इत्तेफ़ाक़ भी देखिए कैसे कैसे हो रहे हैं...
पास भी गए हम तो अंजान बने रह गए...!!
पास भी गए हम तो अंजान बने रह गए...!!
शायद... वो वक़्त आ ही जाए...
शायद... आ जाए तो बेहतर है...!!
शायद... आ जाए तो बेहतर है...!!
कुछ नहीं होता तो ना सही मगर छोटी सी बात है...
शुक्रिया कह देना चाहिए अच्छा लगेगा ख़ुद को...!!
शुक्रिया कह देना चाहिए अच्छा लगेगा ख़ुद को...!!
आख़िर कब तलक बैठे वो पंछी इंतज़ार में...
बारिश न हुई तो ख़ुद ही घोंसला तोड़ डाला...!!
बारिश न हुई तो ख़ुद ही घोंसला तोड़ डाला...!!
मैं कई दफ़ा ख़ुदा को भी भूला हूँ तेरे लिए...
ऐसा भी हुआ है कि ख़ुदा से तेरे लिए दुआ माँगी...!!
ऐसा भी हुआ है कि ख़ुदा से तेरे लिए दुआ माँगी...!!
हमनें यक़ीन से कहा कि उनकी सांसे हैं आस पास...
मेरे दोस्तों नें हँसकर कहा यार उन्हें गए अरसा हो गया...!!
मेरे दोस्तों नें हँसकर कहा यार उन्हें गए अरसा हो गया...!!
उस फ़कीर से पूछता है हर शख़्स मोहब्ब्त मुक़म्मल कैसे हो...
जानता जवाब अगर तो वहाँ उस हाल में यक़ीनन नहीं होता...!!
जानता जवाब अगर तो वहाँ उस हाल में यक़ीनन नहीं होता...!!
तुम हो वाकिफ़ कि हाल क्या होगा हमारा...
मगर हाल जब पूछते हो तो अच्छा लगता है ...!!
मगर हाल जब पूछते हो तो अच्छा लगता है ...!!
क्या तारीफ़ की बात कही गई... महफ़िल में सुनीं सबनें...
पर बात अकेली ये ही थी कि काम है तो कुछ भी बोलो...!!
पर बात अकेली ये ही थी कि काम है तो कुछ भी बोलो...!!
काश के ये बिंदी ज़रा बेढंग लगी होती...
काश के हर बार यूँ छटपटाहट नहीं होती...
काश के आनें का इंतज़ार उन्हें होता...
काश कि दुनियाँ में मोहब्बत नहीं होती...!!
काश के हर बार यूँ छटपटाहट नहीं होती...
काश के आनें का इंतज़ार उन्हें होता...
काश कि दुनियाँ में मोहब्बत नहीं होती...!!
पता है हमें भी कि सरहद होती है यादों की...
यादों को कौन बताए कि हद किसे कहते हैं...!!
यादों को कौन बताए कि हद किसे कहते हैं...!!
ये फ़लसफ़ा भी कितना झूठा सा लगता था पहले...
जो मेरा नहीं है उसे भी मैं अपना मानता हूँ अब...!!
जो मेरा नहीं है उसे भी मैं अपना मानता हूँ अब...!!
कुछ तो और बेहतर की उम्मीद थी मुझे खुद से...
एक छोटे हादसे नें इस भरम को भी तोड़ दिया...!!
एक छोटे हादसे नें इस भरम को भी तोड़ दिया...!!
एक पुरानीं चौखट एक बूढ़ा घर और अधूरे हम...
यही उस गाँव में हम छोड़ कमानें शहर आए हैं...!!
यही उस गाँव में हम छोड़ कमानें शहर आए हैं...!!
कुछ किताबें कुछ सिखाएँ न सिखाएं पर पड़ी रहें बस...
एक अरसे बाद देखें तब भी अपनापन दिखातीं हैं...!!
एक अरसे बाद देखें तब भी अपनापन दिखातीं हैं...!!
मेरी बारी में कहाँ की बात कहाँ की गई...
बात ज़ख़्म की हुई मगर दवा की गई...!!
बात ज़ख़्म की हुई मगर दवा की गई...!!
रहता तो होगा ही इशारा उस मुस्कुराहट के पीछे...
ये दुनियाँ इतनीं बावली बेवज़ह तो नहीं होगी...!!
ये दुनियाँ इतनीं बावली बेवज़ह तो नहीं होगी...!!
कहा करते होंगे लोग की इश्क़ बुरी चीज़ है...
जो भी हो लेक़िन तड़पता जिंदा छोड़ देती है...!!
जो भी हो लेक़िन तड़पता जिंदा छोड़ देती है...!!
इस क़दर भी नहीं होना था तन्हा हमको...
तुम न हो तो भला बाक़ी है कुछ जहाँ में...!!
तुम न हो तो भला बाक़ी है कुछ जहाँ में...!!
मैनें रो कर भी देखा है मंदिरों में चुपके से...
कुछ अर्ज़ियाँ शायद नहीं मंज़ूर होती हैं...!!
कुछ अर्ज़ियाँ शायद नहीं मंज़ूर होती हैं...!!