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व एवं प्राणीमात्रके कल्याणसम्बन्धी विषयोंपर निरन्तर चिन्तन-मनन करते रहते हैं और भारत तथा नेपालके प्रमुख शिक्षणसंस्थानों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, सामाजिक-धार्मिक कार्पामों एवं गोष्ठियोंमें प्रौढनागरिकों, युवाओं एवं छात्रोंके बीच प्रवचन कर मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं ।

सनातन वैदिक वाङ्मय सम्बन्धी लेखनके क्षेत्रमें भी महाराजश्रीका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान है । अभी तक उनके द्वारा विरचित एक सौ सत्तरसे अधिक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें डेढ़ दर्जनसे अधिक ग्रन्थ वैदिक वाङ्मयमें अन्तर्निहित गणित पर हैं । अभी तक 110से अधिक देशोंके गणितज्ञ और वैज्ञानिक महाराजश्रीसे गणितपर मार्गदर्शन ले चुके हैं। महाराजश्री द्वारा विरचित ‘स्वस्तिक गणित' नामक पुस्तकने ऑक्फोर्ड तथा कैम्ब्रीज विश्वविद्यालयों सहित अनेक देशों एवं विश्वविद्यालयोंके गणितज्ञोंको विशेषरूपसे आकर्षित किया है।

उनके द्वारा विरचित गणितके नौवें ग्रन्थ ‘गणितसूत्रम्'में 304 सूत्र हैं जिनमें 61 सूत्र वेदों एवं उपनिषदोंसे लिये गये हैं बाकी 242 स्वयं महाराजश्री द्वारा रचित है ।

गोवर्द्धनमठ पुरीके वर्तमान श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाभागका मानना है कि सनातन परम्पराके अनुसरण और ािढयान्वयनसे विश्वमें शान्ति स्थापित होगी और भारत पुन विश्वगुरु बनकर प्राणीमात्रके कल्याणका मार्ग प्रशस्त करेगा ।

महाराजश्री द्वारा स्थापित और उनके मार्गदर्शनमें सञ्चालित ‘पीठपरिषद्' और उसके अन्तर्गत गठित ‘आदित्यवाहिनी'-‘आनन्दवाहिनी', ‘हिन्दुराष्ट्रसंघ', ‘राष्ट्रोत्कर्ष अभियान' ‘रामराज्य-परिषद्' ‘सनातन सन्त समिति', ‘धर्मस"' जैसे सङ्गठनोंसे जुड़कर समाजके सभी क्षेत्रोंके व्यक्ति अपने जीवनको सार्थक, धन्य और कृतार्थ बना सकते हैं । महाराजश्री एक महान् सन्त, चिन्तक, राष्ट्रभक्त तथा सिद्धपुरुष हैं । इन्हें मारनेकी अनेक योजनाएँ रची गई । इन्हें 2 बार विष पिलाया गया, 5 बार नागसे डंसवाया गया तथा 22 बार शीशेका चूर्ण पिलाया गया है । तथापि प्रभु द्वारा निर्धारित कार्यको सिद्ध करनेके लिये ये ‘अमृतस्य पुत्र'के रूपमें हमारे बीच विद्यमान हैं । महाराजके विलक्षण जीवन सम्बन्धी पूरी जानकारी उनकेद्वारा दो भागोंमें विरचित ग्रन्थ दिव्यानुभूतिमें उपलब्ध है ।

ऐसे सिद्धपुरुषके मार्गदर्शनसे सबका कल्याण सुनिश्चित है । अत आप सब अपने कल्याणकी भावनासे उनके अभियानसे जुड़ें ऐसी भावना है ।

।। हर-हर महादेव ।।

काफी पेस्ट
विषय : परम्परा का विलोप होनेपर जगन्नाथजी क्षमा नहीँ करेंगे -रथयात्रा के निर्णय पर न्यायाधीश पुनः विचार करें।
वक्ता : अनंतश्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग।
जय गुरुदेव।।

*श्री वैदिक ब्राह्मण टेलीग्राम प्रकल्प*
धर्मसम्राट श्री करपात्री जी महाराज
चैनल : https://www.tg-me.com/kapatriji
शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी
चैनल : https://www.tg-me.com/purimath

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हर हर शंकर जय जय शंकर 💐
हर हर महादेव। 💐
- क्षेत्रज्ञ
(श्री वैदिक ब्राह्मण ग्रुप,गुजरात)
"चीन भारत को दुर्बल समजने का प्रयास न करे!!"
वक्ता : अनंतश्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग।
जय गुरुदेव।।

*श्री वैदिक ब्राह्मण टेलीग्राम प्रकल्प*

धर्मसम्राट श्री करपात्री जी महाराज
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हर हर शंकर जय जय शंकर 💐
हर हर महादेव। 💐
- क्षेत्रज्ञ
(श्री वैदिक ब्राह्मण ग्रुप,गुजरात)
रथयात्रा के निर्णय पर उच्चतम न्यायालय को शंकराचार्यजी का साधुवाद l
वक्ता : अनंतश्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग।
जय गुरुदेव।।

*श्री वैदिक ब्राह्मण टेलीग्राम प्रकल्प*

धर्मसम्राट श्री करपात्री जी महाराज
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शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी
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हर हर शंकर जय जय शंकर 💐
हर हर महादेव। 💐
- क्षेत्रज्ञ
(श्री वैदिक ब्राह्मण ग्रुप,गुजरात)
जगतगुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग की चैनल के १००० सब्सक्राइबर हो चुके है धन्यवाद सभी का जुड़ने के लिए। गुरुदेव का आशीर्वाद सब पर बना रहे और भारत को गुरुदेव दिशा देते रहें।।
जय गुरुदेव 💐🙏
जय जगन्नाथ 💐🙏
जगतगुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती महाभाग के अमृत वचन
https://www.tg-me.com/purimath

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जय जगन्नाथ 💐🙏
जय गुरुदेव भगवान 💐🙏🏼
।।श्रीहरि:।।

।।श्रीगणेशाय नमः।।
यदि नेपालके शासनतन्त्र की आस्था और आत्मीयता (अपनत्व) का केन्द्र कुटिल चाल चलने में दक्ष चीन है; तब नेपाल के शासनतन्त्र तथा नेपाल का अपकर्ष सुनिश्चित है । यदि नेपाल के शासनतन्त्र की आस्था नेपाल के प्रति है और आत्मीयता कुटिल चीन के प्रति है; तब भी नेपाल के शासनतन्त्र तथा नेपाल का अपकर्ष सुनिश्चित है ।
यदि नेपाल के शासनतन्त्र की आस्था और आत्मीयता नेपाल और भारत के प्रति है; तब नेपाल के शासनतन्त्र का और नेपाल का सर्वविध उत्कर्ष सुनिश्चित है ।

हितैषी-हितज्ञ-हित करने में तत्पर
निश्चलानन्दसरस्वती
श्रीमज्जगद्गुरु-शङ्कराचार्य
पुरी-पीठ
२९.०६.२०२०
2024/09/23 20:28:44
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