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वो दिन गए कि जब मोहब्बत थी दोनो के लिए जान की बाज़ी

अब कोई एकतरफा चाहने वाला ही
होता है इसके लिए राजी
Forwarded from अधूरे अल्फाज़ 📝 (!!..ज़ालिमा..!!)
Too much trust,

sometimes Kills you..!
कब भला रोके से रुकते हैं बिछड़ने वाले

जाने वालों को न पीछे से पुकारा जाये
मेरे दिल को तेरी मौज़ूदगी की तलब नही रही...

तेरी यादों का कारवाँ मुझमें धड़कन सा चलता है...
औरत कभी चरित्रहीन नही होती ..

औरत के चरित्रहीन होने से पहले पुरुष अपना चरित्र खोता है.. !
पैसा जरूरी है

क्यूंकि लोग इश्क़ के लायक
रहे नहीं अब.
मैंने कहा रंगों से इश्क है मुझे ..
फिर जमाने ने हर रंग दिखाए मुझे..!!
कुछ गर्दिशें हैं मेरे मुक़द्दर में इन दिनों,,
अपने भी देखते हैं बड़ी बेरुखी के साथ
“बहुत हसीन रही थी नजदीकियाँ हमारी,

यकीनन फासले तो जानलेवा होने ही थे।”
फर्क था हम दोनो की मोहब्बत मे..
मुझे सिर्फ उससे ही थी.
उसे मुझसे भी थी..
घायल करके मुझे उसने पुछा..?
करोगे क्या फिर मोहब्बत मुझसे,

लहू-लुहान था दिल मगर..
होठों ने कहा..
बेइंतेहा.. बेइंतेहा..!!
तेरे ख्याल हमे सूली तक ले जाते हैं

फिर तुम्हारी कही बात याद आ जाती हैं

"ऐसा ख्याल भी मत लाना कभी..."

हमारे कदम कुर्सी तक जाने से पहले ही रुक जाते है...
💔💔
ना फिसलो इस उम्मीद में की कोई तुम्हें उठा लेगा,
सोचकर मत डुबो दरिया में की कोई तुम्हें बचा लेगा,
ये दुनिया तो एक अडडा है, तमाशबिनो का दोस्तो,
अगर देखा तुम्हें मुसीबत में तो हर कोई मज़ा लेगा...!!!
तुम्हें रोकना चहिए था इक बार,
'जैसी तुम्हारी मर्ज़ी'
बोलकर तुमने सब खतम कर दिया..
एक तरफ सांप 🐍 था और एक तरफ लड़का 👦

मैंने सांप पर भरोसा किया...😏
मैं अगर रूठ गयी,
तो आके मना लेना..
दुनिया से रूठ गई,
तो खुद को मना लेना...
मुद्दत हुई की आपने देखा नहीं हमें,
मुद्दत के बाद आपसे देखा न जायेगा।
2025/02/24 13:12:53
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