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याद तो हैं वो हमको भी पर चोरी करना ठीक नहीं...

बाक़ी सबकुछ अपनीं जगह ग़ैर पर मरना ठीक नहीं...!!
छटपटाहट... जो नज़र से ओझल तो है... मगर... वही वज़ह है...

वरना ये लोग जो आसपास हैं.... अपनें हैं... पराये नहीं हैं...!!
ये चाहनें वाले ही हैं जो मारते हैं धीमें धीमें...

दुश्मनों का ठीक है की एक बार में किस्सा ख़त्म...!!
तारीफ़ नहीं तो और क्या है... हर बात तुम्हारी जँचती है...

ये डाँट जो सारे नख़रे हैं ... केवल सब मुझपर जँचती है...!!
बेहिसाब बातें कही गईं जानें आनें की...

तमाम बातें हुईं मगर वैसा कुछ न था...!!
इश्क़ और बेग़ैरती में इतना सा फ़र्क़ है...

इश्क़ साथ है... बेग़ैरती अकेलापन...!!
इतनीं शिद्दत से कोई साथ नहीं देता होगा...

जैसे वक़्त आनें पर अश्क़ देते हैं आँखों का...!!
ये मुमकिन है कि तुम भी कम ही जानते होगे...

मगर ताक़त तुम्हारे हाँथ में है सब मानना होगा...!!
अफ़सोस नहीं कहते इसको पर बात नई सी है साक़ी...

मयखानें की लत बेहतर है इश्क़ की तड़पन ठीक नहीं...!!
चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये..!!

अब मजा देने लगी है ज़िन्दगी की मुश्किलें..!! सुमित पी. शर्मा
अजीब दोस्तियाँ हैं बर्बाद होनें में साथ आख़िर तक...

सुधरनें की बातचीत पर ही सारी दोस्ती ख़त्म...!!
तुमसे माफ़ी की उम्मीद तो आंखें मूंद जानें तक रहेगी...

हमसे बेहतर तुम्हें और कई मिलते ज़रूर सफ़र में...!!
किसी को ज़िन्दगी से डर है तो किसी को मौत से।

मुझे डर है तो सिर्फ तुझे खोने से।।
यूँ नहीं माँगा था कि तू है तो सब कुछ होगा...

यूँ ही माना है कि तू गर ना हो सब नहीं होगा...!!
बग़ावत की ख़राबी यही है कि हरदम रहती है...

कभी किसी के लिए तो कभी किसी के साथ...!!
मत समझना कि अदाकर तुम ही बेहतर हो...

समझो कि अभी कुदरत का तमाशा बाक़ी है...!!
सीधे सीधे पूछकर देखते तो तभी मुकर जाते...

अपना वाला इश्क़ करते हैं बाज़ार वाला नहीं...!!
2024/09/28 18:13:05
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