I can't help but .........
Anonymous Quiz
36%
(a) laughing
38%
(b) laugh
20%
(c) to laugh
6%
(d) none of these
BBC The Mayor of Casterbridge Full Movies in Seven Episodes (Playlist)
https://youtube.com/playlist?list=PLCn1Nvacos90aK45LkbsvqQvDXIp2fuXe
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एक इंसान दो चीज़ों से बनता है,
एक तो किस्मत..और दूसरी मेहनत...
किस्मत सबकी होती नहीं और
मेहनत सबसे होती नहीं!
एक तो किस्मत..और दूसरी मेहनत...
किस्मत सबकी होती नहीं और
मेहनत सबसे होती नहीं!
Congratulations to all provisionally selected candidates 💐
Best Wishes for final selection ✌️
Best Wishes for final selection ✌️
नौकरी की चाह में जवानी ने प्रेम की राह छोड़ दी, परिणाम पसन्द का आया नहीं , प्रेम गया...प्रेमी गये... प्रेमिकाएं गयी... सरकारी नौकरी लगने पर जिन प्रेमिकाओं ने उपहार में सोने की बालियाँ मांगी थी वो गालियाँ देकर विदा हो गयी है, जिम्मेदार लोगों ने रिश्वत में सोने के कंगन लेकर जवान अभ्यर्थियों को किसी को अंगूठी देने लायक नहीं छोड़ा, एक भरी जवानी बर्बाद करने के बाद मिले है तो सिर्फ डार्क सर्कल्स्..रुस्वाइयाँ, तन्हाइयाँ,, आंधियों का अंधेरा है मगर आएगा चौमासा..पल्लव प्यार के पुनः अंकुरित होंगे ..तुम हारना मत..मधुशाला में मदपान अवश्य होगा ☘️
Mangi Rajput
Mangi Rajput
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Forwarded from G-HELP SURATGARH (LD Gurnani Suratgarh)
प्रिये विद्यार्थी
सबसे पहले आपको प्रोविजनल लिस्ट में जगह बनाने के लिए ढेर सारी बधाई l
अत्याधिक खुशी की बात है कि G Help से 947 students ka provisional list me चयन हो रहा है !
आप सभी जानते हैं कि मेरिट में काफी बड़ा उलट फेर हुआ है इसलिए aaj यू ट्यूब के माध्यम से हम लाइव आ रहे हैं !
आपसे आग्रह है कि आप लाइव सेशन के दोरान comment section में "I am a G-Helpian and I am going to be selected" लिखे ।
(Or your already sent msg to us)
यह संस्थान के प्रति आपके प्यार और gratitude को दर्शायेगा ।
धन्यवाद
L D Gurnani
सबसे पहले आपको प्रोविजनल लिस्ट में जगह बनाने के लिए ढेर सारी बधाई l
अत्याधिक खुशी की बात है कि G Help से 947 students ka provisional list me चयन हो रहा है !
आप सभी जानते हैं कि मेरिट में काफी बड़ा उलट फेर हुआ है इसलिए aaj यू ट्यूब के माध्यम से हम लाइव आ रहे हैं !
आपसे आग्रह है कि आप लाइव सेशन के दोरान comment section में "I am a G-Helpian and I am going to be selected" लिखे ।
(Or your already sent msg to us)
यह संस्थान के प्रति आपके प्यार और gratitude को दर्शायेगा ।
धन्यवाद
L D Gurnani
Forwarded from English Aspirants™ (Founder of group)
हम नई और पुरानी के बीच पुल की तरह काम करने वाली पीढ़ी है। हमने पुरानी पीढ़ी से थोड़ा आगे और नई पीढ़ी से पूरा अलग बचपन जिया है। शायद हम वो आखिरी जनरेशन होने वाली है जिसने ब्लैक एंड व्हाइट से लेकर रंगीन टीवी पर चलने वाले चलचित्रों का आनंद लिया है।
शक्तिमान, शाका लाका बूम बूम, सोनपरी , हातिम से लेकर रामायण महाभारत के रोचक धारावाहिकों के एक भी एपिसोड को मिस करना सबसे बड़ा अपराध था। भले ही स्कूल मिस करना पड़े। वो समय रिजर्व रहता था। जादुई नाटकों की कल्पनाओं में खोए तो भूत प्रेतों से भरे डरावने सीरियल विकराल गबराल, अक्कड़ बक्कड़ बंबे बो, अल्लादीन, चंद्रमुखी,श श... फ़िर कोई है. देखते हुए कितनी ही बार पसीने से तरबतर हुए हैं।
नाथन ब्रेकन से लेकर मोहम्मद आमिर तक , शोयब अख़्तर से लेकर मोहम्मद सिराज तक , पॉन्टिंग से लेकर स्मिथ तक, चिरंजीवी से लेकर रामचरण तेजा तक कुमार सानू से लेकर शान तक का जीवन हमारी आँखो के आगे से गुज़रा है।
खेत जाते हुए ऊंट की थूई पर बैठना और मोहरी पकड़ना दुनिया की तमाम महंगी गाड़ियों को ड्राइव करने से रोचक रहा है। साइकिल चलाते हुए हाथ तूड़ा लेना, पेड़ों पर लमूटते हुए टहनी टूटने पर सर फूड़ा लेना। कंटीली बाड़ से बॉल निकालने की मशक्कत करना हो या फिर सुबह से लेकर शाम तक भूखे प्यासे क्रिकेट खेलना हो। एक मर्तबा धोरे की तलहटी में क्रिकेट पिच तैयार करने के उद्देश्य से हम ऊंट गाड़ी लेकर ताल से गारे वाली मिट्टी लाने चले गए थे। हम तीन लड़कें। जून की दोपहरी। बाबा को मालुम पड गया कि छोरा ऊंटगाड़ी लेकर चोरी छिपे तेज़ दुपहरी में मिट्टी लाने गए हैं। हम गाड़ी भरके पसीना पसीन प्यासे चल दिए। सामने से पानी की लोटड़ी लेकर बाबा आते दिखाई दिए। हम सहम गए। गाड़ी रोकी डरते हुए पानी पिया। पानी पीते ही बाबा ने जूती खोल के एक छोटे भाई के कानों पर धरी दूसरी मेरे मगरों में। हम दोनों उझड़ हो लिए। एक हाथ चढ़ गया। शाम को लेट घर आए। दादी के पीछे पीछे रहे। बस बाबा आज आज मारे ना। गाल खाकर सो गए। लेकिन हमारी जनरेशन बातों से कब सयानी होने वाली रही है।
स्कूल नहीं जाते तो कुटीज जाते। मेले में से कोई खिलौना मांग लिया तो ऑन द स्पॉट मां पिटाई करती थी और फिर खेत से थके हारे बापू हमारी कुटाई करके थकान उतारते थे।
स्कूल हफ्ते में अधिकतम तीन दिन होता था। मंगलवार को घर रहने के लिए हनुमान जी का व्रत रखता था। शनिवार को क्या जाना अगले दिन छूटी जो होती थी। सोमवार को जिदोरा होता था। मजबूरन जाना पड़ भी गया तो सोमवार को शनिसर चढ़ता ही था। सारे मास्टर कूट जाते। शनिवार का काम दिया याद है क्या? टेस्ट लिखों। कॉपी चैक करवाओ। मैने कभी होम वर्क नहीं किया। करना भी पड़ा तो हाथो हाथ आधा अधूरा। डंडे खा लिए मगर उसूलों से समझौता न किया। आधी छुट्टी में झोला लाने की तरकीबें कमाल की होती थी। पढ़ाई न करनी पड़े इसलिए खूब गुरुजी के गिलास धोए हैं। पौधों में पानी डाला है। मटके भरे हैं। कोई लड़ाई झगड़ा हो गया तो वहीं कुटिज पीटीज के मामला रफा दफा कर देते थे।
घर की बाखल में बड़ते ही बाल ठीक करके आंसू पौंछके अंदर जाते थे। मालूम पड़ गया घर वाले और कूटेंगे।
स्कूल में घर वाले कभी मेर लेकर नहीं गए। अनपढ़ परिवार का यह सुख है। इन्हें यह तक मालूम होता नहीं बच्चा पढ़ता कौनसी क्लास में हैं। बस स्कूल जाता है।
छोटा भाई तो खेड़िये में चला जाया करता था। अपना बस्ता दोस्त के घर छोड़कर। दिनभर खींप फोग के पीछे घुरी खोदकर बैठा रहता था। बहुत बार तावड़े में छत पर सोया है। छत पर भांकड़ी वाले खूब कांटे उगे हुए होते थे। लेकिन स्कूल जाना बड़ी त्रासदी थी।
एक दिन मां और दादी ने मेरे हाथ पैर बांधकर खूंटी के लटका दिया। नीचे चारपाई थी। मैं खूंटी से रस्सी खींचते हुए नीचे जा पड़ा। पीठ पागे पर जाकर भिड़ी। सांस चढ़ गया। कई दिनों तक जावण सा लग गया। रोज़ स्कूल गया।
हम उस दौर के साक्षी है जो दुसाले भर भरके बेर लाए करते थे। झाड़ियों पर भाटे मार मारके सर खुलवाए है। पेट दर्द का बहाना करके खेलने गए हैं। धोरों पर से फिसले है। आधी रात को जागरणों में खेले हैं।
लाखेरा गांव में जागरण था। छोटा भाई ज्यादा अलबादी था। वहां के लड़कों ने कूट दिया। मुझे पता चला तो मैं साथ लेकर उन्हें कूटने गया। उन्होंने जमके हम दोनों को कुटा।आठ दस साल के रहे होंगे। हमने कहा तुम लोग भादवे के मेले में बरमसर आना। फिर देखेंगे।
न ट्यूशन का लोचा ,न भविष्य में कुछ बनने का अनावश्यक दबाव।
हमारा बचपन लाड़ दुलार में कम और ठुकाई में ज्यादा बिता है। छुप कर बीड़ी पीते हुए पकड़े गए तो कुटाई, सांड को नीरा नहीं चराया तो कुटाई।
शक्तिमान, शाका लाका बूम बूम, सोनपरी , हातिम से लेकर रामायण महाभारत के रोचक धारावाहिकों के एक भी एपिसोड को मिस करना सबसे बड़ा अपराध था। भले ही स्कूल मिस करना पड़े। वो समय रिजर्व रहता था। जादुई नाटकों की कल्पनाओं में खोए तो भूत प्रेतों से भरे डरावने सीरियल विकराल गबराल, अक्कड़ बक्कड़ बंबे बो, अल्लादीन, चंद्रमुखी,श श... फ़िर कोई है. देखते हुए कितनी ही बार पसीने से तरबतर हुए हैं।
नाथन ब्रेकन से लेकर मोहम्मद आमिर तक , शोयब अख़्तर से लेकर मोहम्मद सिराज तक , पॉन्टिंग से लेकर स्मिथ तक, चिरंजीवी से लेकर रामचरण तेजा तक कुमार सानू से लेकर शान तक का जीवन हमारी आँखो के आगे से गुज़रा है।
खेत जाते हुए ऊंट की थूई पर बैठना और मोहरी पकड़ना दुनिया की तमाम महंगी गाड़ियों को ड्राइव करने से रोचक रहा है। साइकिल चलाते हुए हाथ तूड़ा लेना, पेड़ों पर लमूटते हुए टहनी टूटने पर सर फूड़ा लेना। कंटीली बाड़ से बॉल निकालने की मशक्कत करना हो या फिर सुबह से लेकर शाम तक भूखे प्यासे क्रिकेट खेलना हो। एक मर्तबा धोरे की तलहटी में क्रिकेट पिच तैयार करने के उद्देश्य से हम ऊंट गाड़ी लेकर ताल से गारे वाली मिट्टी लाने चले गए थे। हम तीन लड़कें। जून की दोपहरी। बाबा को मालुम पड गया कि छोरा ऊंटगाड़ी लेकर चोरी छिपे तेज़ दुपहरी में मिट्टी लाने गए हैं। हम गाड़ी भरके पसीना पसीन प्यासे चल दिए। सामने से पानी की लोटड़ी लेकर बाबा आते दिखाई दिए। हम सहम गए। गाड़ी रोकी डरते हुए पानी पिया। पानी पीते ही बाबा ने जूती खोल के एक छोटे भाई के कानों पर धरी दूसरी मेरे मगरों में। हम दोनों उझड़ हो लिए। एक हाथ चढ़ गया। शाम को लेट घर आए। दादी के पीछे पीछे रहे। बस बाबा आज आज मारे ना। गाल खाकर सो गए। लेकिन हमारी जनरेशन बातों से कब सयानी होने वाली रही है।
स्कूल नहीं जाते तो कुटीज जाते। मेले में से कोई खिलौना मांग लिया तो ऑन द स्पॉट मां पिटाई करती थी और फिर खेत से थके हारे बापू हमारी कुटाई करके थकान उतारते थे।
स्कूल हफ्ते में अधिकतम तीन दिन होता था। मंगलवार को घर रहने के लिए हनुमान जी का व्रत रखता था। शनिवार को क्या जाना अगले दिन छूटी जो होती थी। सोमवार को जिदोरा होता था। मजबूरन जाना पड़ भी गया तो सोमवार को शनिसर चढ़ता ही था। सारे मास्टर कूट जाते। शनिवार का काम दिया याद है क्या? टेस्ट लिखों। कॉपी चैक करवाओ। मैने कभी होम वर्क नहीं किया। करना भी पड़ा तो हाथो हाथ आधा अधूरा। डंडे खा लिए मगर उसूलों से समझौता न किया। आधी छुट्टी में झोला लाने की तरकीबें कमाल की होती थी। पढ़ाई न करनी पड़े इसलिए खूब गुरुजी के गिलास धोए हैं। पौधों में पानी डाला है। मटके भरे हैं। कोई लड़ाई झगड़ा हो गया तो वहीं कुटिज पीटीज के मामला रफा दफा कर देते थे।
घर की बाखल में बड़ते ही बाल ठीक करके आंसू पौंछके अंदर जाते थे। मालूम पड़ गया घर वाले और कूटेंगे।
स्कूल में घर वाले कभी मेर लेकर नहीं गए। अनपढ़ परिवार का यह सुख है। इन्हें यह तक मालूम होता नहीं बच्चा पढ़ता कौनसी क्लास में हैं। बस स्कूल जाता है।
छोटा भाई तो खेड़िये में चला जाया करता था। अपना बस्ता दोस्त के घर छोड़कर। दिनभर खींप फोग के पीछे घुरी खोदकर बैठा रहता था। बहुत बार तावड़े में छत पर सोया है। छत पर भांकड़ी वाले खूब कांटे उगे हुए होते थे। लेकिन स्कूल जाना बड़ी त्रासदी थी।
एक दिन मां और दादी ने मेरे हाथ पैर बांधकर खूंटी के लटका दिया। नीचे चारपाई थी। मैं खूंटी से रस्सी खींचते हुए नीचे जा पड़ा। पीठ पागे पर जाकर भिड़ी। सांस चढ़ गया। कई दिनों तक जावण सा लग गया। रोज़ स्कूल गया।
हम उस दौर के साक्षी है जो दुसाले भर भरके बेर लाए करते थे। झाड़ियों पर भाटे मार मारके सर खुलवाए है। पेट दर्द का बहाना करके खेलने गए हैं। धोरों पर से फिसले है। आधी रात को जागरणों में खेले हैं।
लाखेरा गांव में जागरण था। छोटा भाई ज्यादा अलबादी था। वहां के लड़कों ने कूट दिया। मुझे पता चला तो मैं साथ लेकर उन्हें कूटने गया। उन्होंने जमके हम दोनों को कुटा।आठ दस साल के रहे होंगे। हमने कहा तुम लोग भादवे के मेले में बरमसर आना। फिर देखेंगे।
न ट्यूशन का लोचा ,न भविष्य में कुछ बनने का अनावश्यक दबाव।
हमारा बचपन लाड़ दुलार में कम और ठुकाई में ज्यादा बिता है। छुप कर बीड़ी पीते हुए पकड़े गए तो कुटाई, सांड को नीरा नहीं चराया तो कुटाई।
आउट हो जाते तो झूठी सोगन खा लेते। न कोई फैशन का लोचा न कोई ऐसों आराम। पैंट फट गई तो टांका लगवा लेते थे। चप्पल टूट गई तो रस्सी से बाधी कस लेते ।
मिथुन दा की फ़ोटो बटुए में लेकर घूमने वालें लड़कों ने थोड़ी समझ पकड़ी तो फिल्मों का चस्का लगा। मिथुन, सुनील शेट्टी ,शनि देवोल की सारी फिल्में देख चुके थे। थोड़ा बड़े हुए तो मुहोब्बत में मात खाए। नॉनवेज बातें काका भाइयों के पास बैठकर सीखी। शाहरुख ने रोमांस करना सिखाया। हाथ पैर मारें कहीं सफल हुए तो बांछे खिलने वाली और असफल हुए तो खौफ से सहमने वाली हम आखिरी पीढ़ी है।
मंदिर की चौखट पर पाप धुलने की दुआओं से लेकर और पाप में सफ़लता की अर्जी लगाने वाली हम आखिरी पीढ़ी है।
आज कल के यह रील बनाने वाले लड़कें क्या जाने हमारा वो एक्शन वाला दौर कैसा था।
न आज की तरह ब्रांडेड कपड़े थे। न कॉल ड्रिंक लिम्का। हाफ टाइम में काकड़िया मतिरा खाकर और राबड़ी पीकर निकलते थे।
रात को कब्बडी खेलने से लेकर ताश तक की बाजियां लगाई है। चिमनी को दूर से फूंक मारके बुझाने का हुनर सिखा है। पहली बार वोडाफोन सर्विस वालों से हिंदी में बात करके कलेक्टर के जैसी फीलिंग ली है। खाकी वर्दी वालों को देख के पेंट गीली की है।
मां से रुसके संदूक के नीचे छिपा था। चूरमा नहीं चुरके दिया था। जल्दी से बाहर आने के चक्कर में सर में फ्रेम की चोट खा ली। टांके आए। अपने आप नहाने की जिद्द में बाल्टी के ऊपर गिरके ठुड्डी की हड्डी तुड़वाई है। एक बार तो छोटी बहन ने गुस्से में आकर पैर में कैंची गुस्सा दी थी। ऐसे कितने ही कारनामों के निशान शरीर पर लिए घूम रहा हूं।
आजकल के बच्चे जन्मे नहीं कि अपेक्षाओं का पहाड़ लादे फिरते हैं। घर वाले भी कमाल है। सातों चीजें आगे रखते हैं। कंफर्ट जोन में रखते है। अगर हमारी तरह वो ठुकाई वाली प्रथाएं अब तक चलती तो डिप्रेशन और युवाओं में बढ़ती आत्म हत्याएं कम हो जाती। समय आने पर खुद ही स्याने हो जाते।
लेकिन नहीं। अब तो बच्चों का जन्म से पहले ही आईएएस , आईपीएस , डॉक्टर बनना तय होता है। अब बच्चे नहीं मशीने पैदा हो रही है...है ना.?
- पवन सिहाग अनाम, बरमसर ( तृतीय श्रेणी अध्यापक लेवल 2 में अस्थाई रूप से चयनित)
मिथुन दा की फ़ोटो बटुए में लेकर घूमने वालें लड़कों ने थोड़ी समझ पकड़ी तो फिल्मों का चस्का लगा। मिथुन, सुनील शेट्टी ,शनि देवोल की सारी फिल्में देख चुके थे। थोड़ा बड़े हुए तो मुहोब्बत में मात खाए। नॉनवेज बातें काका भाइयों के पास बैठकर सीखी। शाहरुख ने रोमांस करना सिखाया। हाथ पैर मारें कहीं सफल हुए तो बांछे खिलने वाली और असफल हुए तो खौफ से सहमने वाली हम आखिरी पीढ़ी है।
मंदिर की चौखट पर पाप धुलने की दुआओं से लेकर और पाप में सफ़लता की अर्जी लगाने वाली हम आखिरी पीढ़ी है।
आज कल के यह रील बनाने वाले लड़कें क्या जाने हमारा वो एक्शन वाला दौर कैसा था।
न आज की तरह ब्रांडेड कपड़े थे। न कॉल ड्रिंक लिम्का। हाफ टाइम में काकड़िया मतिरा खाकर और राबड़ी पीकर निकलते थे।
रात को कब्बडी खेलने से लेकर ताश तक की बाजियां लगाई है। चिमनी को दूर से फूंक मारके बुझाने का हुनर सिखा है। पहली बार वोडाफोन सर्विस वालों से हिंदी में बात करके कलेक्टर के जैसी फीलिंग ली है। खाकी वर्दी वालों को देख के पेंट गीली की है।
मां से रुसके संदूक के नीचे छिपा था। चूरमा नहीं चुरके दिया था। जल्दी से बाहर आने के चक्कर में सर में फ्रेम की चोट खा ली। टांके आए। अपने आप नहाने की जिद्द में बाल्टी के ऊपर गिरके ठुड्डी की हड्डी तुड़वाई है। एक बार तो छोटी बहन ने गुस्से में आकर पैर में कैंची गुस्सा दी थी। ऐसे कितने ही कारनामों के निशान शरीर पर लिए घूम रहा हूं।
आजकल के बच्चे जन्मे नहीं कि अपेक्षाओं का पहाड़ लादे फिरते हैं। घर वाले भी कमाल है। सातों चीजें आगे रखते हैं। कंफर्ट जोन में रखते है। अगर हमारी तरह वो ठुकाई वाली प्रथाएं अब तक चलती तो डिप्रेशन और युवाओं में बढ़ती आत्म हत्याएं कम हो जाती। समय आने पर खुद ही स्याने हो जाते।
लेकिन नहीं। अब तो बच्चों का जन्म से पहले ही आईएएस , आईपीएस , डॉक्टर बनना तय होता है। अब बच्चे नहीं मशीने पैदा हो रही है...है ना.?
- पवन सिहाग अनाम, बरमसर ( तृतीय श्रेणी अध्यापक लेवल 2 में अस्थाई रूप से चयनित)
Mr. Sparrow, I am so thristy, let's stop _____ water..
Anonymous Quiz
45%
A. To drink
55%
B. Drinking.
लूंवां तापां तावड़े,फट सूं बोल्यो फोग।
थारै कांई अणफंसी,आज करै थूं योग।
आज करै थूं योग, समाधी ध्यान लगा ली।
बुगला ज्यूं अँख मींच,अेक फोटू खिंचवाली।
जबरो योगी छैल,करै नित चाळा नूवां।
करतो जै नित योग,तापतो क्यूं थूं लूंवां।
~छैल
थारै कांई अणफंसी,आज करै थूं योग।
आज करै थूं योग, समाधी ध्यान लगा ली।
बुगला ज्यूं अँख मींच,अेक फोटू खिंचवाली।
जबरो योगी छैल,करै नित चाळा नूवां।
करतो जै नित योग,तापतो क्यूं थूं लूंवां।
~छैल