एक शायरी लिखी है
कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा....
तेरी सीरत साफ़ शीश की तरह
मेरे दामन में दाग हज़ारों हैं
तू नायाब किसी पत्थर की तरह
मेरा उठना बाजारों में है
तेरी मौजुदगी का एहतेराम कर भी लूं
जब होगा रूबरू तो ये जज्बात कहां छुपाऊंगा
एक उमर लेके आना
मैं खाली किताबें ले आऊंगा
तोड़ कर लाने के वादे नहीं
मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा
मेरी सब्र की इंतेहा पर शक कैसा
मैने तेरे आने जाने पे ता उम्र लिखी है
ज़मीन पर कोई खास नहीं मेरा
"विनायक" तू एक बार कुबूल कर मैं
अपने गवाहों को आसमां से बुलाऊंगा
एक शायरी लिखी है
कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा ..........
#vinayak
कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा....
तेरी सीरत साफ़ शीश की तरह
मेरे दामन में दाग हज़ारों हैं
तू नायाब किसी पत्थर की तरह
मेरा उठना बाजारों में है
तेरी मौजुदगी का एहतेराम कर भी लूं
जब होगा रूबरू तो ये जज्बात कहां छुपाऊंगा
एक उमर लेके आना
मैं खाली किताबें ले आऊंगा
तोड़ कर लाने के वादे नहीं
मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा
मेरी सब्र की इंतेहा पर शक कैसा
मैने तेरे आने जाने पे ता उम्र लिखी है
ज़मीन पर कोई खास नहीं मेरा
"विनायक" तू एक बार कुबूल कर मैं
अपने गवाहों को आसमां से बुलाऊंगा
एक शायरी लिखी है
कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा ..........
#vinayak