*इतिहासबोध🦁🚩*
*चैत्र शुक्ल पूर्णिमा : श्री हनुमंत जन्मोत्सव*
*मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।*
*वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥*
जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्दिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूं।
*श्री हनुमान जन्मोत्सव की सभी सनातनधर्मियों को हार्दिक शुभकामनाएं... जय जय श्री राम 🕉️💐🚩🚩*
*चैत्र शुक्ल पूर्णिमा : श्री हनुमंत जन्मोत्सव*
*मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।*
*वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥*
जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्दिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूं।
*श्री हनुमान जन्मोत्सव की सभी सनातनधर्मियों को हार्दिक शुभकामनाएं... जय जय श्री राम 🕉️💐🚩🚩*
*श्री हनुमत् जन्मोत्सवस्य शुभाशयाः🕉️🚩🚩*
*बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं निर्भयत्वमरोगता।*
*अजाड्यं वाक्पटुत्वं च हनुमत्स्मरणाद्भवेत्॥*
*बुद्धि, बल, यश, धैर्य, निर्भयता, स्वास्थ्य, चेतना, और वाक्पटुता, ये सब श्री हनुमान् जी का स्मरण करने से प्राप्त हों।*
*जय श्रीराम🚩🚩*
*बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं निर्भयत्वमरोगता।*
*अजाड्यं वाक्पटुत्वं च हनुमत्स्मरणाद्भवेत्॥*
*बुद्धि, बल, यश, धैर्य, निर्भयता, स्वास्थ्य, चेतना, और वाक्पटुता, ये सब श्री हनुमान् जी का स्मरण करने से प्राप्त हों।*
*जय श्रीराम🚩🚩*
*काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।*
*कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो।*
*बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।।*
*को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।*
*आप सभी को श्री हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।*
*जय जय श्री राम!🚩🚩*
*कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो।*
*बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।।*
*को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।*
*आप सभी को श्री हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।*
*जय जय श्री राम!🚩🚩*
*जिनके मन में है श्रीराम, जिनके तन में हैं श्री राम।*
*जग में सबसे हैं वो बलवान,ऐसे प्यारे मेरे हनुमान।*
*जय श्रीराम… जय हनुमान*
*हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं*
*#हनुमान_जन्मोत्सव*🚩🚩
*जग में सबसे हैं वो बलवान,ऐसे प्यारे मेरे हनुमान।*
*जय श्रीराम… जय हनुमान*
*हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं*
*#हनुमान_जन्मोत्सव*🚩🚩
*राम का हूँ भक्त मैं, रूद्र का अवतार हूँ,*
*अंजनी का लाल हूँ मैं, दुर्जनों का काल हूँ।*
*साधुजन के साथ हूँ मैं, निर्बलो की आस हूँ,*
*सद्गुणों का मान हूँ मैं, हां मैं हनुमान हूँ।।*
*श्री #हनुमान_जन्मोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।...जय श्री राम🙏🚩*
*अंजनी का लाल हूँ मैं, दुर्जनों का काल हूँ।*
*साधुजन के साथ हूँ मैं, निर्बलो की आस हूँ,*
*सद्गुणों का मान हूँ मैं, हां मैं हनुमान हूँ।।*
*श्री #हनुमान_जन्मोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।...जय श्री राम🙏🚩*
*इतिहासबोध🦁🚩*
*चैत्र शुक्ल पूर्णिमा – पुण्यतिथि : हिंदू स्वराज्य के प्रणेता एवं संस्थापक वीर शिरोमणि श्री श्री छत्रपति शिवाजी राजे भोंसले*
छत्रपति शिवाजी महाराज का देहान्त चैत्र शुक्ल पूर्णिमा आंग्ल तिथिनुसार 3 अप्रैल, 1680 को 50 वर्ष की आयु में रायगढ़ दुर्ग में हनुमान जन्मोत्सव के दिन अस्वस्थता के कारण हुई थी। एक महान् शासक, एक महान् राजा, मराठा साम्राज्य के संस्थापक, हिन्दू स्वराज्य का स्वप्न देख उसे साकार करने वाले, एक शक्तिशाली, निष्ठावान, पराक्रमी व्यक्ति, जिन्होंने अपने अतुलनीय कौशल से इतिहास रचा, छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सुनहरे अक्षरों में सदैव के लिए लोगों के हृदयों में अंकित है। हिन्दवी स्वराज के संस्थापक वीर शिरोमणि #छत्रपती_शिवाजी_महाराज की पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन।🙏🏼🙏🏼
*चैत्र शुक्ल पूर्णिमा – पुण्यतिथि : हिंदू स्वराज्य के प्रणेता एवं संस्थापक वीर शिरोमणि श्री श्री छत्रपति शिवाजी राजे भोंसले*
छत्रपति शिवाजी महाराज का देहान्त चैत्र शुक्ल पूर्णिमा आंग्ल तिथिनुसार 3 अप्रैल, 1680 को 50 वर्ष की आयु में रायगढ़ दुर्ग में हनुमान जन्मोत्सव के दिन अस्वस्थता के कारण हुई थी। एक महान् शासक, एक महान् राजा, मराठा साम्राज्य के संस्थापक, हिन्दू स्वराज्य का स्वप्न देख उसे साकार करने वाले, एक शक्तिशाली, निष्ठावान, पराक्रमी व्यक्ति, जिन्होंने अपने अतुलनीय कौशल से इतिहास रचा, छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सुनहरे अक्षरों में सदैव के लिए लोगों के हृदयों में अंकित है। हिन्दवी स्वराज के संस्थापक वीर शिरोमणि #छत्रपती_शिवाजी_महाराज की पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन।🙏🏼🙏🏼
*आत्मबोध🕉️🦁*
*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*
*दिवस :३१८/३५० (318/350)*
*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*
*अध्याय १८ श्लोक २० (18:20)*
*सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते।*
*अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्विकम्॥*
*शब्दार्थ—*
(येन) जिस ज्ञानसे मनुष्य (विभक्तेषु) पृथक्-पृथक् (सर्वभूतेषु) सब प्राणियोंमें (एकम्) एक (अव्ययम्) अविनाशी परमात्मा (भावम्) भावको (अविभक्तम्) विभागरहित समभावसे स्थित (ईक्षते) देखता है (तत्) उस (ज्ञानम्) ज्ञानको तो तू (सात्त्विकम्) सात्विक (विद्धि) जान।
*अनुवाद—*
जिस ज्ञान से मनुष्य पृथक-पृथक सब भूतों में एक अविनाशी परमात्मभाव को विभागरहित समभाव से स्थित देखता है, उस ज्ञान को तू सात्त्विक जान।
*अध्याय १८ श्लोक २१ (18:21)*
*पृथक्त्वेन तु यज्ज्ञानं नानाभावान्पृथग्विधान्।*
*वेत्ति सर्वेषु भूतेषु तज्ज्ञानं विद्धि राजसम्।।*
*शब्दार्थ—*
(तु) किंतु (यत्) जो (ज्ञानम्) ज्ञान (सर्वेषु) सम्पूर्ण (भूतेषु) प्राणियोंमें (पृथग्विधान्) भिन्न-भिन्न प्रकारके (नानाभावान्) नाना भावोंको (पृृथक्त्वेन) अलग-अलग (वेत्ति) जानता है (तत्) उस (ज्ञानम्) ज्ञानको तू (राजसम्) राजस (विद्धि) जान।
*अनुवाद—*
किन्तु जो ज्ञान अर्थात जिस ज्ञान के द्वारा मनुष्य सम्पूर्ण भूतों में भिन्न-भिन्न प्रकार के नाना भावों को अलग-अलग जानता है, उस ज्ञान को तू राजस जान।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
*🕉️हिन्दू एकता संघ✊🏻 के चैनल से जुड़ने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर click करें👇🏻*
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*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*
*अध्याय १८ श्लोक २० (18:20)*
*सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते।*
*अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्विकम्॥*
*शब्दार्थ—*
(येन) जिस ज्ञानसे मनुष्य (विभक्तेषु) पृथक्-पृथक् (सर्वभूतेषु) सब प्राणियोंमें (एकम्) एक (अव्ययम्) अविनाशी परमात्मा (भावम्) भावको (अविभक्तम्) विभागरहित समभावसे स्थित (ईक्षते) देखता है (तत्) उस (ज्ञानम्) ज्ञानको तो तू (सात्त्विकम्) सात्विक (विद्धि) जान।
*अनुवाद—*
जिस ज्ञान से मनुष्य पृथक-पृथक सब भूतों में एक अविनाशी परमात्मभाव को विभागरहित समभाव से स्थित देखता है, उस ज्ञान को तू सात्त्विक जान।
*अध्याय १८ श्लोक २१ (18:21)*
*पृथक्त्वेन तु यज्ज्ञानं नानाभावान्पृथग्विधान्।*
*वेत्ति सर्वेषु भूतेषु तज्ज्ञानं विद्धि राजसम्।।*
*शब्दार्थ—*
(तु) किंतु (यत्) जो (ज्ञानम्) ज्ञान (सर्वेषु) सम्पूर्ण (भूतेषु) प्राणियोंमें (पृथग्विधान्) भिन्न-भिन्न प्रकारके (नानाभावान्) नाना भावोंको (पृृथक्त्वेन) अलग-अलग (वेत्ति) जानता है (तत्) उस (ज्ञानम्) ज्ञानको तू (राजसम्) राजस (विद्धि) जान।
*अनुवाद—*
किन्तु जो ज्ञान अर्थात जिस ज्ञान के द्वारा मनुष्य सम्पूर्ण भूतों में भिन्न-भिन्न प्रकार के नाना भावों को अलग-अलग जानता है, उस ज्ञान को तू राजस जान।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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