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है कि उनका एक-एक कार्य अद्वितीय एवं राष्ट्रप्रेमका जीता-जागता प्रमाण है ।

श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य राममन्दिर निर्माणके लिये राष्ट्रीय स्तरपर जो अभियान चला उसमें महाराजश्रीकी प्रमुख भूमिका रही । अयोध्यामें श्रीरामजन्मभूमि स्थलपर मन्दिर और मस्जिद दोनोंका निर्माण नहीं होने देनेका श्रेय एकमात्र पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्दजी महाभागको ही जाता है । श्रीरामजन्मभूमि स्थलपर ही राममन्दिर और मस्जिद दोनोंका निर्माण करानेके लिये भारतके तत्कालीन प्रधानमत्री नरसिंह राव द्वारा गठित रामालय द्रष्ट पर महाराज श्रीके अतिरिक्त शङ्कराचार्योंने सहमति प्रदान करते हुए हस्ताक्षर कर दिया था । किन्तु विविध प्रकारके प्रलोभन तथा भय दिये जाने पर भी महाराज श्रीने हस्ताक्षर नहीं किया क्योंकि उनके चिन्तनके अनुसार वह राष्ट्रहित, धर्महित एवं चिरकालिक शान्तिके उद्देश्यके विपरीत था । महाराज श्रीने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारतमें कहीं भी बाबरके नामपर प्रतीकके रूपमें मस्जिदका निर्माण नहीं होगा। महाराज श्रीकी दूरदर्शिता एवं भयमुक्त निर्णयके कारण आज रामलला भले ही तंबूमें हैं लेकिन वहाँ मस्जिद बनानेकी प्रयास तो अबतक सफल नहीं पाया ।

जब भारत सरकारने भगवान् श्रीरामद्वारा निर्मित रामसेतुको तोड़नेका काम प्रारम्भ किया तो महाराज श्रीने स्पष्ट शब्दोंमें कहा कि जब रामसेतु टूट ही जायेगा तब यह शरीर रहकर क्या करेगा । उन्होंने रामसेतुकी रक्षा की भावनासे तीर्थराज प्रयाग और दिल्लीमें प्रचण्ड ाढान्तिको जन्म दिया । कालका पीठ दिल्लीमें, बैंगलोरमें तथा महाराष्ट्रके पण्डरपुरमें आयोजित कार्पामोंमें चतुष्पीठके मान्य शङ्कराचार्य सहित अन्य धर्माचार्यों तथा भक्तोंने भाग लिया तथा समर्थन प्रदान किया । महाराज श्रीने चीनकी सीमासे लेकर रामेश्वरम् तक की यात्रा की तथा रामेश्वरम्में 150 भक्तोंके साथ रामसेतुकी रक्षा हेतु अभियान चलाया और प्रार्थना की । उन्होंने इस सन्दर्भमें श्रीलंकाकी सरकार तथा संयुक्त राष्ट्रसंघसे भी सम्पर्क साधा था । सुब्रमण्यम् स्वामीको इस अभियानसे जोड़कर कानूनी स्तरपर भी अभियान चलाया । परिणाम यह हुआ कि अभी रामसेतु सुरक्षित है ।

विश्वमें व्याप्त आर्थिक विपन्नता तथा अराजकताके निवारणमें भी पुरी पीठाधीश्वरका योगदान अद्भुत है । 5 मई 1999को दिल्लीमें केण्टरबरी चर्च, इंग्लैण्ड और विश्वबैक द्वारा स्थापित वर्ल्ड फेथ डेवलपमेंट डायलौगकी प्रतिनिधि भेण्डिटिण्डलेने सन्ध्या 6से 8 बजे तक संसारमें व्याप्त आर्थिक विपन्नता और अराजकता आदिके निवारण विषयपर मार्गदर्शन लिया और महाराजश्री द्वारा बतलाये गये समाधानको अन्यत्र दुर्लभ बतलाते हुए आत्मविभोर होकर रोने लगी । यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड पीस समिटमें महाराजश्रीने अपना सन्देश पुरी नरेश गजपति दिव्यसिंह देवजीके माध्यमसे अमेरिका भेजवाये थे जिसे सुनकर वहाँ उपस्थिति सभी देशोंके प्रतिनिधि अत्यन्त प्रभावित हुए ।

हिन्दुओंके प्रमुख मानबिन्दुओंकी रक्षाके लिये महाराजश्री निरन्तर प्रयत्नशील रहते हैं । माँ गङ्गाको प्रदुषणमुक्त, अविरल तथा स्वच्छ बनाने और इसकी रक्षा करने लिये महाराज श्रीने काशीमें ‘गङ्गा बचाओ' सङ्गोष्ठीकी थी जिसमें सात राज्योंके प्रतिनिधि शामिल हुए थे । इतना ही नहीं, गङ्गाको प्रदुषणमुक्त रखनेके उद्देश्यसे विश्वप्रसिद्ध पर्यावरण विशेषज्ञ जी.डी. अग्रवालको भी पूज्यपादने मार्गदर्शन दिया था ।

महाराज श्रीके मार्गदर्शनमें पुरीमठ द्वारा 22 प्रकारकी निशुल्क सेवाएँ सञ्चालित होती है जिसमें गोवर्द्धनगोशाला, औषधालय, मन्दिर, आवास, भोजनालय, वाचनालय, पुस्तकालय, समुद्र आरती, बच्चोंके लिये यज्ञोपवीतसे लेकर वेदविद्यालय तककी शिक्षा आदि प्रमुख है । इसके साथ ही वृन्दावन, काशी और प्रयागस्थित आश्रमोंमें भी भक्तोंको निशुल्क सेवाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं।

पूज्यपाद श्री आदिशङ्कराचार्यके पदचिह्नों पर चलनेवाले पुरीके वर्तमान शङ्कराचार्य एक ऐसे आचार्य है जो सनातन मानबिन्दुओंकी रक्षाके लिये रात-दिन लगातार चिन्तन करते हैं तथा अपने चिन्तनके कार्यान्वयनके लिये बोटी-बोटी जलाते हुए अथक प्रयास करते रहते हैं । वे किसी व्यक्ति विशेषके पद, धन या ख्यातिके प्रभावमें आकर उसके निमत्रणको स्वीकार नहीं करते हैं, बल्कि समष्टिके कल्याणकी भावनासे सार्वजनिक रूपसे आयोजित कार्पामोंमें आमत्रित किये जाने पर भारत, नेपाल एवं भूटानकी सीमामें ग्रामीण तथा वनवासी क्षेत्रों सहित कहींभी जानेमें जरा भी नहीं हिचकते हैं । वर्ष 2016में वे सालके 365 दिनोंमें 248 दिन प्रवासमें रहे थे ।

राष्ट्रकी सुरक्षाके लिये भी पूज्यपाद अत्यन्त चिन्तित और प्रयत्नशील रहते है । देशके सैनिकोंका मनोबल बढ़ानेके लिये वे रजौरीमें जाकर ब्रिगेडियर रैंकके पदाधिकारियोंको सम्बोधित क
िये । जिस दिन भारतीय सेनाद्वारा भारत-पाक सीमा पर सर्जिकल स्ट्राइक किया जा रहा था उस दिन भी महाराज श्री बटालामें सैन्य पदाधिकारियों तथा सैनिकोंको सम्बोधित कर रहे थे । गोधराकाण्डसे आप सभी लोग परिचित हैं । इस घटनाके बाद सुरक्षाकी दृष्टिसे वहाँ नहीं जानेकी सलाह दिये जानेके बाद भी अपनी सुरक्षाकी जरा भी चिन्ता नहीं कर महाराज श्री उस जलती हुई ट्रेनको देखने वहाँ गये थे ।

लोगोंमें वैचारिक ाढान्ति लानेके उद्देश्यसे विगत कई वर्षोंसे महाराजश्री देशके प्रमुख वैज्ञानिक, तकनीकी, व्यावसायिक एवं अन्य विविध शिक्षण संस्थानों तथा अनुसन्धान केन्द्राsंमें विभिन्न विषयों पर प्रवचन और मार्गदर्शन कर रहे है । वेदविहीन विज्ञानके अन्धानुकरण तथा विकासके नाम पर विनाशके कगारपर पहुँच गये विश्वको वेदविज्ञान तथा वास्तव विकासके स्वरूपसे अवगत करानेके लिये इन विषयों पर महाराज श्रीके प्रवचन और मार्गदर्शनकी सर्वत्र प्रशंसा तो हो ही रही है, कहींसे भी किसी तरहकी नकारात्मक आलोचना नहीं निकल रही है ।

18 जनवरी 2016को चान्दीपुर, बालेश्वर, ओडिशा स्थित डी.आर.डी.ओ.में जहाँ मिसाइलका निर्माण एवं परीक्षण होता है और ‘मिसाइल मैन'के नामसे प्रसिद्ध पूर्वराष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुलकालाम जहाँके अध्यक्ष पदपर रह चुके थे, महाराजश्रीका वेद और विज्ञान विषय पर दिव्य प्रवचन हुआ । कार्पाममें उपस्थिति 165 वैज्ञानिक एवं अन्यान्य लोग महाराजश्रीके मिसाइल सहित अन्य दिव्यास्त्रोंसे सम्बन्धित वैज्ञानिक प्रवचन सुनकर आश्चर्यचकित हो गये । इस अवसर पर महाराजश्रीने यह भी आगाह किया कि वे जिन गूढ़ वैज्ञानिक-तकनीकि तथ्यों पर प्रकाश डालते हैं उनको समझने और आत्मसात करनेके लिये जिस मेधाशक्ति सम्पन्न एवं जिज्ञासु व्यक्ति की आवश्यकता है वैसे व्यक्ति अभी भारतमें प्रलक्षित नहीं हो रहे हैं, किन्तु विदेशी लोग कुछ-न-कुछ लाभ अवश्य उठा लिया करते हैं।

डी.आर.डी.ओ. में महाराजश्रीके उक्त मंगलमय पदार्पण और प्रवचनके लगभग डेढ़ वर्ष बाद एक वैज्ञानिक दीक्षान्त समारोहको सम्बोधित करनेके ाढममें वहाँके डाइरेक्टर विनयकुमार दासने यह रहस्योद्घाटन किया कि डी.आर.डी.ओ. में पुरीके शङ्कराचार्यके पदार्पणके बादसे उस समयतक एक भी मिसाइल परीक्षण असफल नहीं हुआ ।

25 नवम्बर 2016को अहमदाबादस्थित इसरोके चेयरमैन डॉ. कीरण कुमारकी उपस्थितिमें वहाँके हजारों वैज्ञानिकोंके बीच महाराजश्रीने विज्ञान विषयक सम्बोधन किया । इसके कुछ महीनों बाद ही इसरो द्वारा 104 उपग्रहोंका एक साथ सफल परीक्षण किया जो विश्वमें एक रेकर्ड बना ।

24 नवम्बर 2016 को ही सन्ध्यामें भारतके प्रमुख प्रबन्धन संस्थान इण्डियन इंस्टीच्युट ऑफ मैनेजमेंट (आई.आई.एम) अहमदाबादके प्राध्यापकों तथा अनुसन्धानकर्ताओंके बीच प्रबन्धन विषयपर सारगर्भित प्रवचन हुआ।

3 दिसम्बर 1016 को चार्टर्ड एकाउण्टेण्टस एसोसिएशन ऑफ इण्डिया, वेस्टर्न रीजन, मुम्बईके सदस्योंको दिव्य मार्गदर्शन दिया । नैशनल थर्मल पावर कारपोरेशन के पदाधिकारियोंको भी महाराजश्रीने उनके विषयके अनुरूप मार्गदर्शन दिया । जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात एवं महाराणाप्रताप कृषि विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थानके कृषि वैज्ञानिकोंको भी कृषिविज्ञान पर संबोधित किये । इसके अतिरिक्त डी.ए. पाटिल युनिवर्सिटी, पुणे ; लखनऊ युनिवरर्सिटी, लखनऊ ; पिपुल्स युनिवरर्सिटी, भोपाल ; आई.ई.एस. कॉलेज भोपाल ; आई.टी.एम. युनिवरर्सिटी, ग्वालियर ; शिवाजी युनिवरर्सिटी, ग्वालियर ; महर्षि अरविन्दकॉलेज, जयपुर ; महिला महाविद्यालय जमशेदपुर Lovely Professional University Jalandhar सहित देशके अन्यान्य प्रमुख विद्यालयों, इंजीनियरिंग कॉलेजों, विश्वविद्यालयोंमें महाराजश्री वैज्ञानिक, तकनीकि गणित-योग आदि विषयोंपर प्रवचन एवं मार्गदर्शन कर चुके हैं ।

6 फरवरी 2017को झारखंडके जमशेदपुर स्थित एम.जी.एम. मेडिकल कॉलेजमें लगभग 300 डाक्टरों एवं चिकित्सा विज्ञानके छात्रों के बीच चिकित्सा विज्ञान एवं आध्यात्म विज्ञान पर पूज्यपादने बड़ा ही अद्भुत प्रवचन दिया । स्थिति यह बनी कि सनातन विज्ञानमें अन्तर्निहित चिकित्सा विज्ञानकी गहराई पर उपस्थित चिकित्सकगण विस्मित हो गये एवं भाव व्यक्त किये कि जहाँ आधुनिक चिकित्सा विज्ञानका अन्त होता है वहाँसे सनातन चिकित्सा विज्ञानका प्रारम्भ होता है।

26 मई 2017को इण्डियन इन्स्टीच्युट ऑफ टेकनोलौजी, बनारस हिन्दु युनिवर्सिटीमें इंजीनियरिंगके प्राध्यापकों, आविष्कारकर्त्ताओं एवं वैज्ञानिकोंके बीच महाराजश्रीका ‘महायत्रोंकी आधारशीला एवं उसके प्रचुर प्रयोगसे प्राप्त विभीषिका' विषयपर सारगर्भित प्रवचन हुआ ।

15 जून 2017को एसियाके सबसे बड़े हाईकोर्टके रूपमें प्रसिद्ध इलाहाबाद हाईकोर्टके बार काउनसिलमें जहाँ पूर्वप्रधानमत्री
इन्दिरा गांधीको प्रधानमत्री रहते हुए भी सम्बोधन करनेकी अनुमति नहीं मिली थी, न्याय तथा ‘भारतकी दशा और अपेक्षित दिशा' पर न्यायाधीशों एवं अधिवक्ताओंका मार्गदर्शन किया जो इलाहाबादमें विशेष चर्चाका विषय बन गया था । महाराजश्रीके प्रवचनसे प्रभावित होकर न्यायधीशों एवं अधिवक्ताओंका एक शिष्टमंडल दूसरे दिन महाराजश्रीका दर्शन करनेके लिये आया था तथा उनमेंसे कुछ लोगोंने महाराजश्रीसे विधिवत् दीक्षा भी ली थी।

महिलाओंके मानबिन्दुओंकी रक्षा एवं महिला सशक्तिकरणसे सम्बन्धित विषयोंपर महाराजश्रीने बनारसमें तथा राष्ट्रीय-माहेश्वरी-महिला-संघकी महिलाओंको पुरीमें सम्बोधित करते हुए सनातन परम्परामें महिलाओंके गौरवमय चतुर्दिक् महत्त्वको उद्भासित किया । साथ ही इस तथ्यकी ओर ध्यान आकर्षित किया कि जीवनके कुछ क्षेत्रोंमें नारियोंका अधिकार नहीं होना या प्रतिबन्ध होना भेद-भावमूलक या विद्वेषमूलक नहीं है बल्कि उनकी सुरक्षा और शील रक्षाके लिए है ।

महाराजश्री विज्ञानके पक्षधर हैं । उनका मानना है कि वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और व्यावहारिक तीनों धरातलोंपर जो सही साबित हो वही अनुकरणीय है । आज विश्वमें विकास की ह़ेडमची है । लेकिन वेद-विहीन विज्ञानके अंधाधुन्ध अनुकरण और विकासके वास्तविक स्वरूपको वहीं समझ पानेके कारण पूरा विश्व विकासके नामपर विनाशके कगारपर पहुँच चुका है । इस तथ्यको ध्यानमें रखते हुए पुरी शङ्कराचार्य महाराज वेद-विहीन विज्ञानकी जगह वेद-सम्मत, शास्त्र-सम्मत, ज्ञान-विज्ञानके प्रचार-प्रसार और प्रयोगपर बल दे रहे हैं । विज्ञान और तकनीकके क्षेत्रमें ऐसा वैचारिक परिवर्तन लानेके उद्देश्यसे शङ्कराचार्यमहाराज विभिन्न वैज्ञानिक, तकनीकि संस्थानों सहित अन्य शिक्षणसंस्थानों विश्वविद्यालयों, प्राद्यौगिकी संस्थानों आदिमें दिव्यप्रवचनोंके द्वारा अपेक्षित मार्गदर्शन कर रहे हैं ।

14 सितम्बर 2017 को सन्ध्या 6 बजेसे 8 बजे तक इन्डियन इनस्टीच्युट और टेकनोलोजी कानपुरमें वेदविहीन विज्ञानके विनाशकारी परिणाम तथा वेदसम्मत विज्ञानके द्वारा वास्तविक विकासपर महाराजश्रीका दिव्य प्रवचन हुआ ।

30 नवम्बर 2017 डॉ. राजारमन्ना परमाणु अनुसन्धान केन्द्र, इन्दौरमें महाराजश्रीने परमाणु वैज्ञानिकोंके बीच परमाणु विषयक दिव्य मार्गदर्शन दिया ।

5 दिसम्बर 2017 को भाभा एटोमिक रिसर्च सेन्टर, मुम्बईमें भी अणु एवं परमाणु विषयपर महाराजश्रीका प्रवचन हुआ ।

इन्डियन इन्स्टीच्युट ऑफ साइन्स बेंगलूरके नैशनल इन्स्टीच्युट ऑफ एडवान्स्ड स्टडीजमें आधुनिक विज्ञान एवं प्राचीन भारतीय बौद्धिक क्षमता (Indian Institute of science Bengaluru.National institute of advance study) विषयपर सारगर्भित प्रवचन एवं मार्गदर्शन हुआ ।

14 दिसम्बर 2017 को डी.आर.डी.ओ. (अ.R.अ.ध्), चेन्नईमें जहाँ आयुध एवं टैंकका निर्माण होता है, महाराजश्रीने आयुध अस्त्रपर आयुध वैज्ञानिकों और इंजीनियरोंको सम्बोधित किया ।

23 दिसम्बर 2017को नई-दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS New Delhi )में चिकित्सा विज्ञान (Medical Science ) पर प्रवचन हुआ ।

16 फरवरी 2018 को आई.आई.टी. (Roorki.) पटनामें प्रवचन हुआ ।

6 मार्च 2018 को सन्ध्या 4 बजेसे 6 बजे तक सुप्रीम कोर्टके इंडियन लॉ इन्स्टीच्युटमें सुप्रीमकोर्ट बार एसोसिएसन द्वारा आयोजित सभामें सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सहित न्यायाधीशों एवं अधिवक्ताओंके बीच महाराजश्रीने देशके वर्तमान संविधान एवं भारतका सनातन संविधानपर सारगर्भित प्रवचन किया ।

9 अप्रेल 2018 को जोधपुरमें राजस्थान बार एसोसिएसन् द्वारा आयोजित सभामें भी न्यायाधीशों एवं अधिवक्ताओंका मार्गदर्शन किया ।

11 अप्रेल 2018 को संपूर्णानन्द मेडिकल कॉलेजमें डॉक्टरों एवं मेडिकलके छात्रोंको चिकित्सा विज्ञान पर मार्गदर्शन दिया ।

16 मई 2018 को नेपालमें काठमांडू स्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालयमें प्रवचन किया जिससे भारी संख्यामें नेपालके लोग लाभान्वित हुए ।

24 मई 2018 को सन्ध्या 4से 6 बजे भारतके एक प्रमुख प्रबंधन संस्थान आई.आई.एम. कोलकतामें प्रबन्धनके प्राध्यापकों एवं छात्रोंको सम्बोधित किया ।

13 जून 2018 को दिनके 11.30 बजेसे 1.30 बजे तक उत्तराखण्ड स्थित प्रसिद्ध इंजीनियरिंग संस्थान आई.आई.टी., रुडकीमें इंजीनियरिंगके प्राध्यापकों, अनुसन्धानकर्ताओं, व्याख्याताओं एवं छात्रोंका मार्गदर्शन किया ।

इस प्रकार महाराजश्री राष्ट्ररक्षा, धर्मरक्षा, राष्ट्रोत्कर्ष, प्राचीन एवं आधुनिक विज्ञान तथा तकनीक, सुरक्षा, वाणिज्य, संस्कृति, विकृत ज्ञान-विज्ञानका संशोधन तथा कापामसे लुप्त ज्ञान-विज्ञानको पुन उद्भाषित करने, विश्वशान्ति, विश्वबन्धुत्
व एवं प्राणीमात्रके कल्याणसम्बन्धी विषयोंपर निरन्तर चिन्तन-मनन करते रहते हैं और भारत तथा नेपालके प्रमुख शिक्षणसंस्थानों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, सामाजिक-धार्मिक कार्पामों एवं गोष्ठियोंमें प्रौढनागरिकों, युवाओं एवं छात्रोंके बीच प्रवचन कर मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं ।

सनातन वैदिक वाङ्मय सम्बन्धी लेखनके क्षेत्रमें भी महाराजश्रीका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान है । अभी तक उनके द्वारा विरचित एक सौ सत्तरसे अधिक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें डेढ़ दर्जनसे अधिक ग्रन्थ वैदिक वाङ्मयमें अन्तर्निहित गणित पर हैं । अभी तक 110से अधिक देशोंके गणितज्ञ और वैज्ञानिक महाराजश्रीसे गणितपर मार्गदर्शन ले चुके हैं। महाराजश्री द्वारा विरचित ‘स्वस्तिक गणित' नामक पुस्तकने ऑक्फोर्ड तथा कैम्ब्रीज विश्वविद्यालयों सहित अनेक देशों एवं विश्वविद्यालयोंके गणितज्ञोंको विशेषरूपसे आकर्षित किया है।

उनके द्वारा विरचित गणितके नौवें ग्रन्थ ‘गणितसूत्रम्'में 304 सूत्र हैं जिनमें 61 सूत्र वेदों एवं उपनिषदोंसे लिये गये हैं बाकी 242 स्वयं महाराजश्री द्वारा रचित है ।

गोवर्द्धनमठ पुरीके वर्तमान श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाभागका मानना है कि सनातन परम्पराके अनुसरण और ािढयान्वयनसे विश्वमें शान्ति स्थापित होगी और भारत पुन विश्वगुरु बनकर प्राणीमात्रके कल्याणका मार्ग प्रशस्त करेगा ।

महाराजश्री द्वारा स्थापित और उनके मार्गदर्शनमें सञ्चालित ‘पीठपरिषद्' और उसके अन्तर्गत गठित ‘आदित्यवाहिनी'-‘आनन्दवाहिनी', ‘हिन्दुराष्ट्रसंघ', ‘राष्ट्रोत्कर्ष अभियान' ‘रामराज्य-परिषद्' ‘सनातन सन्त समिति', ‘धर्मस"' जैसे सङ्गठनोंसे जुड़कर समाजके सभी क्षेत्रोंके व्यक्ति अपने जीवनको सार्थक, धन्य और कृतार्थ बना सकते हैं । महाराजश्री एक महान् सन्त, चिन्तक, राष्ट्रभक्त तथा सिद्धपुरुष हैं । इन्हें मारनेकी अनेक योजनाएँ रची गई । इन्हें 2 बार विष पिलाया गया, 5 बार नागसे डंसवाया गया तथा 22 बार शीशेका चूर्ण पिलाया गया है । तथापि प्रभु द्वारा निर्धारित कार्यको सिद्ध करनेके लिये ये ‘अमृतस्य पुत्र'के रूपमें हमारे बीच विद्यमान हैं । महाराजके विलक्षण जीवन सम्बन्धी पूरी जानकारी उनकेद्वारा दो भागोंमें विरचित ग्रन्थ दिव्यानुभूतिमें उपलब्ध है ।

ऐसे सिद्धपुरुषके मार्गदर्शनसे सबका कल्याण सुनिश्चित है । अत आप सब अपने कल्याणकी भावनासे उनके अभियानसे जुड़ें ऐसी भावना है ।

।। हर-हर महादेव ।।

काफी पेस्ट
विषय : परम्परा का विलोप होनेपर जगन्नाथजी क्षमा नहीँ करेंगे -रथयात्रा के निर्णय पर न्यायाधीश पुनः विचार करें।
वक्ता : अनंतश्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग।
जय गुरुदेव।।

*श्री वैदिक ब्राह्मण टेलीग्राम प्रकल्प*
धर्मसम्राट श्री करपात्री जी महाराज
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शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी
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हर हर शंकर जय जय शंकर 💐
हर हर महादेव। 💐
- क्षेत्रज्ञ
(श्री वैदिक ब्राह्मण ग्रुप,गुजरात)
"चीन भारत को दुर्बल समजने का प्रयास न करे!!"
वक्ता : अनंतश्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग।
जय गुरुदेव।।

*श्री वैदिक ब्राह्मण टेलीग्राम प्रकल्प*

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हर हर शंकर जय जय शंकर 💐
हर हर महादेव। 💐
- क्षेत्रज्ञ
(श्री वैदिक ब्राह्मण ग्रुप,गुजरात)
रथयात्रा के निर्णय पर उच्चतम न्यायालय को शंकराचार्यजी का साधुवाद l
वक्ता : अनंतश्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग।
जय गुरुदेव।।

*श्री वैदिक ब्राह्मण टेलीग्राम प्रकल्प*

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हर हर शंकर जय जय शंकर 💐
हर हर महादेव। 💐
- क्षेत्रज्ञ
(श्री वैदिक ब्राह्मण ग्रुप,गुजरात)
जगतगुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग की चैनल के १००० सब्सक्राइबर हो चुके है धन्यवाद सभी का जुड़ने के लिए। गुरुदेव का आशीर्वाद सब पर बना रहे और भारत को गुरुदेव दिशा देते रहें।।
जय गुरुदेव 💐🙏
जय जगन्नाथ 💐🙏
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जय जगन्नाथ 💐🙏
जय गुरुदेव भगवान 💐🙏🏼
2024/09/24 04:28:11
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