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मसअला ये नहीं कि बहुत जिया जाए...

किस्सा सारा का सारा सुकूँ से जुड़ा है...!!
बिना जीते भी जीता जा सकता है...

दौड़ अव्वल आनें की थी ही नहीं...!!
एक रुका तो सब रुके...

नई बात नहीं आगे बढ़ना...!!
तुम्हें ज़्यादा सवरनें की आदत नहीं...

वरना सोचो कि हमारा हाल क्या होता...!!
ज़रूरी है दुश्मन भी एकाध यारों...

मुर्दा होंने का एहसास नहीं होता ऐसे...!!
बेईमानी भी क्या ईमानदारी का काम है...

हर बार पूरी शिद्दत से करना होता है...!!
तुम सफर में थे तो हम भी चुपचाप बैठे थे...

अब आओ मिलकर कुछ बातचीत करते हैं...!!
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ज़िन्दगी आसान लगने लगती है।

जब तुम मेरे हाथो को थाम लेते हो ।।
शुक्र है हम राज़ी हो गए तेरी चाहत को...

वरना ये सोच तेरे नखरे झेलता भी कौन...!!
एक एक पन्ने लिखनें में सौ सौ दफ़ा आँसू पोछे...

उसनें पढ़कर कहा ठीक है पर मज़ा नहीं आया...!!
गुज़र ही जाएँगे आशिक़ी लिखनें वाले कहनें वाले सुननें वाले...

मिलनी तो सिर्फ़ उन्हें ही है जिनकी किस्मत में हैं मिलनें वाले...!!
हम जहाँ भी राख की बात करते थे... वहीं पहुँच जाती थी ज़ख़्म की खुशबू...

हुआ ये कि जिंदगी का सबक देते हैं... अब नहीं आते हैं मौत के जुगनू...!!
न जाएँगे हम कहीं भी तुम्हारे कहनें से...

ये दुनियाँ गर जहन्नुम है तो यहीं रहेंगे...!!
सम्भल के मुस्कुराइए नजर न लग जाए...

ये हँसी शाम भी जल रही होगी आपसे...!!
नई नहीं है बात हमारी... किस्सा अब हो चुका पुराना...

मगर ये समझो इश्क़ है पूरा... घटा नहीं है खौफ़ तुम्हारा...!!
गुज़र गया अब तो चाँद भी मेरे सर से...

वो कहता है सोते को जगाया नहीं करते...!!
मज़बूरी रही होगी...

शौकिया तो दिल तोड़े नहीं जाते...!!
2024/09/28 18:12:55
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