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न देखिए उस तस्वीर को इतनीं भी दिल्लगी के साथ...

कागज़ की हस्ती में दम नहीं कि वो जादू हो जाए...!!
उसकी आहट ज़रूरी है बेहतरीन नींद के लिए...

हाँ सच में बहुत ज़रूरी है सुकून से जीनें के लिए...!!
कहाँ की कमीं कहाँ नज़र आई...

ज़िंदगी है कुछ भरोसा नहीं साक़ी...!!
बस्ती देखनीं है गरीबों की आईए दिखाते हैं...

सिर्फ़ बात नहीं गाँव चलिए अमीरी दिखाते हैं...!!
इतनीं नसीहत की ज़रूरत तो नहीं थी एक दिन में...

मगर वो बह रहा था तो उबासी लेना भी ठीक नहीं था...!!
कुछ धागे काम कर जाते होंगे पूरी तरह...

बात यादों की है दवा तक का असर नहीं होता...!!
मसअला ये नहीं था कि कुछ ग़लत हो गया...

गले लगना और हाथ थाम बैठनें में एक चुनना था...!!
वो अपनीं अपनीं चाहत की डोरी से बंधे थे...

बात ख़ुश रहनें की एक दूसरे से करता नहीं था...!!
कहीं कहीं बोल देना चाहिए जब ज़रूरी हो जाए...

कभी कभार चुप रहना बुज़दिली कहलाता है...!!
क्या बचता उनके जानें के बाद...

जब हम ही न रहे और क्या चाहें...!!
कितना घुल गए हैं मुझमें वो रंगों की तरह...

वो हैं तभी तो हम यूँ गुलज़ार रहते हैं...!!
ग़ौर किया गया कि क्यों ऐसा माहौल बनाते हैं वो...

पता चला कि तमाम उम्र निकाली है उलझन के गिरफ्त में...!!
निकल गया वो झोंका बहुत दूर हमें छूकर...

ये भी है कि उसे क़ैद करनें की चाहत नहीं थी...!!
अच्छी बातों की भी एक खासियत है...

कहनें सुननें के लिए वक़्त अच्छा होना चाहिए...!!
बातें सुनाई गई हैं कि डर जाएँगे...

ऐसा तो नहीं कि सुनकर मर जाएँगे...!!
जितनें हैं उतनें सिक्कों से पेट भर जाए तो ठीक...

वरना ये दुनियाँ इतनीं भली नहीं कि सबका पेट भरे...!!
तुम्हें झुमकों की कसम है ख़ुश रहा करो...

गालों की मुस्कुराहट से उन्हें जान मिलती है...!!
साथ बैठकर तुमसे कहना था एक बार...

सुनो... इश्क़ नहीं करते तो क्या करते...!!
कितनीं बाक़ी है ज़िन्दगी नहीं है ख़बर...

तो ऐसा करते हैं हर रोज़ थोड़ा जीते ज़रूर हैं...!!
2024/09/28 20:20:14
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