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हम नहीं हैं वहाँ उनके साथ ख़ुश हैं फिर भी...

कम से कम हमारा ख़याल तो है उनके पास...!!
एक तेरा होना ही बहुत है साक़ी...

इसी बहानें ज़रा सा जी भी लेते हैं...!!
पता नहीं कब से जल रहा हूँ मैं...
पता नहीं कोई बुझाएगा कि नहीं...

एक चराग हूँ... मुक़द्दर है... लेकिन...
जल रहा हूँ एहसान तो मानों यारों...!!
बुरा हूँ मैं अगर ये मानकर अच्छा लगे तुमको...

मैं सच कहता है तुम ये मान लो कि मैं बुरा ही हूँ...!!
कुछ तो खास होगा हमारा ख़ुदा के साथ...

वरना उनसा कोई किसे मिलता है आजकल...!!
मैनें देखा उन्हें... अपनीं नज़र से हर नक़ाब उतार कर...

यकीन मानों हर बार वो उतनें ही क़ातिल नज़र आए...!!
चलो माना कि तुमसे ना इसलिए भी कर देते हैं...

कि मनाने का अंदाज़ तुम्हारा ज़रा पसंद है हमें...!!
ज़िक्र किया गया था मगर याद न रहा...

लब्ज़ अकेलापन कभी हमनें सुना तो था...!!
शायरों से सीखा है इश्क़ करना हमनें...

अब बताइए हमसे ज़्यादा करेगा कोई...!!
गर बंट गए है रौशनी और अंधेरा तो...

मुझे मंज़ूर है कि भोर या फिर साँझ बन जाऊं...!!
बिना मन के भी ख़ुश रहना अब आसान है यारों...

हुनर ये सीखा कि आईना देखकर मुस्कुराना है..!!
तमाम कोशिशों के बाद भी अगर सांस ना आए...

बस इतना करना है कि ज़ोर से हँस के रोना है...!!
निकाला एक पुराना फूल और नज़र भर के रोया आज...

वो मुरझाया सा पत्ता ज़हन में अब भी खूब महकता है...!!
पुराना नया मालूम नहीं पर कुछ तो है ज़रूर...

हम ना हँसे तो ना सही पर कुछ तो है क़ुसूर...!!
एक चांद बहुत दूरी पर है...
एक रात बहुत नज़दीक यहाँ...!!
गर चाँद को ताकें सारी रात...
तो नींद की है तकलीफ़ यहाँ...!!

तय हुआ कि चाँद अभी सो जाएगा...
पर ख़बर तो सारी झूठी थी...
सूरज की सुबह जब आंख खुली...
तब वक़्त तो था पर नींद न थी...!!
आईनें में कभी देखो ज़रा अपनीं बूढ़ी आँखों को...

पता तो चले कितनें दिन बाक़ी हैं उस हालत को...!!
असर कितना होता है तुम्हारी तस्वीरों का ये ना पूछा करो...

ये पूछो कितना वक्त लगता है ख़ुद को वापस ले आनें में...!!
2024/09/28 20:19:21
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