तुममें ही बस जाएं अगर खुदा मान जाए...
बिछड़ते ही मर जाएं अगर खुदा मान जाए...❤️😍
बिछड़ते ही मर जाएं अगर खुदा मान जाए...❤️😍
हमनें बोलकर कुछ सवाल पूछा ही नहीं सांवली से...
वो मुस्कुराईं और सर हां में हिलाकर हमारी जान हो गईं...!!
वो मुस्कुराईं और सर हां में हिलाकर हमारी जान हो गईं...!!
मौत से मोहब्बत का सलीका सीख रहे हैं हम...
एक बार हो गई तो हो गई जिस्म से जान जुदा...!!
एक बार हो गई तो हो गई जिस्म से जान जुदा...!!
मौत आ जाती तो ये आरजू भी पूरी हो जाती...
मगर ये दुनियां सुकून से मरने भी नहीं देती है...!!
मगर ये दुनियां सुकून से मरने भी नहीं देती है...!!
कहां लौट जाती होंगी लहरें बगावत की...
क्यों एक उम्र के बाद जवानी उफनती ही नहीं...!!
क्यों एक उम्र के बाद जवानी उफनती ही नहीं...!!
कुछ दोस्तियों में हद से गुज़र जानें के बाद...
पछताना पड़ा, बहुत- कुछ कर जानें के बाद...
मगर मिला हूं जब से एक उस खास शख़्स से...
सोचता हूं साथ छोडूंगा, पहले मर जानें के बाद...!!
पछताना पड़ा, बहुत- कुछ कर जानें के बाद...
मगर मिला हूं जब से एक उस खास शख़्स से...
सोचता हूं साथ छोडूंगा, पहले मर जानें के बाद...!!
दोस्तों ने वादा लिया है भूल जाएं हम उसको...
मसअला मगर ये है की जिंदा रहना भी तो जरूरी है...!!
मसअला मगर ये है की जिंदा रहना भी तो जरूरी है...!!
मैं नहीं बदला बस हालत जरा बदल से गए...
मेरे दोस्तों कभी मेरा भी हालचाल करो...
मैं मानता हूं माफरूफ बहुत होगे लेकिन...
पुराना यार हूं यारी का कुछ खयाल करो...!!
जो न मिल सको अगर अलग जगह हो तो...
दोस्ती की खातिर ही सही पुराने कॉलेज में कुछ बवाल करो...!!
मेरे दोस्तों कभी मेरा भी हालचाल करो...
मैं मानता हूं माफरूफ बहुत होगे लेकिन...
पुराना यार हूं यारी का कुछ खयाल करो...!!
जो न मिल सको अगर अलग जगह हो तो...
दोस्ती की खातिर ही सही पुराने कॉलेज में कुछ बवाल करो...!!
शराब की तो वैसे हज़ार बुराइयां पता होंगी सबको...
एक अच्छाई ये है जिंदा रखती है मुर्दा लोगों को...!!
एक अच्छाई ये है जिंदा रखती है मुर्दा लोगों को...!!
मैनें टूटे हुए सपनों से भला सीखा तो कुछ...
मैनें सीखा की टूट जाना मसअले का हल नहीं...!!
मैनें सीखा की टूट जाना मसअले का हल नहीं...!!
सुकून का पहला नाम हो तुम ।
मेरे जीने की वजह हो तुम।।
मेरे जीने की वजह हो तुम।।
और मेरे हक़ में तुम कुछ ही कह दो..
यूं चुप न रहो...
जवाब न दो न सही सवाल ही कर दो...
यूं चुप न रहो...
सियासत मैं नहीं चाहता सलामत कह दो...
यूं चुप न रहो...
न मुस्कुराना मगर न ये सूरत कर दो..
यूं चुप न रहो...
ख़ुद को वफादार सही हमें बेवफ़ा कह दो...
यूं चुप न रहो...
तुमसे जीते जी नहीं करेंगे शिकायत कोई...
कुछ भी कहदो... यूं... चुप न रहो...!!
यूं चुप न रहो...
जवाब न दो न सही सवाल ही कर दो...
यूं चुप न रहो...
सियासत मैं नहीं चाहता सलामत कह दो...
यूं चुप न रहो...
न मुस्कुराना मगर न ये सूरत कर दो..
यूं चुप न रहो...
ख़ुद को वफादार सही हमें बेवफ़ा कह दो...
यूं चुप न रहो...
तुमसे जीते जी नहीं करेंगे शिकायत कोई...
कुछ भी कहदो... यूं... चुप न रहो...!!
मैं एक खत भेजता हूं हर रोज़ अपनें पते के नाम...
डाकिए तक को मैं मिलता नहीं बताओ क्या करूं...!!
डाकिए तक को मैं मिलता नहीं बताओ क्या करूं...!!
बड़ी देर तक देखता रहता हूं मैं तस्वीर तुम्हारी...
मुझे डर लगता है की नज़र ना लग जाए तुमको...
वो और होंगे जो निहारते हैं चांद तारों को रात में...
मैं दुआ मांगता हूं देखने को तमाम उम्र तुमको...!!
मुझे डर लगता है की नज़र ना लग जाए तुमको...
वो और होंगे जो निहारते हैं चांद तारों को रात में...
मैं दुआ मांगता हूं देखने को तमाम उम्र तुमको...!!
बगावत की आदत होती है किसी किसी में...
अच्छा मिल भी जाए तो उन्हें अच्छा नहीं लगता...!!
अच्छा मिल भी जाए तो उन्हें अच्छा नहीं लगता...!!
ये एक अजीब हुनर होता है दोस्ती में यार...
भरोसा टूट जानें पर भी नफ़रत नहीं होती...!!
भरोसा टूट जानें पर भी नफ़रत नहीं होती...!!
हम माफ़ी के हकदार हैं तुम माफ कर दो साहब...
तुम्हारा दिल दुखा देते हैं तुम्हारी बेहतरी के लिए...!!
तुम्हारा दिल दुखा देते हैं तुम्हारी बेहतरी के लिए...!!
कहां सुनती है दुनियां किसी अलग विचारधारा को...
सबको चाहिए कि कोई दूसरा हो जो उनके जैसा मारा हो...
मौत की सज़ा ही आख़िर में तोहफे में मिली उन सबको...
धर्म-सियासत-जगह से फ़र्क नहीं बस आवाम नाकारा हो...!!
सबको चाहिए कि कोई दूसरा हो जो उनके जैसा मारा हो...
मौत की सज़ा ही आख़िर में तोहफे में मिली उन सबको...
धर्म-सियासत-जगह से फ़र्क नहीं बस आवाम नाकारा हो...!!
न चाहे कोई अगर किसी को इतना
की वफादारी न कर सके...
तो न करे ऐसा की भोले मन से
उससे बेवफ़ाई करे...
तमाम मुलाकात वादों की, यादों, जगह ठिकानों की...
न कर सके जीने का इंतजाम अगर,
तो न बनाए हालात की मौत की अगुवाई करे...!!
की वफादारी न कर सके...
तो न करे ऐसा की भोले मन से
उससे बेवफ़ाई करे...
तमाम मुलाकात वादों की, यादों, जगह ठिकानों की...
न कर सके जीने का इंतजाम अगर,
तो न बनाए हालात की मौत की अगुवाई करे...!!
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