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तुम्हारे हाथों में बस हम ही जचते है

वैसे दावा वो सोने का कंगन भी करता है.....
..सीने में कुछ खाली सा, खोखला सा महसूस होता है.. खैर वक़्त के साथ, किसी न किसी चीज़ से भर जाएगा, दिल ही तो है.. 💔
झूठ बोला था तो यूँ मेरा दहन दुखता है
सुबह दम जैसे तवायफ़ का बदन दुखता है

ख़ाली मटकी की शिकायत पे हमें भी दुख है
ऐ ग्वाले मगर अब गाय का थन दुखता है

उम्र भर साँप से शर्मिन्दा रहे ये सुन कर
जबसे इन्सान को काटा है तो फन दुखता है

ज़िन्दगी तूने बहुत ज़ख़्म दिये है मुझको
अब तुझे याद भी करता हूँ तो मन दुखता है


👻🥀💔
छोड़ कर जा रहे हो हमें ये पक्की बात है क्या

सब कहते हैं तुम्हें कोई मिल गया ये सच्ची बात है क्या

और नहीं साथ देना तो मना कर दो हमको यार

तुम्हारा ऐसे मुंह छुपा कर जाना अच्छी बात है क्या


#SOMEONE_SPECIAL

👻🥀💔
एक ग़ज़ल, तुम्हारे लिए जरूर लिखेंगे

बे-हिसाब उसमें तुम्हारा कसूर लिखेंगे
👻🥀💔
मधुमक्खी से याद आया मिठास तो बहुत थी
उसमें बस बीच बीच में डंक मारा करती थी 😒
👻🥀💔
मैं तुम्हे जितना समझ सकता हूँ उस से कहीं अधिक समझना हर बार बच जाता है तुम पूरी कभी समझ नहीं आई या फिर मेरी समझने की पकड़ कमजोर है जब लगा.. मैं तुम्हे समझता हूँ तभी ऐसा कुछ घटता कि तुम मेरी समझ से बाहर हो जाती इसका कारण हमारा अलग-अलग शहर से होना हो सकता है.. या फिर कभी ना मिलना

👻🥀💔
दिल करता है मेरी हर शायरी पर तेरा नाम लिखूं
फिर याद आता है तो गुस्से में लाल पीली हो जाएगी
फिर मैं तेरा emoji 👻शायरी पर लगाकर दिल को मना लेता हूं
👻
#SOMEONE_SPECIAL
👻🥀💔
ख़ामोशियों में सवाल क्या है कोई न समझा

हमें है क्या ग़म मलाल क्या है कोई न समझा

जवाब देने की इतनी जल्दी पड़ी थी सब को

सवाल ये है सवाल क्या है कोई न समझा।
👻🥀💔
सिर्फ उससे इक एहसास अपनी
मोहब्बत का जताने के लिए

ना जाने, कितने शेर लिख दिए
हमने, जमाने के लिए
👻🥀💔
👻
इतना भी ना रूठा करो आप हमसे ...😣
___🌹
आप हमारे किस्मत में वैसे भी नहीं हो ....❤️
                       💔
👻🥀💔
उसे बयाँ करूँगा ज़ायके में
लिखूँगा की वो चरस जैसी थी

👻🥀💔
सम्भाल कर रखना मुझे
*पुराने कैलेंडर* की तरह ,
भूली बिसरी कोई बात
*याद दिलाने के काम आऊंगा*
👻🥀💔
..
♡ ये नव-वर्ष हमें स्वीकार नहीं ♡
रामधारीसिंह 'दिनकर' जी की कविता

ये नव-वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं.
है अपनी ये तो रीत नहीं,
है अपना ये व्यवहार नहीं.
🌴
धरा ठिठुरती है सर्दी से,
आकाश में कोहरा गहरा है.
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर,
सर्द हवा का पहरा है.
🌴
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं, उमंग नहीं ..
हर एक है घर में दुबका हुआ
नव-वर्ष का ये कोई ढंग नहीं.
🌴
चंद मास अभी इंतज़ार करो,
निज मन में तनिक विचार करो.
नया साल नया कुछ हो तो सही,
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही.
🌴
उल्लास मंद है जन-मन का,
आयी है अभी बहार नहीं.
ये नव-वर्ष हमें स्वीकार नहीं,
है अपना ये त्यौहार नहीं.
🌴
ये धुंध कुहासा छंटने दो,
रातों का राज्य सिमटने दो.
प्रकृति का रूप निखरने दो,
फागुन का रंग बिखरने दो.
🌴
प्रकृति दुल्हन का रूप धार,
जब स्नेह-सुधा बरसायेगी.
शस्य-श्यामला धरती माता,
घर-घर खुशहाली लायेगी.
🌴
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि,
नव-वर्ष मनाया जायेगा.
'आर्यावर्त' की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा.
🌴
युक्ति-प्रमाण से स्वयंसिद्ध,
नव-वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध.
आर्यों की कीर्ति सदा-सदा,
नव-वर्ष चैत्र-शुक्ल-प्रतिपदा.
🌴
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं,
◆ ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, ◆
है अपना ये त्यौहार नहीं.
है अपनी ये तो रीत नहीं,
★ है अपना ये त्यौहार नहीं. ★
2023 जाते–जाते मेरी ओवरथिंकिंग, पतन, स्ट्रेस, एंक्साइटी, दुख, दर्द, पीड़ा, वेदना, कष्ट, तकलीफ़, संताप, अफ़सोस, परेशानी, दुखावन, क्लेश, संदेह, शोक, अशांति, व्यथा, रोग, विपदा, दुर्भाग्य, अद्याय, व्यथित, अवसाद इत्यादि लेते हुए जाना।। 🙏🚶
हर साल की तरह इस साल भी ,

हमारी सारी खुवाहिसे अधूरी रह गई।" 🖤
उम्र की डोर से फ़िर
एक मोती झड़ रहा है....

तारीख़ों के जीने से
दिसम्बर फ़िर उतर रहा है....

कुछ चेहरे घटे, चन्द यादें
जुड़ गये वक़्त में
उम्र का पंछी नित दूर और
दूर निकल रहा है....

गुनगुनी धूप और ठिठुरी
रातें जाड़ों की
गुज़रे लम्हों पर झीना-झीना सा
इक़ पर्दा गिर रहा है....

ज़ायका लिया नहीं और
फ़िसल गयी ज़िन्दगी
वक़्त है कि सब कुछ समेटे
बादल बन उड़ रहा है....

फ़िर एक दिसम्बर गुज़र रहा है,
बूढ़ा दिसम्बर, जवान जनवरी क़दमों मे बिछा रहा है
लो इक्कीसवीं सदी को चौबीसवाँ साल लग रहा है....😊😊
👻🥀💔
उठने वाली है नए साल की डोली ,
आज गुज़रे दिसंबर का फिर जनाज़ा है ।।
👻🥀💔
चाय से आशिकी का मेरा ख्याल नहीं बदलेगा ,
साल तो बदलेगा मगर दिल का हाल नहीं बदलेगा। ❤️
👻🥀💔
2024/09/29 00:22:31
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