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मेरे मालिक तू मेरा है मगर इतनीं तकलीफ़ क्यों है...

मौत अंत है अगर तो मर जाना ही बेहतर है दर्द क्यों...!!
दुनिया भर के लाखों चेहरों में बस एक चेहरा इस दिल को भाया हैं ।

और वो एक चेहरा तुम हो मेरी जान ।।
ये प्यार भी गजब का नशा है ।

एक तुझे पाके सब कुछ भुल जाता है ।।
तुम कोई जागीर नहीं जो किसी को तोहफे में दे दु ।

इकलौती मोहब्बत हो मेरी ।।
तुमसे पहले क्यों कितनीं बार हँसे याद नहीं...

तुम्हारे साथ का हँसना मगर ख़ास होता है...!!
ये नया नहीं है ग़ुरूर उनका बेवजह...

ये लोग नए हैं जो उन्हें जानते नहीं...!!
कहीं इतनीं भी तड़प का फ़साना न सुना था कि...

याद आए और आँसू कहें चलो निकलकर खोजें उनको...!!
अब तो देखिए कि इसे इश्क़ कह दें कि पागलपनें की हद...

आपकी तस्वीरों से रूठते मनाते उन्हीं से बातचीत करते हैं...!!
मैं नहीं हूँ उसका बहुत अच्छा दोस्त शायद...

मगर मैनें कोशिश नहीं की ऐसा कह नहीं सकता...!!
देखो ये हवाएँ उस जगह से आ रही हैं जहाँ ख़त्म हुआ करती है ज़िंदगी...

मगर इनके पीछे न जाओ यहाँ से बहुत दूर लाशें जला करती हैं...!!
तरस जाएगी आवाम नूर-ए-आफ़ताब के लिए...

इतनी दुआ माँगी हमनें की आज सुबह न हो...!!
मजबूरी को इश्क़ का नाम तो बिल्कुल न दो साहिबान...

हम होस्टल वाले लोग जानते हैं चाय छोड़ कॉफ़ी क्यों पीना पड़ता है...!!
इल्ज़ाम तो आएंगे ही जब बात चलेगी महफ़िल में...

हम नहीं होंगे, हमारी बातें भी न हों ये कहाँ मुमकिन है...!!
ग़लत वक़्त कह दी होगी शायद कुछ बात उनसे...

मगर बात अच्छी थी इसमें तो कोई शक नहीं...!!
जब से तुम साथ हो किसी ख़ास दिन इश्क़ जतानें की ज़रूरत नहीं लगती...

तुम्हारा होना इतना ख़ास है किसी एक दिन का इंतज़ार क्यों करना...!!
अपनें तमाम तोहफ़ों के बीच तुम्हारे नाम
का एक खत हम ही रख देते हैं...

बेहद ज़रुरी है हमारी दुनियाँ में तुम्हारे नाम का ज़िक्र होना, तसल्ली के लिए ...!!
क्यों न बातों का एक पुल बनाया जाए शहर में...

देखते हैं किसकी बात सबसे ज़्यादा वज़नदार हैं...!!
मैनें दस्तावेज़ देखें हैं अदालत के सियासत के...

हुकूमत में गरीबों को 'लोग' या 'भीड़' कहते हैं...!
किस हक़ से हक़ीक़त बताया तुमनें...

क्या इसी अंजाम का हकदार था मैं...?
मरनें की कला हमसे सीखो... जीना भी गज़ब ये जीना है...

हर रोज़ यही बस कहते हैं मर मर जीना ही जीना है...!!
2024/09/28 10:18:57
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