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तुमने मुझको तो नहीं जाना,
समझना दूर की बात थी

मैनें तुम्हारी फितरत देखकर,
एकतरफा रहनें दिया सब...!!
बड़ी खाहिश थी वो मेरा हो जाए,

हीरा मगर कहां मजदूर का होता है...!!
उसकी बात और है वो वफा करे न करे,
मेरी बात और है वफा ही है जो है,

मैं नहीं जानता क्या होगा आनें वाले वक्त में,
मेरे पास अभी तो वही सबकुछ है जो है...!!
वो मेरा इश्क़ किताबों में रखकर भूल गया,
मै कभी न चाहता ये कहना की उसको भूल गया,

पर ये मेरे चाहने भर को बात थोड़ी है,
ये मेरी सांसे नहीं हैं ना जो कह दूं लेना भूल गया...!!
कहीं बादलों का इरादा ना बदल जाए बारिश का,

मिट्टी ये सोचकर सुर्ख पड़ी रही चटकती धूप भर...!!
कुछ कहीं खो सा गया है,
क्या कहां गया पता चले कैसे,
मैं जो था वो अब नहीं,
पहले वाला शख़्स मिले कैसे,
देखो ये मेरे खाब थे,
अब जो कहीं नहीं रहे,
मैं तो बच गया इनसे,
मेरा मैं कहीं नहीं रहा,

मुझे मुझसे ही अजनबियत है अब,
मुझे मुझसे ही वास्ता नहीं,
मैं ढूंढता हूं कहीं मिलूंगा,
मैं चाहता हूं मिल ही जाऊं अब,

गलत का फैसला हुआ,
गलत किया गलत हुआ,
सपनों को अपनें मारा है,
बदले में मैं मरा मिला,

कहीं गया कहीं न था,
जहां गया वहीं ना था,
बहुत थे साथ, अब नहीं,
अब तो अकेला मिला,

जाओ तुम जियो सही,
जो करना है करो सही,
होगा नहीं नहीं सही,
मगर ये जिंदगी कहीं,
जो साथ है निभाएगी,
जिंदा तुम्हें बनाएगी,
तुममें नज़र वो आएगी।
मैंने बहुत चाहा कि मैं मिल जाऊं,
दुनियां जहान में घुल जाऊं,
थोड़ा तो उनके जैसा बन जाऊं,
रंग उनके में रंग जाऊं,

मगर मेरी चाहतों ने बगावत नहीं छोड़ा,
मुझे उनकी असल शख्सियत दिखाना नहीं छोड़ा,
मैनें देखा, मैनें सोचा,
मैं हैरान था, देखकर परेशान था,

क्यों अंदर से इतना अलग बाहर से कुछ और हैं,
क्या वज़ह है यहां कुछ और अकेले में कुछ और हैं,

लोग बुरा न सोचें,
अच्छा सिर्फ अच्छा कहते जाएं,
कौन हैं ये लोग जिनसे अच्छा कहे जानें की उम्मीद है,
अरे पागल किसी और के लिए जीने की उम्मीद है?
एक इरादे की नीयत हो तो बहुत कुछ हो सकता है यार,
किया जाना ज़रूरत हो तो बहुत कुछ हो सकता है यार,

तमाम चीज़ें हैं दुनियां में जो करनी है तो करो,
काम मोहब्बत है तो बहुत कुछ हो सकता है यार,

मोहब्बत काम बन जाए तो ये भी ठीक काम है,
मगर इसके इलावा घर चलाने को बहुत कुछ हो सकता है यार...!!
कुछ तेरे बाद मुझमें मुझसा नहीं रहा,

कुछ मेरी आदत भी अब वैसी नहीं रही...!!
ये मुआमला किसी के बस का था ही नहीं,

मै तेरा था ही नहीं तू मेरा हुआ ही नहीं...!!
वो भूखा था भूख में ईमान वगैरह भूल गया सब....

बाक़ी जिनका पेट भरा था सबको कानून याद था...!!
इन भरे शहरों में बड़ा खालीपन सा है,
यहां के शोर शराबों में भी एक उबाउपन सा है,

मैं अकेला रहने में बहुत मसरूफ़ हूं आजकल,
अब तो ऐसा है कि मैं तन्हा रहूं यही एक मरहम सा है...!!
तुम हमेशा अपनें साथ रखा करो मुझे यही बेहतर होगा,

मै तुम्हारे साथ नहीं होता तो अपनें भी पास नहीं होता...!!
ये आसमान कहीं और क्यों नहीं जाता,

मैं बाप हूं मेरे सिर पर जिम्मेदारियां बहुत हैं...!!
कहीं दूर रहा होता तो चला जाता,

इत्तेफ़ाकन ख़ुदा अपनें अंदर ही होता है...!!
2024/11/16 14:01:46
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