Telegram Web Link
*इतिहासबोध🦁🚩*

*14 अप्रैल जन्मजयंती – भारतीय समाज में आई जातिवाद/अस्पृश्यता जन्माधारित सामाजिक भेदभाव जैसी अवैदिक मान्यताओं के विरुद्ध आजीवन कार्य करने वाले भारतीय विद्वान्, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर जी*

*जयंती विशेषांक: प्रखर राष्ट्रवादी डॉ. आम्बेडकर का छिपाया गया स्वरूप (सत्यप्रेमी अवश्य जानें⤵️⤴️)*

https://youtu.be/agBxrOrzFa8

_"महात्मा बुद्ध के धम्म(धर्म) से सर्वथा कटे हुए नकली नवबुद्ध, तथाकथित दलित चिंतक व भीम मीम की रट लगाने वाले राष्ट्रभक्त डॉ. आम्बेडकर जी की ही पुस्तकों को न पढ़ने वाले उनके खोखले समर्थक, आजकल राष्ट्रविरोधी जिहादियों, मिशनरियों और वामपंथियों के हाथों में खेलकर भोले-भाले हिन्दुओं को डॉ. भीमरावरामजी आम्बेडकर जी का नाम लेकर भ्रमित करके तोड़ने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कभी डॉ. भीमरावरामजी आम्बेडकर को समझा ही नहीं। इनके द्वारा एवं वामपंथी इतिहासकारों द्वारा उनका परम् संस्कृत प्रेमी राष्ट्रवादी चेहरा एवं मुस्लिमों के प्रति विचार को दबा दिया गया ताकि इनके घटिया स्वार्थों को सिद्धि में बाबासाहेब के विचार न आ जाएं। यह सत्य है कि कोई भी व्यक्ति ईश्वर नहीं होता उनके सामर्थ्य की सीमाएं होती हैं इस कारण उनमें कुछ कमियां रह जाती हैं कुछ एक गलतियां भी अवश्य हो जाती हैं पर डॉ. आम्बेडकर की सत्यनिष्ठा, राष्ट्रभक्ति, विद्वता, शालीनता उनके जीवन में को सुवासित करती हैं। आइए बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन व वर्तमान परिस्थितियों से जुड़े तथ्य और उनके सत्यनिष्ठ प्रखर विचारों को जानें…"_

1— एक ब्राह्मण शिक्षक *कृष्णा महादेव आम्बेडकर* जी ने भीमरावरामजी को अपना उपनाम *आम्बेडकर* दिया।

2— बड़ौदा के क्षत्रिय राजा *सयाजी गायकवाड़ तृतीय* ने डॉ. भीमरावरामजी आम्बेडकर जी को अपने खर्चे से विदेश पढ़ने भेजा।

3— आज ये भेड़ की खाल में छीपे भेड़िये जिनको आर्य कह विदेशी बताने में लगे रहते है ,भीमरावरामजी अंबडेकर जी ने अपनी किताब *शुद्र की खोज* में आर्य आक्रमणकारी सिद्धांत का खंडन किया एवं लिखा कि शुद्र भी आर्य ही है।

4— भीमरावराम जी *समान नागरिक संहिता* यानी सभी भारतीयों के लिए देश में एक कानून के भी पक्षधर थे।*

5— इन्होंने संसद में संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनाने का भी प्रस्ताव भी दिया था।*

6— इन्होंने अपनी किताब *पाकिस्तान और दी पार्टीशन ऑफ इंडिया* में यह लिखा कि मुस्लिमों का भाईचारा सिर्फ मुस्लिमों तक ही सीमित है, दलित हिन्दू इनपर भरोसा न करे जितना जल्द हो सके भारत आ जाये।

7— भीमरावरामजी ने कहा था कि बंटवारा तब तक अधूरा है जब तक सभी मुस्लिम पाकिस्तान न चले जाए और हिन्दू भारत न लौट आये।*

8— भीमरावरामजी ने गोडसे द्वारा किये गए गांधी के वध का भी समर्थन किया था।*

9— डॉ. भीमरावरामजी आम्बेडकर को हिन्दू धर्म से कोई नफरत नही थी वह हिन्दुओं को जातिवाद से मुक्त देंखना चाहते थे, जो कि कभी पहले हिन्दू धर्म का हिस्सा नही थी। इन्हें समस्या कुछ पाखंडी जातिवादी लोगो से थी।जिन्हें ये हिन्दू धर्म का दुश्मन मानते थे।

10— संविधान सभा में कुल 299 सदस्य थे जिसके प्रमुख डॉ राजेंद्र प्रसाद जी थे, अगर यही मुस्लिम बाहुल्य देश होता तो क्या ये संविधान लागू हो पाता? क्यों उस समय के अनुसूचित जाति के हिन्दुओं के नेता रहे *जोगेंद्र नाथ मंडल जो जिन्ना के साथ पाकिस्तान गए थे उन्हें क्यों वहां से जान बचा कर भागना पड़ा था?*

11— नेहरू के समय से ही कांग्रेस ने डॉ. भीमरावरामजी आम्बेडकर का सम्मान नहीं किया इन्हें पुस्तको में भुलाने का प्रयत्न किया, पर 2014 में बनी कथित ब्राह्मणवादी मोदी सरकार ने इनका पूरा सम्मान किया, उनकी स्मृति बहुत से स्थान पर म्यूजियम आदि भी बनाए।

12— डॉ. भीमरावरामजी आम्बेडकर जी प्रखर राष्ट्रवादी थे भारतीय धर्मों के, भारतीयता के हितैषी थे वे भारतीय समाज में आई अवैदिक कुरीतियों को समाज से दूर कर समाज को एकजुट करना चाहते थे एवं विदेशी जिहादी मिशनरी मजहबों के घोर विरोधी थे। पर दु:ख की बात यह कि आज इनका नाम लेकर इनका राष्ट्रवादी चेहरा छुपा कर नकली आम्बेडकरवादी बने कुछ लोग और संगठन एवं नवबुद्ध पूरा जिहादियों और वामपंथियों मिशनरियों के एजेंडे में फंस कर उनसे मिलकर हिन्दुओं को तोडने एवं जातिवाद फैलाने का कार्य कर रहे हैं।

13— जिन पाकिस्तानी दलित हिन्दुओं की चिंता बंटवारे के समय बाबा साहेब ने की थी आज स्वयं को उनका अनुयायी बताने वाले लोग शाहीन बाग के जिहादियों के साथ बैठ कर उनको नागरिकता देने का विरोध कर रहे थे, पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। आज जो लोग इनका अनुयायी बनने का ढोंग करते है वे जिहादियों द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों वाली घटना पर मौन क्यों हो जाते हैं?*
*अब कोई स्वयं अपने मस्तिष्क से इसे पढ़े समझे और जांचे तो सब खेल समझ सकता है कि इस आपसी लड़ाई में लाभ कौन उठाता है? यह पोस्ट सभी तक शेयर अवश्य करें ताकि हमारे ही धर्मबंधु अशिक्षा अज्ञान में दूसरों के हाथों की कठपुतलियां न बन जाएं जिसकी चिंता बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने लेखों में निरंतर व्यक्त की।*

*जय हिन्द जय श्री राम 🇮🇳🚩*
*आंबेडकर जयंती विशेषांक*

*बुर्का और मुस्लिमों पर डॉ. आंबेडकर के विचार (प्रखर श्रीवास्तव व संजय दीक्षित जी का विश्लेषण)⤵️*

https://www.youtube.com/live/ZtY0bGdnO2Q?feature=share

*इस्लाम और मुस्लिमों की जिहादी मानसिकता पर डॉ. आंबेडकर के तथ्यात्मक तार्किक विचारों को जानने के लिए साथ में भेजी गई डॉ. आंबेडकर की कालजयी रचना "पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन" अवश्य पढ़ें व अन्यों तक पहुंचाएं⤴️⤵️*
*"शूद्र कौन थे?" डॉ. आंबेडकर जी की महत्वपूर्ण पुस्तक का विश्लेषण डॉ. त्रिभुवन सिंह व संजय दीक्षित द्वारा,देखें इस वीडियो में⤴️⤵️*

https://www.youtube.com/live/0pVDDOJoi9A?feature=share

*#डॉ.आंबेडकरजयंती2023*
*फंदे से लटकी लड़की, हाथ पर ‘अकबर’ के नाम की मेहंदी… ईद का मेला घूमने गई थी नाबालिग, पिता बोले – जंगल में ले जाकर हुआ सामूहिक बलात्कार*

झारखंड के साहिबगंज में संदिग्ध अवस्था में एक नाबालिग लड़की की लाश मिली है। युवती की मौत के बाद परिजनों ने सामूहिक बलात्कार का आरोप भी लगाया है। किशोरी के पिता ने बताया कि रात को उनकी बेटी को किसी ने फोन कॉल किया था, जिसके माध्यम से उसे मेला देखने के लिए बुलाया गया था। इसके बाद वो घर से बाहर निकली थी। रात भर उसकी खोज चलती रही पर वो सुबह डरी सहमी घर पहुंची और कमरे में जाकर फांसी लगा ली। पिता ने ये भी बताया है कि उनकी बेटी के हाथ पर ‘अकबर’ नाम के युवक का मेहंदी से नाम लिखा हुआ था। उन्होंने 4 लोगों पर सामूहिक बलात्कार के आरोप लगाए हैं।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/girl-commits-suicide-after-eid-mela-name-of-akbar-with-henna-on-hand-sahibganj-jharkhand-minor/l
*15 साल की दलित नाबालिग को उठा ले गए अनीस, सद्दाम, मोहिद्दीन, अलीम और बउरा : 3 दिनों तक किया गैंगरेप, फिर इस्लाम में धर्मांतरण और जबरन निकाह*

लगभग दो माह पूर्व उत्तर प्रदेश के बहराइच में मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों ने एक हिंदू नाबालिग लड़की का अपहरण करके उसे बंधक बना लिया और तीन दिनों तक उसका गैंगरेप किया। इन युवकों ने पीड़िता का जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कराकर एक मुस्लिम से निकाह करा दिया। किसी तरह उनके कब्जे से छूटकर भागी युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद से परिवार को धमकी दी जा रही है।
सभी आरोपितों- अनीस, सद्दाम, मोहिद्दीन, अलीम और बउरा के खिलाफ पॉक्सो सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इसके साथ ही आरोपितों को पकड़ने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/kidnapping-gangrape-forced-conversion-and-nikah-of-a-minor-hindu-girl-in-bahraich-uttar-pradesh/
*बम फटने से बच्चे की मौत, 3 की हालत नाजुक : बिहार में मोहम्मद इजराइल के घर में बनाया जा रहा था विस्फोटक, आसपास खेल रहे थे बच्चे*

बिहार के बाँका में बम फटने के कारण 4 मासूम बच्चे बुरी तरह घायल हो गए हैं। इन सभी को स्थानीय अस्पताल में गंभीर रूप से घायल अवस्था में भर्ती कराया गया। घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है। पुलिस ने मौके पर पहुँच कर जाँच-पड़ताल की है। बताया गया है कि उस घर में ही बम बनाया जा रहा था। घर के सामने मोहम्मद इस्माइल अंसारी का 8 वर्षीय बेटा कुर्बान (उसके पैर के चीथड़े उड़ चुके थे, मौत हो गई थी), 11 वर्षीय मुस्तफा और मोहम्मद सद्दाम ला 5 साल का बेटा सनल्लाह, मोहम्मद असी शहनाई का 7 वर्षीय बेटा अब्बू अलीफा ये सब खेल रहे थे।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/bihar-bomb-blast-in-mohammed-israel-house-in-banka-one-kid-dead/
*आत्मबोध🕉️🦁*

*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*

*दिवस :३०९/३५० (309/350)*

*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*

*अध्याय १८ श्लोक ०२ (18:02)*
*श्रीभगवानुवाच—*
*काम्यानां कर्मणां न्यासं सन्न्यासं कवयो विदु:।*
*सर्वकर्मफलत्यागं प्राहुस्त्यागं विचक्षणा:॥*

*शब्दार्थ—*
(कवयः) पण्डितजन तो (काम्यानाम्) मनोकामना के लिए किए धार्मिक (कर्मणाम्) कर्मोंके (न्यासम्) त्यागको (सन्न्यासं) संन्यास (विदुः) समझते हैं तथा दूसरे (विचक्षणाः) विचारकुशल पुरुष (सर्वकर्मफलत्यागम्) सब कर्मोंके फलके त्यागको (त्यागम्) त्याग (प्राहुः) कहते हैं।

*अनुवाद—*
श्री भगवान बोले- कितने ही पण्डितजन तो काम्य कर्मों के (स्त्री, पुत्र और धन आदि प्रिय वस्तुओं की प्राप्ति के लिए तथा रोग-संकटादि की निवृत्ति के लिए जो यज्ञ, दान, तप और उपासना आदि कर्म किए जाते हैं, उनका नाम काम्यकर्म है।) त्याग को संन्यास समझते हैं तथा दूसरे विचारकुशल पुरुष सब कर्मों के फल के त्याग को (ईश्वर की भक्ति, देवताओं का पूजन, माता-पितादि गुरुजनों की सेवा, यज्ञ, दान और तप तथा वर्णाश्रम के अनुसार आजीविका द्वारा गृहस्थ का निर्वाह एवं शरीर संबंधी खान-पान इत्यादि जितने कर्तव्यकर्म हैं, उन सबमें इस लोक और परलोक की सम्पूर्ण कामनाओं के त्याग का नाम सब कर्मों के फल का त्याग है) त्याग कहते हैं।

*अध्याय १८ श्लोक ०३ (18:03)*
*त्याज्यं दोषवदित्येके कर्म प्राहुर्मनीषिण:।*
*यज्ञदानतप:कर्म न त्याज्यमिति चापरे।।*

*शब्दार्थ—*
(एके) कई एक (मनीषिणः) विद्वान् (इति) ऐसा (प्राहुः) कहते हैं कि (कर्म) शास्त्रा विधि रहित भक्ति कर्म (दोषवत्) दोषयुक्त हैं इसलिये (त्याज्यम्) त्यागनेके योग्य हैं (च) और (अपरे) दूसरे विद्वान् (इति) यह कहते हैं कि (यज्ञदानतपःकर्मः) यज्ञ, दान और तपरूपी कर्म (न,त्याज्यम्) त्यागने योग्य नहीं हैं।

*अनुवाद—*
कई एक विद्वान ऐसा कहते हैं कि कर्ममात्र दोषयुक्त हैं, इसलिए त्यागने के योग्य हैं और दूसरे विद्वान यह कहते हैं कि यज्ञ, दान और तपरूप कर्म त्यागने योग्य नहीं हैं।

शेष क्रमश: कल

*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल  (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*

*🕉️हिन्दू एकता संघ✊🏻 के चैनल से जुड़ने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर click करें👇🏻*

*व्हाट्सएप चैनल👇🏻*
https://whatsapp.com/channel/0029VaABA9u8kyyUize9ll04

*टेलीग्राम चैनल👇🏻*
https://www.tg-me.com/united_hindu_official
*आत्मबोध* 🕉️🚩

*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : (नवरात्रि विशेषांक ऋग्वेदान्तर्गत देवीसूक्तम) - सर्वव्यापी आदिशक्ति(पारमेश्वरी ज्ञानशक्ति) की महिमा का वर्णन*

*अहं सुवे पितरमस्य मूर्धन्मम योनिरप्स्व१न्तः समुद्रे । ततो वि तिष्ठे भुवनानु विश्वोतामूं द्यां वर्ष्मणोप स्पृशामि ॥*

*(ऋग्वेद— मण्डल 10; सूक्त 125; मन्त्र 7)*

*मन्त्रार्थ—*
(अस्य) इस जगत् के (मूर्धन्) मूर्धारूप उत्कृष्ट भाग में स्थित (पितरम्) पालक सूर्य को (अहं सुवे) मैं उत्पन्न करती हूँ (मम योनिः) मेरा घर (अप्सु-समुद्रे-अन्तः) व्यापनशील परमाणुओं में तथा अन्तरिक्ष महान् आकाश में (ततः-विश्वा भुवना) तत एव सारे लोकलोकान्तरों को (अनु वि तिष्ठे) व्याप्त होकर रहती हूँ (इत उ द्याम्) इसी कारण द्युलोक के प्रति (वर्ष्मणा) वर्षणधर्म से (उप स्पृशामि) सङ्गत होती हूँ

*व्याख्या—*
आदिशक्ति(पारमेश्वरी ज्ञानशक्ति) जगत् के ऊपर वर्तमान पालक सूर्य को उत्पन्न करती हैं और वह परमाणुओं तथा महान् आकाश के अन्दर व्याप्त हैं, सब लोक-लोकान्तरों में निविष्ट हैं, द्युलोक से मेघमण्डल से वर्षा कराती हैं।

*हिन्दू एकता संघ द्वारा सनातन धर्म के मूल ग्रन्थ वेदों के कल्याणकारी मन्त्रों के प्रचार हेतु बनाए गए नए इंस्टाग्राम पेज @vedicdarshan से जुड़ें 👇🏻🕉️*

*वैदिक दर्शन - लिंक:*
https://instagram.com/vedicdarshan

*हिन्दू एकता संघ - लिंक :*
https://instagram.com/hinduektasanghofficial
*आत्मबोध 🕉️🚩*

*नवरात्रि सप्तम् दिवस : देवी कालरात्रि*

*ॐ देवी कालरात्र्यै नमः*

*या देवी सर्वभूतेषु छायारूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥*

जो सभी प्राणियों में छाया के रूप में स्थित हैं, उस देवी को नमन है।

कालरात्रि को देवी माॅं का उग्र रूप माना जाता है, उनका स्वरूप ही भय का आह्वान करता है। देवी के इस रूप को सभी राक्षस संस्थाओं, भूतों, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करने वाला माना जाता है, जो उनके आगमन के बारे में जानकर भाग जाते हैं। कालरात्रि को शुभंकरी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ संस्कृत में शुभ/अच्छा करना है, इस विश्वास के कारण कि वह सदैव अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं। इसलिए, यह माना जाता है कि वह अपने भक्तों को निर्भय बनाती हैं।
*इतिहासबोध🦁🚩*

*15 अप्रैल: जन्मजयंती : परम बलिदानी धर्मरक्षक गुरु अर्जन देव जी ☬🕉️🙏*

_"लालच और भय के कारण इस्लाम कुबूलने के स्थान पर धर्मरक्षा के लिए बलिदान होना स्वीकार कर गए सिख पंथ के गुरु अर्जन देव जी के प्रेरणादायक पावनजीवन या उनके बलिदान को शब्दों में पिरो पाना अत्यंत कठिन है। किन्तु तब जरा से लालच या भय के कारण धर्मभ्रष्ट होने से बचाने हेतु उनका जीवन बच्चे बूढ़े जवान हर व्यक्ति के मस्तिष्क में भरा जाना चाहिए"_

सिखों के पांचवे गुरू अर्जनदेव जी, चौथे गुरु राम दास जी और माता भानी जी के सुपुत्र थे। आपने अपने पिता द्वारा आरंभ करवाए गए रामदास सरोवर को पक्का करवाया और उसके पश्चात् सरोवर के बीचों बीच दरबार साहिब जिसे बहुत से लोग हरमिंदर साहिब या स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जानते हैं, उसका निर्माण भी करवाया। आपने भाई गुरदास जी द्वारा सारे गुरु साहिबान और अन्य कई विद्वानों की वाणी को राग अनुसार संग्रह करवाया और इस प्रकार आदिग्रन्थ की संरचना हुई जिसका प्रकाश दरबार साहिब में किया गया।

इतिहासकार गुरु जी के बलिदान होने का कारण कुछ भी या किसी को भी बताएं, पर सच यही है की उनके बढ़ते प्रभाव और अनुयाईयों से मुग़ल और खासकर उलेमा बिलकुल नाखुश थे या यूँ कहलें कि उनमें ख़ौफ़ था, जी हाँ ख़ौफ़। वो तो बस मौके की तलाश में थे, फिर चाहे वो मौका उन्हें दीवान चंदु शाह ने दिया हो या नक़्शबन्दी संप्रदाय के शेख़ अहमद सिरहिंदी ने। जहाँगीर के आदेश पर गुरु अर्जन देव जी को अमृतसर से गिरफ़्तार कर लाहौर लाया गया।

*मुग़ल दरबार में उन पर शेख़ अहमद सिरहिंदी और शेख़ फरीद बुखारी जो कि जहाँगीर का विशेष सैन्य अधिकारी था द्वारा जहाँगीर के बेटे खुसरो तथा उसके साथिओं को पनाह देने, इस्लाम के प्रचार में बाधक बनने, इस्लाम के विरुद्ध प्रचार करने तथा आदिग्रंथ में इस्लाम का अपमान करने जैसे कई सारे मिथ्या आरोप लगा कर जहाँगीर से उन पर एक बड़ी राशि देने का दण्ड दिलवाया। यहाँ कुछ इतिहासकार इस राशि को एक और कुछ दो लाख बताते हैं।*

*जब गुरु जी ने दण्ड स्वरुप मांगी गयी राशि देने से मना कर दिया तो शेख़ अहमद सिरहिंदी ने शाही क़ाज़ी से उनके नाम का फ़तवा जारी करवाया। फ़तवे में यह कहा गया था कि "अगर गुरु जी दण्ड की राशि का भुगतान नहीं कर सकते तो उन्हें इस्लाम कबूल करना होगा अन्यथा मृत्यु के लिए त्यार हो जाएं।" तब गुरु जी ने उन्हें यह उत्तर दिया कि "जीवन मरण तो सब उस अकाल पुरख (ईश्वर) के हाथ में है, इस्लाम कबूल करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।"*

इस पर क़ाज़ी ने उन्हें यासा के कानून के अंतर्गत मृत्यु दण्ड का फतवा दिया। ऐसे में अहमद सिरहिंदी ने गुरु जी को यातनाएं दे कर इस्लाम कबूल करवाने की योजना बनाई। उसने पहले गुरु जी को कड़ी धूप में भूखे प्यासे खड़े रखा। जब उसका गुरु जी पर कोई असर नहीं हुआ तो उन्हें लोहे के बड़े तवे पर बिठा कर उनके ऊपर गरम रेत डाली गयी। परन्तु तब भी गुरु जी अपने निश्चय पर अडिग रहे। ऐसा देख कर जलादों ने उन्हें उबलती हुई देग में बिठा दिया और इस प्रकार गुरु जी का देहांत हो गया। उनके शरीर को रावी नदी में बहा कर ये कह दिया गया की उन्होंने ने नदी में सनान करने की इच्छा प्रकट की थी और वापिस नहीं लौटे अथवा जल समाधी ले ली।

गुरु जी द्वारा सहे गए इन्ही कष्टों को ध्यान में रखते हुए और उनके परम बलिदान से प्रेरणा लेते हुए हर साल उसी समय सिख संगत सारी दुनिया में छबील लगाती है। तपती धुप में लोगों को ठंडा शरबत पिलाया जाता है। कई गुरुद्वारों में इस महीने हर सप्ताह शबील लगाई जाती है।

*गुरु अर्जन देव जी के बलिदान होने के पश्चात् एक मुगल शेख़ अहमद सिरहिंदी ने अपनी चिठ्ठी “मकतूबत इमाम रब्बानी” में उनके बारे में लिखा कि,👇*

_"गोइंदवाल के इस भ्रष्ट काफ़िर की शहादत से हमारी एक बड़ी जीत हुई है, चाहे उसे कैसे भी और किसी भी बहाने से मरवाया गया हो, इससे काफिरों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। सारे मुसलमानो के लिए यह एक बहुत बड़े फायदे की बात है। इस काफिर के मरने से पहले मैंने एक सपना देखा था जिसमें बादशाह जहाँगीर ने कुफ़्र का सिर कुचल दिया था। इसमें में कोई शक नहीं है की यही काफिर, काफिरों का बड़ा मुखिया था।"_
मकतूबत इमाम रब्बानी – पृष्ठ क्रमांक १९३

मुझे व्यक्तिगत रूप से इस बात पूरा भरोसा है कि शेख़ अहमद सिरहिंदी को ऐसा कोई सपना नहीं आया होगा अपितु दिन रात खुली आँखों से वह ये सपना देखता जरूर होगा।

*मुग़लों ने हमारे सिख गुरुओं के अतिरिक्त भी और कई सारे सिखों/हिंदुओं को मरवाया था। परन्तु इस सब के बारे में हम में से संभवतः ही किसी ने कभी पढ़ा या सुना होगा। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है की हमने अपने स्कूलों में जो इतिहास की पुस्तकें पढ़ी हैं उनमें यह सब लिखा ही नहीं गया था।*
*लेकिन हम हिन्दुओं को अपने गौरवान्वित इतिहास की पूर्ण जानकारी अवश्य होनी चाहिए जिससे हम इस्लामिक और वामपंथी षड्यंत्रों से बचे रह सके।*
2024/09/28 11:16:18
Back to Top
HTML Embed Code: