गुजरात के वडोदरा में सोमवार (8 अप्रैल 2024) को समोसे में गोमांस भरकर बेचे जाने के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपित इमरान यूसुफ कुरैशी को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले पुलिस ने शनिवार (6 अप्रैल 2024) को 6 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। हालाँकि, इमरान फरार होने में कामयाब हो गया था। इस मामले में पुलिस ने कुल 7 आरोपितों के खिलाफ FIR दर्ज कर किया था।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/imran-supplies-beef-used-in-vadodara-based-huseni-samosa-center-caught-by-gujarat-police/
ऑपइंडिया
हुसैनी समोसा सेंटर में बीफ सप्लाई करने वाला इमरान कुरैशी गिरफ्तार, मीट एक्सपोर्ट कंपनी में कर चुका है काम: वडोदरा पुलिस ने घर से…
वडोदरा में 'हुसैनी समोसा सेंटर' के समोसों में भरे जाने वाले गोमांस के सप्लायर इमरान को भी गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
*महिला वकील के कपड़े उतरवाए, 36 घंटे बिठा कर रखा, डार्क वेब पर अश्लील वीडियो बेचने की धमकी : CBI-पुलिस बन कर ठगा, ब्लैकमेल कर वसूले ₹11 लाख*
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से साइबर क्राइम का एक नया मामला सामने आया है। यहाँ एक महिला वकील को वीडियो कॉल कर के 36 घंटों तक कैमरे पर लाइव बिठाए रखा गया। इस दौरान उसके कपड़े तक उतरवा कर अश्लील वीडियो बनाए गई। वीडियो डार्क वेब पर बेचने की भी धमकी दी गई। महिला वकील को ब्लैकमेल कर के 15 लाख रुपए ठग लिए गए। आरोपितों ने खुद को मुंबई पुलिस और CBI का अधिकारी बताया था। घटना बुधवार (3 अप्रैल, 2024) की है। मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई गई है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/women-lawyers-clothes-taken-off-unclothed-girl-blackmail-cyber-fraud-camera-video-viral-threat-bengaluru/
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से साइबर क्राइम का एक नया मामला सामने आया है। यहाँ एक महिला वकील को वीडियो कॉल कर के 36 घंटों तक कैमरे पर लाइव बिठाए रखा गया। इस दौरान उसके कपड़े तक उतरवा कर अश्लील वीडियो बनाए गई। वीडियो डार्क वेब पर बेचने की भी धमकी दी गई। महिला वकील को ब्लैकमेल कर के 15 लाख रुपए ठग लिए गए। आरोपितों ने खुद को मुंबई पुलिस और CBI का अधिकारी बताया था। घटना बुधवार (3 अप्रैल, 2024) की है। मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई गई है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/women-lawyers-clothes-taken-off-unclothed-girl-blackmail-cyber-fraud-camera-video-viral-threat-bengaluru/
ऑपइंडिया
महिला वकील के कपड़े उतरवाए, 36 घंटे बिठा कर रखा, डार्क वेब पर अश्लील वीडियो बेचने की धमकी: CBI-पुलिस बन कर ठगा, ब्लैकमेल कर वसूले…
कॉलर ने पीड़िता से कहा कि बैंक के किसी स्टाफ ने उनका खाता मनी लॉन्ड्रिंग के लिए प्रयोग किया है। स्काइप से वीडियो कॉल करने के लिए कहा गया।
*फिल्म देखो, समीक्षा लिखो और समझो कैसे प्रेम के नाम पर फँसाते हैं : बच्चियों को लव जिहाद से बचाने के लिए ‘द केरल स्टोरी’ दिखा रहे चर्च*
लव जिहाद पर बनी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पिछले साल काफी विवादों में थी। इस्लामी-लिबरल लोग नहीं चाहते थे कि इसे पर्दे पर रिलीज किया जाए। कुछ नेताओं ने तो इसे प्रोपगेंडा तक कह दिया गया था। हालाँकि इस फिल्म का असर कितना व्यापक था इसे इस बात से समझ सकते हैं कि एक साल बाद भी ये प्रासंगिक है। हाल में केरल के ईसाई चर्चों द्वारा इस फिल्म की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया गया ताकि बच्चों को प्रेम के नाम पर होने वाले नुकसानों का पता चल सके।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल के सिरो मालाबार चर्च के इडुक्की सूबा ने इस फिल्म को 10वीं और 12वीं तक के बच्चों को दिखवाया। इस दौरान उन्हें लव जिहाद पर पुस्तिकाएँ भी वितरित कीं। साथ ही उनसे कहा गया कि वह इस फिल्म की समीक्षा लिखें कि कैसे ये फिल्म बाकी फिल्मों से अलग है। इसके अलावा इस पुस्तिका में ये भी जानकारी थी कि किस तरह से लड़कियों को प्रलोभन देकर फँसाया जाता है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/miscellaneous/others/idukki-thamarassry-diocese-of-syro-malabar-catholic-church-screened-the-kerala-story/
लव जिहाद पर बनी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पिछले साल काफी विवादों में थी। इस्लामी-लिबरल लोग नहीं चाहते थे कि इसे पर्दे पर रिलीज किया जाए। कुछ नेताओं ने तो इसे प्रोपगेंडा तक कह दिया गया था। हालाँकि इस फिल्म का असर कितना व्यापक था इसे इस बात से समझ सकते हैं कि एक साल बाद भी ये प्रासंगिक है। हाल में केरल के ईसाई चर्चों द्वारा इस फिल्म की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया गया ताकि बच्चों को प्रेम के नाम पर होने वाले नुकसानों का पता चल सके।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल के सिरो मालाबार चर्च के इडुक्की सूबा ने इस फिल्म को 10वीं और 12वीं तक के बच्चों को दिखवाया। इस दौरान उन्हें लव जिहाद पर पुस्तिकाएँ भी वितरित कीं। साथ ही उनसे कहा गया कि वह इस फिल्म की समीक्षा लिखें कि कैसे ये फिल्म बाकी फिल्मों से अलग है। इसके अलावा इस पुस्तिका में ये भी जानकारी थी कि किस तरह से लड़कियों को प्रलोभन देकर फँसाया जाता है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/miscellaneous/others/idukki-thamarassry-diocese-of-syro-malabar-catholic-church-screened-the-kerala-story/
ऑपइंडिया
फिल्म देखो, समीक्षा लिखो और समझो कैसे प्रेम के नाम पर फँसाते हैं: बच्चियों को लव जिहाद से बचाने के लिए ‘द केरल स्टोरी’ दिखा रहे…
द केरल स्टोरी फिल्म एक साल बाद भी प्रासंगिक है। केरल में ईसाई सूबे इस फिल्म की स्क्रीनिंग बच्चों में जागरुकता फैलाने के लिए करवा रहे हैं।
*एकता का गला रेता, समोसे में बीफ, कंडोम, पत्थर और गुटखा डाल कर खिलाया, आरफा खानम शेरवानी को दिक्कत – हमारे कौम वालों का नाम क्यों छापा? खुद हिन्दुओं को बताती हैं गुंडा*
मीडिया का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि किसी भी अपराध में अगर अपराधी मुस्लिम है तो उसकी पहचान छिपा ली जाए, किसी को उसका नाम या उसके मजहब के बारे में पता न चलने पाए। तभी तो मुस्लिमों द्वारा की जाने वाली हर हिंसा के बाद अपराधियों को ‘बेचारा’ साबित करने की कोशिश की जाती है और बताया जाता है कि आखिर वो ये सब करने को क्यों ‘मजबूर’ हुआ। इसी गिरोह की एक सदस्य हैं आरफा खानम शेरवानी नाम की, जो सोमोसे में कंडोम परोसने और हत्या जैसे मुद्दे पर अपराधियों की पहचान छिपाना चाहती हैं।
उदाहरण स्वरूप हमारे समक्ष दो घटनाएं हैं। पहली घटना है महाराष्ट्र के पुणे की जहाँ रहीम शेख, अजहर शेख, मजहर शेख, फिरोज शेख और विक्की शेख ने समोसे में गुटखा, पत्थर और कंडोम डाल कर लोगों को खिला दिया। दूसरी घटना है पंजाब के मोहाली की, जहाँ मुरादाबाद निवासी अनस कुरैशी ने अपनी प्रेमिका एकता की गला दबा कर हत्या कर दी। दोनों 4 वर्षों से रिलेशनशिप में थे।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/opinion/media-opinion/condoms-beef-stones-and-gutkha-in-samosa-hindu-girl-ekta-killed-by-anas-qureshi-arfa-khanum-sherwani-supports-muslim-criminals-pune-vadodara-mohali/
मीडिया का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि किसी भी अपराध में अगर अपराधी मुस्लिम है तो उसकी पहचान छिपा ली जाए, किसी को उसका नाम या उसके मजहब के बारे में पता न चलने पाए। तभी तो मुस्लिमों द्वारा की जाने वाली हर हिंसा के बाद अपराधियों को ‘बेचारा’ साबित करने की कोशिश की जाती है और बताया जाता है कि आखिर वो ये सब करने को क्यों ‘मजबूर’ हुआ। इसी गिरोह की एक सदस्य हैं आरफा खानम शेरवानी नाम की, जो सोमोसे में कंडोम परोसने और हत्या जैसे मुद्दे पर अपराधियों की पहचान छिपाना चाहती हैं।
उदाहरण स्वरूप हमारे समक्ष दो घटनाएं हैं। पहली घटना है महाराष्ट्र के पुणे की जहाँ रहीम शेख, अजहर शेख, मजहर शेख, फिरोज शेख और विक्की शेख ने समोसे में गुटखा, पत्थर और कंडोम डाल कर लोगों को खिला दिया। दूसरी घटना है पंजाब के मोहाली की, जहाँ मुरादाबाद निवासी अनस कुरैशी ने अपनी प्रेमिका एकता की गला दबा कर हत्या कर दी। दोनों 4 वर्षों से रिलेशनशिप में थे।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/opinion/media-opinion/condoms-beef-stones-and-gutkha-in-samosa-hindu-girl-ekta-killed-by-anas-qureshi-arfa-khanum-sherwani-supports-muslim-criminals-pune-vadodara-mohali/
ऑपइंडिया
एकता का गला रेता, समोसे में बीफ, कंडोम, पत्थर और गुटखा डाल कर खिलाया, आरफा खानम शेरवानी को दिक्कत – हमारे कौम वालों का नाम क्यों…
एकता नाम की जिस हिन्दू महिला का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया, उसके लिए आरफा के मन में कोई सहानुभूति नहीं है। दिक्कत खबर छापने वाले से है।
*‘₹5 लाख दो या मुस्लिम बनो’:: तालिब ने राकेश बनकर दलित लड़़की को फँसाया, रेप का अश्लील वीडियो बनाकर करने लगा ब्लैकमेल*
उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले से एक दलित लड़की के साथ लव जिहाद का मामला सामने आया है। यहाँ तालिब खाँ नाम के युवक ने अपना नाम राकेश रखकर पहले पीड़िता को प्यार के झाँसे में लिया, फिर उसके साथ बलात्कार किया। इस दौरान तालिब ने पीड़िता की अश्लील वीडियो बनाकर उस पर इस्लाम कबूलने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। आरोप है कि इस्लाम नहीं कबूलने की पर 22 साल के तालिब ने पीड़िता से 5 लाख रुपए की माँग की थी। आखिरकार इस मामले में तंग आकर लड़की ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तालिब के खिलाफ FIR दर्ज कर ली और रविवार (7 अप्रैल 2024) को उसे गिरफ्तार कर लिया।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/shahjahanpur-police-arrest-talib-for-raping-dalit-girl-using-hindu-name/
उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले से एक दलित लड़की के साथ लव जिहाद का मामला सामने आया है। यहाँ तालिब खाँ नाम के युवक ने अपना नाम राकेश रखकर पहले पीड़िता को प्यार के झाँसे में लिया, फिर उसके साथ बलात्कार किया। इस दौरान तालिब ने पीड़िता की अश्लील वीडियो बनाकर उस पर इस्लाम कबूलने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। आरोप है कि इस्लाम नहीं कबूलने की पर 22 साल के तालिब ने पीड़िता से 5 लाख रुपए की माँग की थी। आखिरकार इस मामले में तंग आकर लड़की ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तालिब के खिलाफ FIR दर्ज कर ली और रविवार (7 अप्रैल 2024) को उसे गिरफ्तार कर लिया।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/shahjahanpur-police-arrest-talib-for-raping-dalit-girl-using-hindu-name/
ऑपइंडिया
‘₹5 लाख दो या मुस्लिम बनो’: तालिब ने राकेश बनकर दलित लड़़की को फँसाया, रेप का अश्लील वीडियो बनाकर करने लगा ब्लैकमेल
UP के शाहजहाँपुर जिले में तालिब ने राकेश बनकर एक दलित लड़की से रेप किया और फिर अश्लील वीडियो बनाकर उस पर इस्लाम कबूलने का दबाव बनाने लगा।
*आत्मबोध🕉️🦁*
*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*
*दिवस :३०६/३५० (306/350)*
*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*सप्तदशऽध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग*
*अध्याय १७ श्लोक २४ (17:24)*
*तस्माद् ॐ इत्युदाहृत्य यज्ञदानतप:क्रिया:।*
*प्रवर्तन्ते विधानोक्ता: सततं ब्रह्मवादिनाम्॥*
*शब्दार्थ—*
(तस्मात्) इसलिये (ब्रह्मवादिनाम्) भगवान की स्तुति करनेवालों तथा (विधानोक्ताः) शास्त्राविधिसे नियत क्रियाऐं बताने वालों की (यज्ञदानतपःक्रियाः) यज्ञ, दान और तप व स्मरण क्रियाएँ (सततम्) सदा (ओम्) ‘ऊँ‘ (इति) इस नामको (उदाहृत्य) उच्चारण करके ही (प्रवर्तन्ते) आरम्भ होती हैं अर्थात् तीनों नामों के जाप में ओं से ही स्वांस द्वारा प्रारम्भ किया जाता है।
*अनुवाद—*
इसलिए वेद-मन्त्रों का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शास्त्र विधि से नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएँ सदा 'ॐ' इस परमात्मा के नाम को उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं।
*अध्याय १७ श्लोक २५ (17:25)*
*तदित्यनभिसन्धाय फलं यज्ञतप:क्रिया:।*
*दानक्रियाश्च विविधा: क्रियन्ते मोक्षकाङ्क्षिभि:।।*
*शब्दार्थ—*
(तत्) अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म के तत् मन्त्रा के जाप (इति) पर स्वांस इति अर्थात् अन्त होता है तथा (फलम्) फलको (अनभिसन्धाय) न चाहकर (विविधाः) नाना प्रकारकी (यज्ञतपःक्रियाः) यज्ञ, तपरूप क्रियाएँ (च) तथा (दानक्रियाः) दानरूप क्रियाएँ (मोक्षकाङ्क्षिभिः) कल्याण की इच्छावाले अर्थात् केवल जन्म-मृृत्यु से पूर्ण छुटकारा चाहने वाले पुरुषों द्वारा (क्रियन्ते) की जाती हैं।
*अनुवाद—*
तत् अर्थात् 'तत्' नाम से कहे जाने वाले परमात्मा का ही यह सब है- इस भाव से फल को न चाहकर नाना प्रकार के यज्ञ, तपरूप क्रियाएँ तथा दानरूप क्रियाएँ कल्याण की इच्छा वाले पुरुषों द्वारा की जाती हैं।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*सप्तदशऽध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग*
*अध्याय १७ श्लोक २४ (17:24)*
*तस्माद् ॐ इत्युदाहृत्य यज्ञदानतप:क्रिया:।*
*प्रवर्तन्ते विधानोक्ता: सततं ब्रह्मवादिनाम्॥*
*शब्दार्थ—*
(तस्मात्) इसलिये (ब्रह्मवादिनाम्) भगवान की स्तुति करनेवालों तथा (विधानोक्ताः) शास्त्राविधिसे नियत क्रियाऐं बताने वालों की (यज्ञदानतपःक्रियाः) यज्ञ, दान और तप व स्मरण क्रियाएँ (सततम्) सदा (ओम्) ‘ऊँ‘ (इति) इस नामको (उदाहृत्य) उच्चारण करके ही (प्रवर्तन्ते) आरम्भ होती हैं अर्थात् तीनों नामों के जाप में ओं से ही स्वांस द्वारा प्रारम्भ किया जाता है।
*अनुवाद—*
इसलिए वेद-मन्त्रों का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शास्त्र विधि से नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएँ सदा 'ॐ' इस परमात्मा के नाम को उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं।
*अध्याय १७ श्लोक २५ (17:25)*
*तदित्यनभिसन्धाय फलं यज्ञतप:क्रिया:।*
*दानक्रियाश्च विविधा: क्रियन्ते मोक्षकाङ्क्षिभि:।।*
*शब्दार्थ—*
(तत्) अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म के तत् मन्त्रा के जाप (इति) पर स्वांस इति अर्थात् अन्त होता है तथा (फलम्) फलको (अनभिसन्धाय) न चाहकर (विविधाः) नाना प्रकारकी (यज्ञतपःक्रियाः) यज्ञ, तपरूप क्रियाएँ (च) तथा (दानक्रियाः) दानरूप क्रियाएँ (मोक्षकाङ्क्षिभिः) कल्याण की इच्छावाले अर्थात् केवल जन्म-मृृत्यु से पूर्ण छुटकारा चाहने वाले पुरुषों द्वारा (क्रियन्ते) की जाती हैं।
*अनुवाद—*
तत् अर्थात् 'तत्' नाम से कहे जाने वाले परमात्मा का ही यह सब है- इस भाव से फल को न चाहकर नाना प्रकार के यज्ञ, तपरूप क्रियाएँ तथा दानरूप क्रियाएँ कल्याण की इच्छा वाले पुरुषों द्वारा की जाती हैं।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*आत्मबोध* 🕉️🚩
*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेदानुसार कौन मनुष्य वर्तमान और अगले जन्म में सुख पाते हैं?*
*अग्निँ हृदयेनाशनिँ हृदयाग्रेण पशुपतिङ्कृत्स्नहृदयेन भवँयक्ना। शर्वम्मतस्नाभ्यामीशानम्मन्युना महादेवमन्तःपर्शव्येनोग्रन्देवँवनिष्ठुना वसिष्ठहनुः शिङ्गीनि कोश्याभ्याम्॥*
*(यजुर्वेद - अध्याय 39; मन्त्र 8)*
*मन्त्रार्थ—*
हे मनुष्यों! जो जीव (हृदयेन) हृदयरूप अवयव से (अग्निम्) अग्नि को (हृदयाग्रेण) हृदय के ऊपरले भाग से (अशनिम्) बिजुली को (कृत्स्नहृदयेन) संपूर्ण हृदय के अवयवों से (पशुपतिम्) पशुओं के रक्षक जगत् धारणकर्त्ता सबके जीवनहेतु परमेश्वर को (यक्ना) यकृतरूप शरीर के अवयवों से (भवम्) सर्वत्र होनेवाले ईश्वर को (मतस्नाभ्याम्) हृदय के इधर-उधर के अवयवों से (शर्वम्) विज्ञानयुक्त ईश्वर को (मन्युना) दुष्टाचारी और पाप के प्रति वर्त्तमान क्रोध से (ईशानम्) सब जगत् के स्वामी ईश्वर को (अन्तःपर्शव्येन) भीतरी पसुरियों के अवयवों में हुए विज्ञान से (महादेवम्) महादेव (उग्रम् देवम्) तीक्ष्ण स्वभाववाले प्रकाशमान ईश्वर को (वनिष्ठुना) आँत विशेष से (वसिष्ठहनुः) अत्यन्त वास के हेतु राजा के तुल्य ठोडीवाले जन को (कोश्याभ्याम्) पेट में हुए दो मांसपिण्डों से (शिङ्गीनि) जानने वा प्राप्त होने योग्य वस्तुओं को प्राप्त होते हैं, ऐसा तुम लोग जानो।
*व्याख्या—*
जो मनुष्य, शरीर के सब अङ्गों से धर्माचरण, विद्याग्रहण, सत्सङ्ग और सर्वरक्षक,सर्वव्यापक, विज्ञानयुक्त, प्रकाशमान जगदीश्वर परमात्मा की उपासना करते हैं, वे वर्त्तमान और भविष्यत् जन्मों में सुखों को प्राप्त होते हैं।
*हिन्दू एकता संघ द्वारा सनातन धर्म के मूल ग्रन्थ वेदों के कल्याणकारी मन्त्रों के प्रचार हेतु बनाए गए नए इंस्टाग्राम पेज @vedicdarshan से जुड़ें 👇🏻🕉️*
*वैदिक दर्शन - लिंक:*
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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेदानुसार कौन मनुष्य वर्तमान और अगले जन्म में सुख पाते हैं?*
*अग्निँ हृदयेनाशनिँ हृदयाग्रेण पशुपतिङ्कृत्स्नहृदयेन भवँयक्ना। शर्वम्मतस्नाभ्यामीशानम्मन्युना महादेवमन्तःपर्शव्येनोग्रन्देवँवनिष्ठुना वसिष्ठहनुः शिङ्गीनि कोश्याभ्याम्॥*
*(यजुर्वेद - अध्याय 39; मन्त्र 8)*
*मन्त्रार्थ—*
हे मनुष्यों! जो जीव (हृदयेन) हृदयरूप अवयव से (अग्निम्) अग्नि को (हृदयाग्रेण) हृदय के ऊपरले भाग से (अशनिम्) बिजुली को (कृत्स्नहृदयेन) संपूर्ण हृदय के अवयवों से (पशुपतिम्) पशुओं के रक्षक जगत् धारणकर्त्ता सबके जीवनहेतु परमेश्वर को (यक्ना) यकृतरूप शरीर के अवयवों से (भवम्) सर्वत्र होनेवाले ईश्वर को (मतस्नाभ्याम्) हृदय के इधर-उधर के अवयवों से (शर्वम्) विज्ञानयुक्त ईश्वर को (मन्युना) दुष्टाचारी और पाप के प्रति वर्त्तमान क्रोध से (ईशानम्) सब जगत् के स्वामी ईश्वर को (अन्तःपर्शव्येन) भीतरी पसुरियों के अवयवों में हुए विज्ञान से (महादेवम्) महादेव (उग्रम् देवम्) तीक्ष्ण स्वभाववाले प्रकाशमान ईश्वर को (वनिष्ठुना) आँत विशेष से (वसिष्ठहनुः) अत्यन्त वास के हेतु राजा के तुल्य ठोडीवाले जन को (कोश्याभ्याम्) पेट में हुए दो मांसपिण्डों से (शिङ्गीनि) जानने वा प्राप्त होने योग्य वस्तुओं को प्राप्त होते हैं, ऐसा तुम लोग जानो।
*व्याख्या—*
जो मनुष्य, शरीर के सब अङ्गों से धर्माचरण, विद्याग्रहण, सत्सङ्ग और सर्वरक्षक,सर्वव्यापक, विज्ञानयुक्त, प्रकाशमान जगदीश्वर परमात्मा की उपासना करते हैं, वे वर्त्तमान और भविष्यत् जन्मों में सुखों को प्राप्त होते हैं।
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*आत्मबोध 🕉️🚩*
*नवरात्रि चतुर्थ दिवस : देवी कूष्मांडा*
*ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः*
*या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥*
जो सभी प्राणियों में शान्ति के रूप में स्थित है, उस देवी को नमन है।
कूष्मांडा(कुष्मांडा), नाम उनकी मुख्य भूमिका को दर्शाता है: कु का अर्थ है "अल्प", उष्मा का अर्थ है "गर्मी" या "ऊर्जा" और अंडा का अर्थ है "अंडाकार ब्रह्मांड"। वे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का स्वरूप हैं नवरात्रि के पर्व के चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा की जाती है और माना जाता है कि वह स्वास्थ्य में सुधार करती हैं और धन और शक्ति प्रदान करती हैं। देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और इसी वजह से इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सिद्धियों और निधियों को प्रदान करने की सारी शक्ति उनकी जप माला में स्थित है।
*नवरात्रि चतुर्थ दिवस : देवी कूष्मांडा*
*ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः*
*या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥*
जो सभी प्राणियों में शान्ति के रूप में स्थित है, उस देवी को नमन है।
कूष्मांडा(कुष्मांडा), नाम उनकी मुख्य भूमिका को दर्शाता है: कु का अर्थ है "अल्प", उष्मा का अर्थ है "गर्मी" या "ऊर्जा" और अंडा का अर्थ है "अंडाकार ब्रह्मांड"। वे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का स्वरूप हैं नवरात्रि के पर्व के चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा की जाती है और माना जाता है कि वह स्वास्थ्य में सुधार करती हैं और धन और शक्ति प्रदान करती हैं। देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और इसी वजह से इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सिद्धियों और निधियों को प्रदान करने की सारी शक्ति उनकी जप माला में स्थित है।
*आत्मबोध🕉️🦁*
*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*
*दिवस :३०८/३५० (308/350)*
*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*सप्तदशऽध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग*
*अध्याय १७ श्लोक २८ (17:28)*
*अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्।*
*असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह॥*
*शब्दार्थ—*
(पार्थ) हे अर्जुन! (अश्रद्धया) बिना श्रद्धा के (हुतम्) किया हुआ हवन (दत्तम्) दिया हुआ दान एवं (तप्तम्) तपा हुआ (तपः) तप (च) और (यत्) जो कुछ भी (कृृतम्) किया हुआ शुभ कर्म है वह समस्त (असत्) ‘असत्‘ अर्थात् व्यर्थ है (इति) इस प्रकार (उच्यते) कहा जाता है इसलिये (तत्) वह (नो) हमारे लिए न तो (इह) इस लोकमें लाभदायक है (च) और (न) न (प्रेत्य) मरनेके बाद ही।
*अनुवाद—*
हे अर्जुन! बिना श्रद्धा के किया हुआ हवन, दिया हुआ दान एवं तपा हुआ तप और जो कुछ भी किया हुआ शुभ कर्म है- वह समस्त 'असत्'- इस प्रकार कहा जाता है, इसलिए वह न तो इस लोक में लाभदायक है और न मरने के बाद ही।
*ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्री कृष्णार्जुनसंवादे श्रद्धात्रयविभागयोगो नाम सप्तदशोऽध्याय :।*
*अथ श्रीमद्भगवद्गीतासुपनिषत्सु मोक्षसंन्यासयोगो नाम अष्टादशो अध्याय:*
*अध्याय १८ श्लोक ०१ (18:01)*
*अर्जुन उवाच—*
*सन्न्यासस्य महाबाहो तत्वमिच्छामि वेदितुम्।*
*त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन।।*
*शब्दार्थ—*
(महाबाहो) हे महाबाहो! (हृषीकेश) हे अन्तर्यामिन! (केशिनिषूदन) केशिनाशक (सन्यासस्य) संन्यास (च) और (त्यागस्य) त्यागके (तत्त्वम्) तत्वको (पृथक्) पृथक्-पृथक् (वेदितुम्) जानना (इच्छामि) चाहता हूँ।
*अनुवाद—*
अर्जुन बोले- हे महाबाहो! हे अन्तर्यामिन्! हे वासुदेव! मैं संन्यास और त्याग के तत्व को पृथक्-पृथक् जानना चाहता हूँ।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*सप्तदशऽध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग*
*अध्याय १७ श्लोक २८ (17:28)*
*अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्।*
*असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह॥*
*शब्दार्थ—*
(पार्थ) हे अर्जुन! (अश्रद्धया) बिना श्रद्धा के (हुतम्) किया हुआ हवन (दत्तम्) दिया हुआ दान एवं (तप्तम्) तपा हुआ (तपः) तप (च) और (यत्) जो कुछ भी (कृृतम्) किया हुआ शुभ कर्म है वह समस्त (असत्) ‘असत्‘ अर्थात् व्यर्थ है (इति) इस प्रकार (उच्यते) कहा जाता है इसलिये (तत्) वह (नो) हमारे लिए न तो (इह) इस लोकमें लाभदायक है (च) और (न) न (प्रेत्य) मरनेके बाद ही।
*अनुवाद—*
हे अर्जुन! बिना श्रद्धा के किया हुआ हवन, दिया हुआ दान एवं तपा हुआ तप और जो कुछ भी किया हुआ शुभ कर्म है- वह समस्त 'असत्'- इस प्रकार कहा जाता है, इसलिए वह न तो इस लोक में लाभदायक है और न मरने के बाद ही।
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*अथ श्रीमद्भगवद्गीतासुपनिषत्सु मोक्षसंन्यासयोगो नाम अष्टादशो अध्याय:*
*अध्याय १८ श्लोक ०१ (18:01)*
*अर्जुन उवाच—*
*सन्न्यासस्य महाबाहो तत्वमिच्छामि वेदितुम्।*
*त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन।।*
*शब्दार्थ—*
(महाबाहो) हे महाबाहो! (हृषीकेश) हे अन्तर्यामिन! (केशिनिषूदन) केशिनाशक (सन्यासस्य) संन्यास (च) और (त्यागस्य) त्यागके (तत्त्वम्) तत्वको (पृथक्) पृथक्-पृथक् (वेदितुम्) जानना (इच्छामि) चाहता हूँ।
*अनुवाद—*
अर्जुन बोले- हे महाबाहो! हे अन्तर्यामिन्! हे वासुदेव! मैं संन्यास और त्याग के तत्व को पृथक्-पृथक् जानना चाहता हूँ।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : (नवरात्रि विशेषांक ऋग्वेदान्तर्गत देवीसूक्तम) - आदिशक्ति(पारमेश्वरी ज्ञानशक्ति) के महत्त्व का उपदेश*
*मया सो अन्नमत्ति यो विपश्यति यः प्राणिति य ईं शृणोत्युक्तम्। अमन्तवो मां त उप क्षियन्ति श्रुधि श्रुत श्रद्धिवं ते वदामि॥*
*(ऋग्वेद— मण्डल 10; सूक्त 125; मन्त्र 4 )*
*मन्त्रार्थ—*
(मम) मेरे द्वारा अनुमोदित (सः-अन्नम्-अत्ति) वह भोजन खाता है (यः-विपश्यति) जो विशेष देखता है (यः प्राणिति) जो प्राण लेता है (यः-ईम्-उक्तं शृणोति) जो ही कहे हुए को सुनता है (माम्) मुझे (अमन्तवः) न माननेवाले हैं (ते) वे (उप क्षियन्ति) उपक्षय-नाश को प्राप्त होते हैं (ते) तुझे (श्रद्धिवम्) श्रद्धायुक्त सत्यवचन (वदामि) कहती हूँ (श्रुत-श्रुधि) हे विश्रुत-प्रसिद्ध सुन ॥४॥
*व्याख्या—*
जो खानेवाली, देखनेवाली, सुननेवाली पारमेश्वरी ज्ञानशक्ति को नहीं मानते, तदनुसार आचरण नहीं करते, वे क्षीण हो जाते हैं, यह सत्य है।
*हिन्दू एकता संघ द्वारा सनातन धर्म के मूल ग्रन्थ वेदों के कल्याणकारी मन्त्रों के प्रचार हेतु बनाए गए नए इंस्टाग्राम पेज @vedicdarshan से जुड़ें 👇🏻🕉️*
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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : (नवरात्रि विशेषांक ऋग्वेदान्तर्गत देवीसूक्तम) - आदिशक्ति(पारमेश्वरी ज्ञानशक्ति) के महत्त्व का उपदेश*
*मया सो अन्नमत्ति यो विपश्यति यः प्राणिति य ईं शृणोत्युक्तम्। अमन्तवो मां त उप क्षियन्ति श्रुधि श्रुत श्रद्धिवं ते वदामि॥*
*(ऋग्वेद— मण्डल 10; सूक्त 125; मन्त्र 4 )*
*मन्त्रार्थ—*
(मम) मेरे द्वारा अनुमोदित (सः-अन्नम्-अत्ति) वह भोजन खाता है (यः-विपश्यति) जो विशेष देखता है (यः प्राणिति) जो प्राण लेता है (यः-ईम्-उक्तं शृणोति) जो ही कहे हुए को सुनता है (माम्) मुझे (अमन्तवः) न माननेवाले हैं (ते) वे (उप क्षियन्ति) उपक्षय-नाश को प्राप्त होते हैं (ते) तुझे (श्रद्धिवम्) श्रद्धायुक्त सत्यवचन (वदामि) कहती हूँ (श्रुत-श्रुधि) हे विश्रुत-प्रसिद्ध सुन ॥४॥
*व्याख्या—*
जो खानेवाली, देखनेवाली, सुननेवाली पारमेश्वरी ज्ञानशक्ति को नहीं मानते, तदनुसार आचरण नहीं करते, वे क्षीण हो जाते हैं, यह सत्य है।
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*आत्मबोध 🕉️🚩*
*नवरात्रि षष्ठम् दिवस : देवी कात्यायनी*
*ॐ देवी कात्यायन्यै नमः*
*या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥*
जो सभी प्राणियों में वृत्ति (स्वभाव) के रूप में स्थित हैं, उस देवी को नमन है।
देवी कात्यायनी को अत्याचारी राक्षस महिषासुर के वध के रूप में देखा जाता है। योग और तंत्र में, उन्हें छठे आज्ञा चक्र के रूप में माना जाता है और इस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। उनका उल्लेख सबसे पहले यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक भाग में मिलता है। स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया है कि उन्हें देवताओं के सहज क्रोध से बनाया गया था, जिसके कारण अंततः शेर पर चढ़े राक्षस महिषासुर का वध हुआ।
*नवरात्रि षष्ठम् दिवस : देवी कात्यायनी*
*ॐ देवी कात्यायन्यै नमः*
*या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥*
जो सभी प्राणियों में वृत्ति (स्वभाव) के रूप में स्थित हैं, उस देवी को नमन है।
देवी कात्यायनी को अत्याचारी राक्षस महिषासुर के वध के रूप में देखा जाता है। योग और तंत्र में, उन्हें छठे आज्ञा चक्र के रूप में माना जाता है और इस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। उनका उल्लेख सबसे पहले यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक भाग में मिलता है। स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया है कि उन्हें देवताओं के सहज क्रोध से बनाया गया था, जिसके कारण अंततः शेर पर चढ़े राक्षस महिषासुर का वध हुआ।
*पड़ोसी लड़के से बात करती थी 14 साल की बेटी, मोहम्मद बहाल ने कुल्हाड़ी से सिर किया वार : मौके पर ही मौत, मुंगेर पुलिस को पिता की तलाश*
बिहार के मुंगेर में मुहम्मद बहाल ने शुक्रवार (12 अप्रैल 2024) को अपनी 14 साल की नाबालिग बेटी की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी और उसके शव को कमरे में छिपा दिया। उसे शक था कि उसकी बेटी का किसी के साथ नाजायज संबंध है। वह रात में शव को ठिकाने लगाने की कोशिश में था, लेकिन उससे पहले ही पुलिस को इसके बारे में जानकारी मिल गई। फिलहाल आरोपित फरार है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/father-killed-14-year-old-daughter-on-suspicion-of-love-affair-body-hidden-in-room/
बिहार के मुंगेर में मुहम्मद बहाल ने शुक्रवार (12 अप्रैल 2024) को अपनी 14 साल की नाबालिग बेटी की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी और उसके शव को कमरे में छिपा दिया। उसे शक था कि उसकी बेटी का किसी के साथ नाजायज संबंध है। वह रात में शव को ठिकाने लगाने की कोशिश में था, लेकिन उससे पहले ही पुलिस को इसके बारे में जानकारी मिल गई। फिलहाल आरोपित फरार है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/father-killed-14-year-old-daughter-on-suspicion-of-love-affair-body-hidden-in-room/
ऑपइंडिया
पड़ोसी लड़के से बात करती थी 14 साल की बेटी, मोहम्मद बहाल ने कुल्हाड़ी से सिर किया वार: मौके पर ही मौत, मुंगेर पुलिस को पिता की…
बिहार के मुंगेर में मोम्मद बहाल को शक था कि उसकी बेटी पड़ोस के लड़के से बातचीत करती है। उसने बेटी के सिर पर कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी।
*इतिहासबोध🦁🚩*
*14 अप्रैल – लुटेरे अंग्रेजों के आधीन भारत के 'मोइरांग कांगला' में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी व आईएनए द्वारा सर्वप्रथम राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाना⤵️⤴️*
सुन्दर पर्वतमालाओं से घिरे मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 45 कि.मी दक्षिण में लोकताक झील के किनारे मोइरांग नामक छोटा सा नगर बसा है। भारतीय स्वाधीनता समर में इसका विशेष महत्व है। यहीं पर 14 अप्रैल, 1944 को आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेता जी सुभाषचन्द्र बोस ने सर्वप्रथम तिरंगा झण्डा फहराया था। उन्होंने मोइरांग पर विजय प्राप्त कर यहाँ के डाक बंगले को आजाद हिन्द फौज का मुख्यालय बना लिया था।
इस घटना की स्मृति में मोइरांग में ‘आई.एन.ए. युद्ध संग्रहालय’ बनाया गया है। इसमें प्रवेश करते ही बायीं ओर सैन्य वेश में नेता जी भव्य मूर्ति स्थापित है। इसे देखकर लगता है कि वे स्वाधीनता संघर्ष के मुख्य सेनापति थे। यह बात दूसरी है कि गांधी जी व प्रधानमन्त्री नेहरु से वैचारिक मतभेद होने के कारण भारतीय इतिहास में उन्हें समुचित स्थान नहीं मिल सका।
संग्रहालय में दायीं ओर संगमरमर पत्थर से निर्मित एक चबूतरा है। उस पर अंग्रेजी में लिखा है - वह स्थल, जहाँ सुभाषचन्द्र बोस ने सर्वप्रथम तिरंगा फहराया था। उससे कुछ दूरी पर संगमरमर से ही बना एक स्मृति स्तम्भ और है, जिस पर आजाद हिन्द फौज के तीन आदर्श - अवसर, विश्वास और बलिदान उत्कीर्ण हैं। यह उस स्तम्भ की प्रतिकृति है, जिसे नेताजी ने 8 जुलाई, 1945 को आजाद हिन्द सरकार की स्मृति में सिंगापुर में बनाया था।
सिंगापुर जब फिर से अंग्रेजों के कब्जे में आया, तो उन्होंने उस स्मारक को तोड़ दिया; पर नेताजी के वीर सैनिकों के मन में बसे स्मारक को वे नहीं तोड़ सके। अतः सैनिकों ने वैसा ही स्मारक मोइरांग में फिर से बना लिया। उस पर लिखा है - आजाद हिन्द फौज के बलिदानियों की स्मृति में इस स्मारक की नींव नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने 8 जुलाई, 1945 को रखी।
संग्रहालय की अलमारियों में नेताजी द्वारा मोइरांग के लिए लड़े गये निर्णायक युद्ध के अनेक दुर्लभ चित्र लगाये गये हैं। समय-समय पर उनके द्वारा कहे गये प्रेरक वाक्य तथा आजादी का घोषणा पत्र भी वहाँ सुसज्जित है। यहाँ आजाद हिन्द फौज के अन्तर्गत काम करने वाली ‘रानी झाँसी रेजिमेण्ट’ के भी अनेक चित्र हैं।
कुछ चित्रों में नेताजी सलामी ले रहे हैं, तो कहीं वे टैंक ब्रिगेड का निरीक्षण कर रहे हैं। आग उगलते युद्धक्षेत्र के अग्रिम मोर्चे पर उन्हें सैनिकों का उत्साह बढ़ाते देखकर रक्त का संचार तेज हो जाता है। एक चित्र में वे स्वयं कार्बाइन हाथ में लिये युद्ध की मुद्रा में खड़े हैं।
इन चित्रों और युद्ध के नक्शों को देखकर स्पष्ट होता है कि स्वाधीनता संग्राम में जहाँ तथाकथित बड़े कांग्रेसी नेता सुविधा सम्पन्न बंगलों में नजरबन्दी का सुख भोग रहे थे, वहाँ नेताजी जंगलों और पहाड़ों में ठोकरें खाकर लोगों को संगठित कर रहे थे। वे जनता को खून के बदले आजादी देने का आश्वासन भी दे रहे थे।
मोइरांग से 30 कि.मी. की दूरी पर ‘खूनी पर्वत’ है। यहाँ द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान और ब्रिटिश सेनाओं में घमासान हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में दोनों ओर के सैनिक मारे गये थे। मोइरांग हमारी स्वाधीनता के सशस्त्र संग्राम का एक तीर्थस्थल है, जिसकी ओर न जाने क्यों शासन का ध्यान कम ही है।
*14 अप्रैल – लुटेरे अंग्रेजों के आधीन भारत के 'मोइरांग कांगला' में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी व आईएनए द्वारा सर्वप्रथम राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाना⤵️⤴️*
सुन्दर पर्वतमालाओं से घिरे मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 45 कि.मी दक्षिण में लोकताक झील के किनारे मोइरांग नामक छोटा सा नगर बसा है। भारतीय स्वाधीनता समर में इसका विशेष महत्व है। यहीं पर 14 अप्रैल, 1944 को आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेता जी सुभाषचन्द्र बोस ने सर्वप्रथम तिरंगा झण्डा फहराया था। उन्होंने मोइरांग पर विजय प्राप्त कर यहाँ के डाक बंगले को आजाद हिन्द फौज का मुख्यालय बना लिया था।
इस घटना की स्मृति में मोइरांग में ‘आई.एन.ए. युद्ध संग्रहालय’ बनाया गया है। इसमें प्रवेश करते ही बायीं ओर सैन्य वेश में नेता जी भव्य मूर्ति स्थापित है। इसे देखकर लगता है कि वे स्वाधीनता संघर्ष के मुख्य सेनापति थे। यह बात दूसरी है कि गांधी जी व प्रधानमन्त्री नेहरु से वैचारिक मतभेद होने के कारण भारतीय इतिहास में उन्हें समुचित स्थान नहीं मिल सका।
संग्रहालय में दायीं ओर संगमरमर पत्थर से निर्मित एक चबूतरा है। उस पर अंग्रेजी में लिखा है - वह स्थल, जहाँ सुभाषचन्द्र बोस ने सर्वप्रथम तिरंगा फहराया था। उससे कुछ दूरी पर संगमरमर से ही बना एक स्मृति स्तम्भ और है, जिस पर आजाद हिन्द फौज के तीन आदर्श - अवसर, विश्वास और बलिदान उत्कीर्ण हैं। यह उस स्तम्भ की प्रतिकृति है, जिसे नेताजी ने 8 जुलाई, 1945 को आजाद हिन्द सरकार की स्मृति में सिंगापुर में बनाया था।
सिंगापुर जब फिर से अंग्रेजों के कब्जे में आया, तो उन्होंने उस स्मारक को तोड़ दिया; पर नेताजी के वीर सैनिकों के मन में बसे स्मारक को वे नहीं तोड़ सके। अतः सैनिकों ने वैसा ही स्मारक मोइरांग में फिर से बना लिया। उस पर लिखा है - आजाद हिन्द फौज के बलिदानियों की स्मृति में इस स्मारक की नींव नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने 8 जुलाई, 1945 को रखी।
संग्रहालय की अलमारियों में नेताजी द्वारा मोइरांग के लिए लड़े गये निर्णायक युद्ध के अनेक दुर्लभ चित्र लगाये गये हैं। समय-समय पर उनके द्वारा कहे गये प्रेरक वाक्य तथा आजादी का घोषणा पत्र भी वहाँ सुसज्जित है। यहाँ आजाद हिन्द फौज के अन्तर्गत काम करने वाली ‘रानी झाँसी रेजिमेण्ट’ के भी अनेक चित्र हैं।
कुछ चित्रों में नेताजी सलामी ले रहे हैं, तो कहीं वे टैंक ब्रिगेड का निरीक्षण कर रहे हैं। आग उगलते युद्धक्षेत्र के अग्रिम मोर्चे पर उन्हें सैनिकों का उत्साह बढ़ाते देखकर रक्त का संचार तेज हो जाता है। एक चित्र में वे स्वयं कार्बाइन हाथ में लिये युद्ध की मुद्रा में खड़े हैं।
इन चित्रों और युद्ध के नक्शों को देखकर स्पष्ट होता है कि स्वाधीनता संग्राम में जहाँ तथाकथित बड़े कांग्रेसी नेता सुविधा सम्पन्न बंगलों में नजरबन्दी का सुख भोग रहे थे, वहाँ नेताजी जंगलों और पहाड़ों में ठोकरें खाकर लोगों को संगठित कर रहे थे। वे जनता को खून के बदले आजादी देने का आश्वासन भी दे रहे थे।
मोइरांग से 30 कि.मी. की दूरी पर ‘खूनी पर्वत’ है। यहाँ द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान और ब्रिटिश सेनाओं में घमासान हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में दोनों ओर के सैनिक मारे गये थे। मोइरांग हमारी स्वाधीनता के सशस्त्र संग्राम का एक तीर्थस्थल है, जिसकी ओर न जाने क्यों शासन का ध्यान कम ही है।