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ज़ज्बात-ए-इश्क सलामत है तो
इंसा अल्लाह

कच्चे धागे से चले आएँगे मेरे सरकार बंधे हुए
आज मौसम का गुरूर तो देखो

जैसे मेरे महबूब का दीदार कर आया हों
चुभते हुए ख्वाबों से कह दो
अब आया ना करे

हम तहाँ तसल्ली से रहते हैं
बेकार उलझाया ना करे
एक दूसरे से बिछड़ कर हम कितने रंगीन हो गए

मेरी आँख लाल हो गई तेरे हाथ पीले हो गए
किसी का सरदर्द हूँ मैं


किसी की जान बसती है मुझमे___!!
मेरी हर सोच में तुम हों

और
तुम कहती हो ज्यादा सोचा ना करो___!!
सुनो जान__

तुम ख्वाब में आना

हकीकत में मसले बहुत है___!!
मशहूर होने का शौक नहीं मुझे

आप मुझे पहचानते है बस इतना काफी है
दिल रोज सजते है
नादान दुल्हन की तरह

ग़म रोज चले आते हैं बाराती बनकर___!!
टूटने वाला टूट ही जाता है

छोड़ने वाले को कोई फर्क नहीं पड़ता___!!
आंखे भी मेरी पलकों से सवाल करती है
हर वक्त तुम्हें ही तलाश करती है

जब तक देख न ले चेहरा तुम्हारा
हर घड़ी तुम्हारा ही इंतजार करती है
ये उदास जिंदगी मुझे उस मुकाम तक ले जाती है
कि
मुझे तुम_एक तुम_फिर तुम और बस तुम ही तुम
याद आते हों
वो रास्ते में मिली
मुस्कुरा दिया देख कर 😊

बहुत रोया मगर
घर जाकर___!! 🥺😢
हम नाराज समझ रहे थे

मगर वो तंग थे हमसे___!!
मैं बन जाऊँ चाय की पती
तुम बन जाओ शक्कर के दाने
कोई तो मिलाए हमे चाय पीने के बहाने
🍁|| मैं विरह की वेदना लिखूँ या मिलन की झंकार लिखूँ

आप ही बता दो थोडे शब्दों में कैसे सारा प्यार लिखूँ ||🍁
उसका तकिया मेरी बाहों में होता है

मैं करवट बदल लूं तो
वो लड़ पड़ती है मुझसे___!!
2025/02/23 09:33:14
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