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*आत्मबोध🕉️🦁*

*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*

*दिवस :३१०/३५० (310/350)*

*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*

*अध्याय १८ श्लोक ०४ (18:04)*
*निश्चयं शृणु मे तत्र त्यागे भरतसत्तम।*
*त्यागो हि पुरुषव्याघ्र त्रिविध: सम्प्रकीर्तित:॥*

*शब्दार्थ—*
(पुरुषव्याघ्र) हे शेर पुरुष (भरतसत्तम) अर्जुन! (तत्रा) संन्यास और त्याग इन दोनोंमेसे पहले (त्यागे) त्यागके विषयमें तू (मे) मेरा (निश्चयम्) निश्चय (श्रृृणु) सुन (हि) क्योंकि (त्यागः) त्याग (त्रिविधः) तीन प्रकारका (सम्प्रकीर्तितः) कहा गया है।

*अनुवाद—*
हे पुरुषश्रेष्ठ अर्जुन ! संन्यास और त्याग, इन दोनों में से पहले त्याग के विषय में तू मेरा निश्चय सुन। क्योंकि त्याग सात्विक, राजस और तामस भेद से तीन प्रकार का कहा गया है।

*अध्याय १८ श्लोक ०५ (18:05)*
*यज्ञदानतप:कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत्।*
*यज्ञो दानं तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम्।।*

*शब्दार्थ—*
(यज्ञदानतपःकर्म) यज्ञ, दान और तपरूप कर्म (न, त्याज्यम्) त्याग करनेके योग्य नहीं है बल्कि (तत्) वह तो (एव) अवश्य (कार्यम्) कर्तव्य है क्योंकि (यज्ञः) यज्ञ (दानम्) दान (च) और (तपः) तप (एव) ही कर्म (मनीषिणाम्) बुद्धिमान् पुरुषोंको (पावनानि) पवित्र करनेवाले हैं।

*अनुवाद—*
यज्ञ, दान और तपरूप कर्म त्याग करने के योग्य नहीं है, बल्कि वह तो अवश्य कर्तव्य है, क्योंकि यज्ञ, दान और तप -ये तीनों ही कर्म बुद्धिमान पुरुषों को (वह मनुष्य बुद्धिमान है, जो फल और आसक्ति को त्याग कर केवल भगवदर्थ कर्म करता है।) पवित्र करने वाले हैं।

शेष क्रमश: कल

*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल  (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : (नवरात्रि विशेषांक ऋग्वेदान्तर्गत देवीसूक्तम) - आदिशक्ति(पारमेश्वरी ज्ञानशक्ति) ही सुपात्र व्यक्ति को मेधावान बना ब्रह्मा और ऋषि बनाती हैं*

*अहमेव स्वयमिदं वदामि जुष्टं देवेभिरुत मानुषेभिः । यं कामये तंतमुग्रं कृणोमि तं ब्रह्माणं तमृषिं तं सुमेधाम् ॥*

*(ऋग्वेद - मण्डल 10; सूक्त 125; मन्त्र 5)*

*मन्त्रार्थ—*
(अहम्-एव स्वयम्) मैं ही स्वयं (इदं वदामि) यह कहती हूँ (देवेभिः) ऋषियों द्वारा (उत) और (मानुषेभिः) मनुष्यों द्वारा (जुष्टम्) सेवन करने योग्य को (यं कामये) जिसको चाहती हूँ, पात्र मानती हूँ, (तं तम्) उस-उस को (उग्रम्) उत्कृष्ट (तं ब्रह्माणम्) उसे ब्रह्मा (तम्-ऋषिम्) उसे ऋषि (तं सुमेधाम्) उसे अच्छी मेधावाला (कृणोमि) करती हूँ, बनाती हूँ।

*व्याख्या—*
आदिशक्ति(पारमेश्वरी ज्ञान शक्ति) ही देवों और साधारण मनुष्यों के द्वारा सत्सङ्ग में आये मनुष्य को तेजस्वी बनाती है, ब्रह्मा बनाती है, ऋषि बनाती है, अच्छी मेधावाला बनाती है ।

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*नवरात्रि अष्टम् दिवस : देवी महागौरी*

*ॐ देवी महागौर्यै नमः*

*या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥*

जो सभी प्राणियों में कान्ति के रूप में स्थित हैं, उन देवी को नमन है।

महागौरी (महा= महान; गौरी= उज्ज्वल, स्वच्छ, गौर वर्ण की)। महागौरी का आशय अत्यधिक उज्ज्वल, स्वच्छ रंग, चंद्रमा की भांति प्रकाशित होता है। महागौरी अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति रखती हैं। महागौरी का चतुर्भुजी स्वरूप है, जिसमें हाथों में त्रिशूल, अभय मुद्रा, ढोल एवं आशीर्वाद मुद्रा होती है। वह एक श्वेत बैल की सवारी करती हैं एवं प्रायः श्वेत वस्त्र धारण करती हैं।
*बालासोर में हनुमान जयंती की शोभा यात्रा पर पथराव, उपद्रवियों ने SP की गाड़ी का शीशा भी फोड़ा : 4 घायल, पिछले वर्ष भी हुई थी ऐसी हिंसा*

रविवार (14 अप्रैल 2024) को ओडिशा के बालासोर में हनुमान जयंती से पहले निकाली गई शोभा यात्रा पर मजहबी भीड़ ने पथराव किया गया। इस पथराव की चपेट में यात्रा में शामिल कई श्रद्धालु आ गए और वहाँ भगदड़ जैसे हालात हो गए। पत्थबाजी के बाद यहाँ दोंनों पक्षों में झड़प भी हुई। पूरे विवाद में 4 लोग घायल हो गए हैं। हिंसा के दौरान पुलिस के एक वाहन को भी क्षतिग्रस्त किया गया है। हालात काबू करने के लिए क्षेत्र में बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिस स्थान पर पथराव हुआ पिछले वर्ष भी इसी स्थान पर ऐसी ही हिंसा हुई थी।
वर्तमान समय में वातावरण नियंत्रण में है। पुलिस केस दर्ज कर के घटना की जाँच कर रही है। वीडियो फुटेज व अन्य माध्यमों से आरोपितों की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस ने हमलावरों की जल्द गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/stones-pelted-at-hindus-taking-out-procession-on-hanuman-jayanti-in-balasore-odisha/
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*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*

*दिवस :३१२/३५० (312/350)*

*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*

*अध्याय १८ श्लोक ०८ (18:08)*
*दु:खमित्येव यत्कर्म कायक्लेशभयात्यजेत्।*
*स कृत्वा राजसं त्यागं नैव त्यागफलं लभेत्॥*

*शब्दार्थ—*
(यत्) जो कुछ (कर्म) भक्ति साधना का व शरीर निर्वाह के लिए कर्म है (दुःखम्, एव) दुःखरूप ही है (इति) ऐसा समझकर यदि कोई (कायक्लेशभयात्) शारीरिक क्लेशके भयसे अर्थात् कार्य करने को कष्ट मानकर कर्तव्य कर्मोंका (त्यजेत्) त्याग कर दे तो (सः) वह ऐसा (राजसम्) राजस (त्यागम्) त्याग (कृृत्वा) करके (त्यागफलम्) त्यागके फलको (एव) किसी प्रकार भी (न, लभेत्) नहीं पाता।

*अनुवाद—*
जो कुछ कर्म है वह सब दुःखरूप ही है- ऐसा समझकर यदि कोई शारीरिक क्लेश के भय से कर्तव्य-कर्मों का त्याग कर दे, तो वह ऐसा राजस त्याग करके त्याग के फल को किसी प्रकार भी नहीं पाता।

*अध्याय १८ श्लोक ०९ (18:09)*
*कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेऽर्जुन।*
*सङ्गं त्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।।*

*शब्दार्थ—*
(अर्जुन) हे अर्जुन! (यत्) जो (नियतम्) शास्त्रानुकूल (कर्म) कर्म (कार्यम्) करना कर्तव्य है (इति,एव) इसी भावसे (संगम्) आसक्ति (च) और (फलम्) फलका (त्यक्त्वा) त्याग करके (क्रियते) किया जाता है (सः,एव) वही (सात्त्विकः) सात्विक (त्यागः) त्याग (मतः) माना गया है।

*अनुवाद—*
हे अर्जुन! जो शास्त्रविहित कर्म करना कर्तव्य है- इसी भाव से आसक्ति और फल का त्याग करके किया जाता है- वही सात्त्विक त्याग माना गया है।

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेदानुसार स्तोता को परमेश्वर की भक्ति से क्या प्राप्त होता है?*

*अपिबत्कद्रुवः सुतमिन्द्रः सहस्रबाह्वे। तत्राददिष्ट पौꣳस्यम्॥*

*(सामवेद - मन्त्र संख्या : 131)*

*मन्त्रार्थ—*
(इन्द्रः) परमात्मा (कद्रुवः) ईषत् गति वाले बाधाओं से निर्बल दीन बने जन के (सुतम्-अपिबत्) अन्दर से निष्पन्न हावभावपूर्ण उपासनारस को सेवन करता है—स्वीकार करता है। तो (सहस्रबाह्वे) बहुत प्रकार बाधा—पीड़ा पहुँचाने वाली प्रवृत्तियों वाले के लिये—उसके हननार्थ (तत्र) उस दीन जन के अन्दर (पौंस्यम्) पुरुषार्थ को (आददिष्ट) अति सर्जित करता है—देता है—प्रेरित करता है।

*व्याख्या—*
जब दीन—बाधाओं से पीड़ितजन अपने अन्दर से हावभावपूर्ण स्तुतिप्रार्थना उपासनाप्रवाह परमात्मा के प्रति समर्पित करता है तो वह स्वीकार कर उन बाधाओं को हटाने के लिये उस दीन जन में पौरुष को प्रेरित कर देता है।

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*दिवस :३१३/३५० (313/350)*

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*अध्याय १८ श्लोक १० (18:10)*
*न द्वेष्ट्यकुशलं कर्म कुशले नानुषज्जते।*
*त्यागी सत्वसमाविष्टो मेधावी छिन्नसंशय:॥*

*शब्दार्थ—*
(अकुशलम्) अकुशल (कर्म) कर्मसे तो (न,द्वेष्टि) द्वेष नहीं करता और (कुशले) कुशल कर्ममें (न,अनुषज्जते) आसक्त नहीं होता वह (सत्त्वसमाविष्टः) सत्वगुणसे युक्त पुरुष (छिन्नसंशयः) संश्यरहित (मेधावी) बुद्धिमान् और (त्यागी) सच्चा त्यागी है।

*अनुवाद—*
जो मनुष्य अकुशल कर्म से तो द्वेष नहीं करता और कुशल कर्म में आसक्त नहीं होता- वह शुद्ध सत्त्वगुण से युक्त पुरुष संशयरहित, बुद्धिमान और सच्चा त्यागी है।

*अध्याय १८ श्लोक ११ (18:11)*
*न हि देहभृता शक्यं त्यक्तुं कर्माण्यशेषत:।*
*यस्तु कर्मफलत्यागी स त्यागीत्यभिधीयते।।*

*शब्दार्थ—*
(हि) क्योंकि (देहभृता) शरीरधारी किसी भी मनुष्यके द्वारा (अशेषतः) सम्पूर्णतासे (कर्माणि) सब कर्मोंका (त्यक्तुम्) त्याग किया जाना (न, शक्यम्) शक्य नहीं है (यः) जो (कर्मफलत्यागी) कर्मफलका त्यागी है (सः, तु) वही (त्यागी) त्यागी है (इति) यह (अभिधीयते) कहा जाता है।

*अनुवाद—*
क्योंकि शरीरधारी किसी भी मनुष्य द्वारा सम्पूर्णता से सब कर्मों का त्याग किया जाना शक्य नहीं है, इसलिए जो कर्मफल त्यागी है, वही त्यागी है- यह कहा जाता है।

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेद में आत्मा की नित्यता बता पुरुषार्थ करने का उपदेश*

*स्वासदसि सूषाअमृतो मर्त्येश्वा ॥*

*(अथर्ववेद - काण्ड 16; सूक्त 4; मन्त्र 2)*

*मंत्रार्थ—*
[हे आत्मा !] तू (स्वासत्) सुन्दर सत्तावाला, (सूषाः) सुन्दर प्रभातोंवाला [प्रभात के प्रकाश केसमान बढ़नेवाला] (आ) और (मर्त्येषु) मनुष्यों के भीतर (अमृतः) अमर (असि) है।

*व्याख्या—*
जो मनुष्य यह विचारतेहैं कि यह आत्मा जो बड़े पुण्यों के कारण इस मनुष्यशरीर में वर्तमान है, वहप्रभात के प्रकाश के समान उन्नतिशील और अमर अर्थात् नित्य और पुरुषार्थी है, वे संसार में बढ़ती करके यश पाते हैं।

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*‘केवल अल्लाह हू अकबर बोलो’ : हिंदू युवकों की ‘जय श्री राम’ बोलने पर पिटाई, भगवा लगे कार में सवार लोगों का सर फोड़ा-नाक तोड़ी*

बुधवार (17 अप्रैल, 2024) कॉन्ग्रेस सत्ता वाले कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में तीन हिन्दू युवक – बिनायक, डी पवन कुमार और राहुल –  रामनवमी के अवसर पर अपनी गाड़ी में भगवा झंडा लगा कर जय श्री राम का उद्घोष करते हुए जा रहे थे, जिस कारण दो बाइक सवार मुस्लिम युवकों ने उनको रोक कर उनके साथ मारपीट की। इसके बाद मुस्लिम युवक यहाँ से गए और अपने कुछ और साथियों को ले आए। इन्होंने हिन्दू युवकों पर लाठियों से प्रहार कर दिया। इस हमले में एक हिन्दू युवक के सर पर जबकि एक की नाक पर चोट आई। दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद इन हिन्दू युवकों से जबरन अल्लाह हू अकबर भी बुलवाया गया। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया है।  पुलिस ने FIR दर्ज करके कुछ आरोपितों को गिरफ्तार भी किया है।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/hindu-youth-attacked-for-jai-shri-ram-in-bengaluru-asked-to-chant-allah-hu-akbar-by-muslim-boys/
*डायबिटीज के मरीज हैं अरविंद केजरीवाल, फिर भी तिहाड़ में खा रहे हैं आम-मिठाई : ED ने कोर्ट में किया खुलासा, कहा- जमानत के लिए जानबूझकर बढ़ा रहे शुगर*

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। उनकी जमानत याचिका पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच ईडी ने केजरीवाल को लेकर कोर्ट में बड़ा दावा किया है। ईडी ने कहा कि केजरीवाल हाई ब्लड शुगर का दावा करते हैं लेकिन वह जेल के अंदर मिठाई और आम खा रहे हैं। ईडी ने कोर्ट से कहा है कि जमानत पाने के लिए अरविंद केजरीवाल खुद की तबियत खराब कर रहे हैं और इसके लिए वो तिहाड़ जेल में आलू-पूड़ी, आम और मिठाई खा रहे हैं। ईडी ने कहा कि अदालत ने उन्हें घर का खाना खाने की मंजूरी दी है। जेल डीजी ने हमें केजरीवाल की डाइट भेजी है। ईडी ने डाइट चार्ट कोर्ट के सामने रखा गया है। उन्हें शुगर-बीपी की समस्या है, लेकिन देखिए, वे क्या खा रहे हैं- आलू पूड़ी, केला, आम और हद से ज्यादा मीठी चीजें।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/politics/arvind-kejriwal-eating-mangoes-potatoes-to-get-bail-ed-says-in-court/
*लव जिहाद : हिंदू लड़की को अपने घर में बंधक बनाकर दरिंदगी करता रहा अयान पठान, पिटाई के बाद जख्मों पर डाली मिर्च, होठों को फेवीक्विक से चिपकाया : पीड़िता की हालत गंभीर*

मध्य प्रदेश के गुना जिले में मुस्लिम युवक अयान पठान ने एक हिंदू लड़की को अपने प्रेम जाल में फँसा लिया। लड़की की माँ को इस रिश्ते से आपत्ति थी, लेकिन माँ से लड़कर अयान के पास पहुँची लड़की को अयान ने अपने ही घर में महीने भर से ज्यादा समय तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान वो हिंदू लड़की से संबंध बनाता था और उसके साथ जमकर मारपीट करता था। उसने युवती को बेल्ट से मारने से पहले उसके होंठ फेवीक्विक से चिपका दिए ताकि वो चीख ना पाए तथा वो मारपीट से बने घावों पर लाल मिर्च डाल देता था। किसी तरह से लड़की अपनी जान बचाकर अपने घर पहुँची, तब जाकर इस मामले का खुलासा हो पाया। बेटी की हालत को देखते हुए उसकी माँ ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि युवती के पिता नहीं हैं और अयान पठान की नजर उसकी पैतृक संपत्ति पर थी।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/mp-love-jihad-hindu-girl-beaten-during-live-in-with-muslim-ayan-pathan-rubs-chilli-powder-and-sticks-lips-with-feviquick/
*झारखंड के बोकारो में रामनवमी की शोभा यात्रा पर इस्लामी भीड़ का हमला, 12 घायल : मस्जिद के पास हुई पत्थरबाजी*

झारखंड के बोकारो में बुधवार (17 अप्रैल, 2024) को रामनवमी के उपलक्ष्य में निकाली जा रही एक शोभा यात्रा को इस्लामी भीड़ ने मस्जिद के सामने रोक लिया। इसके बाद जुलूस पर पथराव भी किया। इस पथराव में कई हिन्दू श्रद्धालु घायल हो गए। अभी इस इलाके में भारी पुलिस बल तैनात करके धारा 144 लागू कर दी गई है।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/ram-navami-shobha-yatra-attacked-in-bokaro-pindrajora-by-islamists-stone-pelted/
*हनुमान दीक्षा ले रहे हिंदू छात्रों को मिशनरी स्कूल प्रशासन ने कक्षा में जाने से रोका, तनाव के बाद परिसर में तोड़फोड़, दोनों पक्षों ने दर्ज कराई FIR*

तेलंगाना के एक ईसाई मिशनरी स्कूल में छात्रों के धार्मिक पोशाक पहनने पर स्कूल प्रशासन ने आपत्ति जताई, जिसके बाद तनाव उत्पन्न हो गया और स्कूल में तोड़फोड़ की घटना हुई। यह घटना 16 अप्रैल 2024 को मंचेरियल जिले के कन्नेपल्ली गाँव में लक्सेटिपेट के मदर टेरेसा स्कूल में हुई। यहाँ पर कुछ हिंदू छात्र ‘हनुमान दीक्षा पोशाक’ पहनकर पहुँचे थे। भगवा रंग की धार्मिक पोशाक पहने हुए छात्रों को कथित सूचित किया गया था कि यदि वे बिना स्कूल यूनीफॉर्म के स्कूल आना चाहते हैं तो उनके माता-पिता को इसके लिए पहले अनुमति लेनी होगी। जब छात्र भगवा कपड़े और माला पहनकर आए तो स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें क्लास में जाने की अनुमति नहीं दी। उन्हें तब तक बाहर खड़ा रखा गया, जब तक वे अपने माता-पिता को स्कूल नहीं बुला लाए।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/telangana-school-vandalised-after-objection-to-saffron-attire-of-hindu-students/
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*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

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*अध्याय १८ श्लोक १२ (18:12)*
*अनिष्टमिष्टं मिश्रं च त्रिविधं कर्मण: फलम्।*
*भवत्यत्यागिनां प्रेत्य न तु सन्न्यासिनां क्वचित्॥*

*शब्दार्थ—*
(अत्यागिनाम्) कर्मफलका त्याग न करनेवाले मनुष्योंके (कर्मणः) कर्मोंका (इष्टम्) शुभ (अनिष्टम्) अशुभ (च) और (मिश्रम्) मिश्रित (त्रिविधम्) तीन प्रकारका (फलम्) फल (प्रेत्य) मरनेके पश्चात् (भवति) होता है (तु) किंतु (सन्न्यासिनां) कर्मफलका त्याग कर देनेवाले मनुष्योंके कर्मोंका फल (क्वचित्) किसी कालमें भी (न) नहीं होता (पूर्ण मोक्ष हो जाता है)।

*अनुवाद—*
कर्मफल का त्याग न करने वाले मनुष्यों के कर्मों का तो अच्छा, बुरा और मिश्रित- ऐसे तीन प्रकार का फल मरने के पश्चात अवश्य होता है, किन्तु कर्मफल का त्याग कर देने वाले मनुष्यों के कर्मों का फल किसी काल में भी नहीं होता।

*अध्याय १८ श्लोक १३ (18:13)*
*पञ्चैतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे।*
*साङ्ख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम् ।।*

*शब्दार्थ—*
(महाबाहो) हे महाबाहो! (सर्वकर्मणाम्) सम्पूर्ण कर्मोंकी (सिद्धये) सिद्धिके (एतानि) ये (पञ्च) पाँच (कारणानि) हेतु ( कृतान्ते) कर्मोंका अन्त करनेके लिये उपाय बतलानेवाले (साङ्ख्ये) सांख्य दर्शन में (प्रोक्तानि) कहे गये हैं उनको तू (मे) मुझसे (निबोध) भलीभाँति जान।

*अनुवाद—*
हे महाबाहो! सम्पूर्ण कर्मों की सिद्धि के ये पाँच हेतु कर्मों का अंत करने के लिए उपाय बतलाने वाले सांख्य-दर्शन में कहे गए हैं, उनको तू मुझसे भलीभाँति जान।

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेदानुसार, सर्वोत्तम पथप्रदर्शक/मित्र कौन है?*

*य आनयत्परावतः सुनीती तुर्वशं यदुम्। इन्द्रः स नो युवा सखा॥*

*(सामवेद - मन्त्र संख्या : 127)*

*मन्त्रार्थ—*
(यः-इन्द्रः) जो ऐश्वर्यवान् परमात्मा (सुनीती) सुनीति-शोभन नेतृत्व से—पथप्रदर्शकता से (परावतः) दूर गये—पथभ्रष्ट कुमार्ग से (यदुम्) मनुष्य को “यदवः मनुष्याः” [निघं॰ २.३] (तुर्वशम्-आनयत्) समीप—अपने समीप—सन्मार्ग में “तुर्वशः-अन्तिकनाम” [निघं॰ २.१६] ले आता है (सः-नः) वह हमारे (युवा सखा) सदा बलवान् बना रहने वाला मित्र है।

*व्याख्या—*
परमात्मा शोभन पथप्रदर्शकता से भटके हुए जन को सुपथ पर ले आता है वह मानव का सदा साथी मित्र है उस जैसा पथप्रदर्शक और मित्र कोई नहीं है।

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*आत्मबोध🕉️🦁*

*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*

*दिवस :३१६/३५० (316/350)*

*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*

*अध्याय १८ श्लोक १६ (18:16)*
*तत्रैवं सति कर्तारमात्मानं केवलं तु य:।*
*पश्यत्यकृतबुद्धित्वान्न स पश्यति दुर्मति:।।*

*शब्दार्थ—*
(तु) परंतु (एवम्) ऐसा (सति) होनेपर भी (यः) जो मनुष्य (अकृतबुद्धित्वात्) अशुद्धबुद्धि होने के कारण (तत्र) उस विषयमें अर्थात् कर्मोंके होनेमें (केवलम्) केवल (आत्मानम्) जीवात्मा अर्थात् जीव को (कर्तारम्) कर्त्ता (पश्यति) समझता है (सः) वह (दुर्मतिः) दुर्बुद्धिवाला अज्ञानी (न,पश्यति) यथार्थ नहीं समझता।

*अनुवाद—*
परन्तु ऐसा होने पर भी जो मनुष्य अशुद्ध बुद्धि (सत्संग और शास्त्र के अभ्यास से तथा भगवदर्थ कर्म और उपासना के करने से मनुष्य की बुद्धि शुद्ध होती है, इसलिए जो उपर्युक्त साधनों से रहित है, उसकी बुद्धि अशुद्ध है, ऐसा समझना चाहिए।) होने के कारण उस विषय में अर्थात् कर्मों के होने में केवल शुद्ध स्वरूप आत्मा को कर्ता समझता है, वह मलीन बुद्धि वाला अज्ञानी यथार्थ नहीं समझता।

*अध्याय १८ श्लोक १७ (18:17)*
*यस्य नाहङ् कृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते।*
*हत्वाऽपि स इमाँल्लोकान्न हन्ति न निबध्यते।।*

*शब्दार्थ—*
(यस्य) जिसे (अहङ्कृतः) ‘मैं कर्त्ता हूँ‘ ऐसा (भावः) भाव (न) नहीं है तथा (यस्य) जिसकी (बुद्धिः) बुद्धि (न, लिप्यते) लिपायमान नहीं होती (सः) वह (इमान्) इन (लोकान्) सब लोकोंको (हत्वा) मारकर (अपि) भी (न) न तो (हन्ति) मारता है और (न) न (निबध्यते) बँधता है।

*अनुवाद—*
जिस पुरुष के अन्तःकरण में 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा भाव नहीं है तथा जिसकी बुद्धि सांसारिक पदार्थों में और कर्मों में लिपायमान नहीं होती, वह पुरुष इन सब लोकों को मारकर भी वास्तव में न तो मरता है और न पाप से बँधता है।

शेष क्रमश: कल

*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल  (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेद में सब विद्वान् लोग कैसे हों और संसारी मनुष्यों के साथ कैसे अपना वर्त्ताव करें? का उपदेश*

*आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। देवा नो यथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेऽदिवे ॥*
*(ऋग्वेद - मण्डल 1; सूक्त 89; मन्त्र 1)*

*मन्त्रार्थ—*
(यथा) जैसे जो (विश्वतः) सब ओर से (भद्राः) सुख करने और (क्रतवः) अच्छी क्रिया वा शिल्पयज्ञ में बुद्धि रखनेवाले (अदब्धासः) अहिंसक (अपरीतासः) न त्याग के योग्य (उद्भिदः) अपने उत्कर्ष से दुःखों का विनाश करनेवाले (अप्रायुवः) जिनकी उमर का वृथा नाश होना प्रतीत न हो (देवाः) ऐसे दिव्य गुणवाले विद्वान् लोग जैसे (नः) हम लोगों को (सदम्) विज्ञान व घर को (आ+यन्तु) अच्छे प्रकार पहुँचावें, वैसे (दिवेदिवे) प्रतिदिन (नः) हमारे (वृधे) सुख के बढ़ाने के लिये (रक्षितारः) रक्षा करनेवाले (इत्) ही (असन्) हों ।

*व्याख्या -*
जैसे सब ऋतुओं में सुख देने योग्य श्रेष्ठ घर, सब सुखों को पहुँचाता है, वैसे ही विद्वान् लोग, विद्या और शिल्पयज्ञ सुख करनेवाले होते हैं।

अतः हर ओर से सुविचार, सत्कार्य और मेधावी सज्जन लोग आएं और और हमें आशीर्वाद दें। निडर, अपरिहार्य, रचनात्मक और सर्वांगीण रक्षक लोग दीर्घायु हों, दिव्य चरित्र के ये महान लोग, सदैव प्रगति के आकांक्षी हों और हमारे संरक्षक हों ताकि हमारा जीवन और घर दिनोंदिन निरन्तर सुखमय प्रगति करे।

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*आत्मबोध🕉️🦁*

*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*

*दिवस :३१७/३५० (317/350)*

*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*

*अध्याय १८ श्लोक १८ (18:18)*
*ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना।*
*करणं कर्म कर्तेति त्रिविध: कर्मसंग्रह:॥*

*शब्दार्थ—*
(परिज्ञाता) ज्ञाता (ज्ञानम्) ज्ञान और (ज्ञेयम्) ज्ञेय (त्रिविधा) यह तीन प्रकारकी (कर्मचोदना) कर्म-प्रेरणा है और (कर्ता) कत्र्ता (करणम्) करनी तथा (कर्म) क्रिया (इति) यह (त्रिविधः) तीन प्रकारका (कर्मसंग्रहः) कर्म-संग्रह है।

*अनुवाद—*
ज्ञाता (जानने वाले का नाम 'ज्ञाता' है।), ज्ञान (जिसके द्वारा जाना जाए, उसका नाम 'ज्ञान' है। ) और ज्ञेय (जानने में आने वाली वस्तु का नाम 'ज्ञेय' है।)- ये तीनों प्रकार की कर्म-प्रेरणा हैं और कर्ता (कर्म करने वाले का नाम 'कर्ता' है।), करण (जिन साधनों से कर्म किया जाए, उनका नाम 'करण' है।) तथा क्रिया (करने का नाम 'क्रिया' है।)- ये तीनों प्रकार का कर्म-संग्रह है।

*अध्याय १८ श्लोक १९ (18:19)*
*ज्ञानं कर्म च कर्ता च त्रिधैव गुणभेदत:।*
*प्रोच्यते गुणसङ् ख्याने यथावच्छृणु तान्यपि।।*

*शब्दार्थ—*
(गुणसङ्ख्याने) गुणोंकी संख्या करनेवाले शास्त्रामें (ज्ञानम्) ज्ञान (च) और (कर्म) कर्म (च) तथा (कर्ता) कत्र्ता (गुणभेदतः) गुणोंके भेदसे (त्रिधा) तीन-तीन प्रकारके (एव) ही (प्रोच्यते) कहे गए हैं। (तानि) उनको (अपि) भी तू मुझसे (यथावत्) भलीभाँति (श्रृणु) सुन।

*अनुवाद—*
गुणों की संख्या करने वाले शास्त्र में ज्ञान और कर्म तथा कर्ता गुणों के भेद से तीन-तीन प्रकार के ही कहे गए हैं, उनको भी तु मुझसे भलीभाँति सुन।

शेष क्रमश: कल

*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल  (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेदानुसार किस प्रकार मनुष्य,परमात्मप्रार्थना व पुरुषार्थ से दैवी, भौतिक सम्पदा को अर्जित कर सुखी होवें?*

*एन्द्र सानसिꣳ रयिꣳ सजित्वानꣳ सदासहम् । वर्षिष्ठमूतये भर॥*

*(सामवेद - मन्त्र संख्या : 129)*

*मन्त्रार्थ—*
हे (इन्द्र) परमैश्वर्यशाली, परम ऐश्वर्य के दाता परमात्मन् आप (सानसिम्) संभजनीय, (सजित्वानम्) सहोत्पन्न शत्रुओं को जीतनेवाले, (सदासहम्) सदा दुष्ट शत्रुओं का अभिभव करानेवाले और दुःखों को सहन करानेवाले, (वर्षिष्ठम्) अतिशय बढ़े हुए और बढ़ानेवाले (रयिम्) अहिंसा, सत्य, शम, दम आदि दैवी सम्पदा को तथा विद्या, धन, बल, चक्रवर्ती राज्य आदि भौतिक ऐश्वर्य को (ऊतये)) हमारी रक्षा, प्रगति, प्रीति और तृप्ति के लिए (आ भर) प्रदान कीजिए।

*व्याख्या—*
सब मनुष्यों को इन्द्र अर्थात् परमैश्वर्यशाली, परम ऐश्वर्य के दाता परमात्मा से याचना करके और अपने पुरुषार्थ द्वारा अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वरप्रणिधान, शम, दम, तेज तप, क्षमा, धृति आदि दैवी सम्पदा और विद्या, धन, बल, दीर्घायुष्य, पशु, पुत्र, पौत्र, कलत्र, चक्रवर्ती राज्य आदि भौतिक सम्पदा का उपार्जन करना चाहिए।

*हिन्दू एकता संघ द्वारा सनातन धर्म के मूल ग्रन्थ वेदों के कल्याणकारी मन्त्रों के प्रचार हेतु बनाए गए नए इंस्टाग्राम पेज @vedicdarshan से जुड़ें 👇🏻🕉️*

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2024/09/28 09:35:58
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