*आत्मबोध* 🕉️🚩
*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : नेत्रादि उत्तम इन्द्रियों को प्रदान करने वाले परमात्मा के प्रति कृतज्ञता का भाव रखने का उपदेश*
*ऋषीणांप्रस्तरोऽसि नमोऽस्तु दैवाय प्रस्तराय॥*
*(अथर्ववेद - काण्ड 16; सूक्त 2; मन्त्र 6)*
*मन्त्रार्थ—*
[हे परमेश्वर !] तू (ऋषीणाम्) इन्द्रियों का (प्रस्तरः) फैलानेवाला (असि) है, (दैवाय) दिव्य गुणवाले (प्रस्तराय) फैलाने [तुझ] को (नमः) नमस्कार [सत्कार] (अस्तु) होवे।
*व्याख्या -*
मनुष्य उस परमात्मा को सदा धन्यवाद दें कि उसने उन वेदादि शास्त्र पढ़ने, सुनने, विचारने और उपकार करने के लिये अमूल्य श्रवण आदि इन्द्रियाँ दी हैं।
*हिन्दू एकता संघ द्वारा सनातन धर्म के मूल ग्रन्थ वेदों के कल्याणकारी मन्त्रों के प्रचार हेतु बनाए गए नए इंस्टाग्राम पेज @vedicdarshan से जुड़ें 👇🏻🕉️*
*वैदिक दर्शन - लिंक:*
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*ऋषीणांप्रस्तरोऽसि नमोऽस्तु दैवाय प्रस्तराय॥*
*(अथर्ववेद - काण्ड 16; सूक्त 2; मन्त्र 6)*
*मन्त्रार्थ—*
[हे परमेश्वर !] तू (ऋषीणाम्) इन्द्रियों का (प्रस्तरः) फैलानेवाला (असि) है, (दैवाय) दिव्य गुणवाले (प्रस्तराय) फैलाने [तुझ] को (नमः) नमस्कार [सत्कार] (अस्तु) होवे।
*व्याख्या -*
मनुष्य उस परमात्मा को सदा धन्यवाद दें कि उसने उन वेदादि शास्त्र पढ़ने, सुनने, विचारने और उपकार करने के लिये अमूल्य श्रवण आदि इन्द्रियाँ दी हैं।
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*आत्मबोध🕉️🦁*
*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*
*दिवस : ३३४/३५० (334/350)*
*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*
*अध्याय १८ श्लोक ५२ (18:52)*
*विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानस:।*
*ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रित:।।*
*शब्दार्थ—*
विविक्त-सेवी—एकान्त स्थान में रहते हुए; लघु-आशी—अल्प भोजन करने वाला; यत—वश में करके; वाक्—वाणी; काय—शरीर; मानस:—तथा मन को; ध्यान-योग-पर:—समाधि में लीन; नित्यम्— लगातार,चौबीसों घण्टे; वैराग्यम्—वैराग्य का; समुपाश्रित:—समान रूप से आश्रय लेकर।
*अनुवाद—*
जो वैराग्यके आश्रित, एकान्तका सेवन करनेवाला और नियमित/निश्चित/अल्प भोजन करनेवाला साधक धैर्यपूर्वक इन्द्रियोंका नियमन करके, शरीर-वाणी-मनको वशमें करके, शब्दादि विषयोंका त्याग करके और राग-द्वेषको छोड़कर निरन्तर ध्यानयोगके परायण हो जाता है, वह अहंकार, बल, दर्प, काम, क्रोध और परिग्रहका त्याग करके एवं निर्मम तथा शान्त होकर (ब्रह्मप्राप्तिका पात्र हो जाता है।)
*अध्याय १८ श्लोक ५३ (18:53)*
*अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्।*
*विमुच्य निर्मम: शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते॥*
*शब्दार्थ—*
अहङ्कारम्— मिथ्या अहंकार को; बलम्—मिथ्या बल को; दर्पम्—मिथ्या घमंड को; कामम्—काम को; क्रोधम्—क्रोध को; परिग्रहम्—तथा भौतिक वस्तुओं के संग्रह को; विमुच्य— त्याग कर; निर्मम:—स्वामित्व की भावना से रहित, ममत्व से रहित; शान्त:—शान्त; ब्रह्म-भूयाय— आत्म-साक्षात्कार के लिए; कल्पते—योग्य हो जाता है।
*अनुवाद—*
अहंकार, बल, दर्प, काम, क्रोध और परिग्रह को त्याग कर ममत्वभाव से रहित और शान्त पुरुष ब्रह्म प्राप्ति के योग्य बन जाता है।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*
*दिवस : ३३४/३५० (334/350)*
*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*अष्टादशऽध्याय : मोक्षसंन्यासयोग*
*अध्याय १८ श्लोक ५२ (18:52)*
*विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानस:।*
*ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रित:।।*
*शब्दार्थ—*
विविक्त-सेवी—एकान्त स्थान में रहते हुए; लघु-आशी—अल्प भोजन करने वाला; यत—वश में करके; वाक्—वाणी; काय—शरीर; मानस:—तथा मन को; ध्यान-योग-पर:—समाधि में लीन; नित्यम्— लगातार,चौबीसों घण्टे; वैराग्यम्—वैराग्य का; समुपाश्रित:—समान रूप से आश्रय लेकर।
*अनुवाद—*
जो वैराग्यके आश्रित, एकान्तका सेवन करनेवाला और नियमित/निश्चित/अल्प भोजन करनेवाला साधक धैर्यपूर्वक इन्द्रियोंका नियमन करके, शरीर-वाणी-मनको वशमें करके, शब्दादि विषयोंका त्याग करके और राग-द्वेषको छोड़कर निरन्तर ध्यानयोगके परायण हो जाता है, वह अहंकार, बल, दर्प, काम, क्रोध और परिग्रहका त्याग करके एवं निर्मम तथा शान्त होकर (ब्रह्मप्राप्तिका पात्र हो जाता है।)
*अध्याय १८ श्लोक ५३ (18:53)*
*अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्।*
*विमुच्य निर्मम: शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते॥*
*शब्दार्थ—*
अहङ्कारम्— मिथ्या अहंकार को; बलम्—मिथ्या बल को; दर्पम्—मिथ्या घमंड को; कामम्—काम को; क्रोधम्—क्रोध को; परिग्रहम्—तथा भौतिक वस्तुओं के संग्रह को; विमुच्य— त्याग कर; निर्मम:—स्वामित्व की भावना से रहित, ममत्व से रहित; शान्त:—शान्त; ब्रह्म-भूयाय— आत्म-साक्षात्कार के लिए; कल्पते—योग्य हो जाता है।
*अनुवाद—*
अहंकार, बल, दर्प, काम, क्रोध और परिग्रह को त्याग कर ममत्वभाव से रहित और शान्त पुरुष ब्रह्म प्राप्ति के योग्य बन जाता है।
शेष क्रमश: कल
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*आत्मबोध🕉️🚩*
*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेदानुसार गृहस्थों को कैसा प्रयत्न करना चाहिये?*
*वयमु त्वा गृहपते जनानामग्ने अकर्म समिधा बृहन्तम्। अस्थूरि नो गार्हपत्यानि सन्तु तिग्मेन नस्तेजसा सं शिशाधि॥*
*(ऋग्वेद - मण्डल 6; सूक्त 15; मन्त्र 19)*
*मन्त्रार्थ—*
हे (गृहपते) गृहस्थों के पालन करनेवाले (अग्ने) अग्नि के समान वर्त्तमान (वयम्) हम लोग (जनानाम्) मनुष्यों के मध्य में (त्वा) आपका आश्रय करके (समिधा) प्रदीपक साधन से अग्नि को (बृहन्तम्) बड़ा (अकर्म्म) करें (उ) और (नः) हम लोगों का (अस्थूरि) चलनेवाला वाहन और (गार्हपत्यानि) गृहपति से संयुक्त कर्म्म जिस प्रकार से सिद्ध (सन्तु) हों उस प्रकार से (तिग्मेन) तीव्र (तेजसा) तेज से आप (नः) हम लोगों को (सम्, शिशाधि) उत्तम प्रकार शिक्षा दीजिये।
*व्याख्या—*
हे गृहस्थजनों! आप लोग आलस्य का त्याग करके सृष्टिक्रम से विद्या की उन्नति करके सुख को प्राप्त होइए व अन्य विद्यार्थियों को विद्या ग्रहण कराइये, जिससे सब सुख बढ़े।
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*वयमु त्वा गृहपते जनानामग्ने अकर्म समिधा बृहन्तम्। अस्थूरि नो गार्हपत्यानि सन्तु तिग्मेन नस्तेजसा सं शिशाधि॥*
*(ऋग्वेद - मण्डल 6; सूक्त 15; मन्त्र 19)*
*मन्त्रार्थ—*
हे (गृहपते) गृहस्थों के पालन करनेवाले (अग्ने) अग्नि के समान वर्त्तमान (वयम्) हम लोग (जनानाम्) मनुष्यों के मध्य में (त्वा) आपका आश्रय करके (समिधा) प्रदीपक साधन से अग्नि को (बृहन्तम्) बड़ा (अकर्म्म) करें (उ) और (नः) हम लोगों का (अस्थूरि) चलनेवाला वाहन और (गार्हपत्यानि) गृहपति से संयुक्त कर्म्म जिस प्रकार से सिद्ध (सन्तु) हों उस प्रकार से (तिग्मेन) तीव्र (तेजसा) तेज से आप (नः) हम लोगों को (सम्, शिशाधि) उत्तम प्रकार शिक्षा दीजिये।
*व्याख्या—*
हे गृहस्थजनों! आप लोग आलस्य का त्याग करके सृष्टिक्रम से विद्या की उन्नति करके सुख को प्राप्त होइए व अन्य विद्यार्थियों को विद्या ग्रहण कराइये, जिससे सब सुख बढ़े।
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*🔲 भगवान परशुराम जन्मोत्सव सनातन धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन भगवान परशुराम जन्मोत्सव मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान परशुराम जगत के पालनहार विष्णुजी के अवतार हैं। वे भले ही ब्राह्मण कुल में जन्मे, लेकिन उनके कर्म क्षत्रियों के समान थे। भगवान परशुराम के जीवन हमें कई अच्छी चीजों की प्रेरणा मिलती है।*
*♦️भगवान परशुराम जन्मोत्सव का महत्व :*
परशुराम जी के जन्मोत्सव का महत्व तो आप इस बात से ही जान गए होंगे कि परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम जी एक मात्र ऐसे अवतार हैं, जो आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं। दक्षिण भारत के उडुपी के पास भगवान परशुराम जी का बड़ा मंदिर है। कल्कि पुराण के अनुसार, जब कलयुग में भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि अवतरित होंगे, तो परशुराम जी ही उनको अस्त्र-शस्त्र में पारंगत करेंगे।
*🟠माता-पिता का सम्मान :*
भगवान परशुराम ने हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान किया और उन्हें भगवान के समान ही माना। माता-पिता के हर आदेश का पालन भगवान परशुराम ने किया। हमें भी जीवन में हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी हर आज्ञा का पालन करना चाहिए। जो व्यक्ति माता-पिता का सम्मान करते हैं, भगवान भी उनसे प्रसन्न रहते हैं।
*🟡दान की भावना :*
धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम ने अश्वमेघ यज्ञ कर पूरी दुनिया को जीत लिया था, लेकिन उन्होंने सबकुछ दान कर दिया। हमें भगवान परशुराम से दान करना सीखना चाहिए। अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार भी दान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि दान करने से उसका कई गुना फल मिलता है।
*🟠न्याय सर्वोपरि :*
भगवान परशुराम ने न्याय करने के लिए सहस्त्रार्जुन और उसके वंश का नाश कर दिया था। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम का मानना था कि न्याय करना बहुत आवश्यक है। इसलिए उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में इस बात का वर्णन भी है कि भगवान परशुराम सहस्त्रार्जुन और उसके वंश का नाश नहीं करना चाहते थे, परंतु उन्होंने न्याय के लिए ऐसा किया। भगवान परशुराम के लिए न्याय सबसे ऊपर था। हमें भी जीवन में न्याय करना चाहिए।
*🟡विवेकपूर्ण कार्य :*
भगवान परशुराम ने गुस्से में आकर कभी भी अपना विवेक नहीं खोया। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम का स्वभाव गुस्से वाला था, परंतु उन्होंने हर कार्य को संयम से ही किया। हमें भी जीवन में सदैव विवेक और संयम बना के रखना चाहिए।
*♦️भगवान परशुराम जन्मोत्सव का महत्व :*
परशुराम जी के जन्मोत्सव का महत्व तो आप इस बात से ही जान गए होंगे कि परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम जी एक मात्र ऐसे अवतार हैं, जो आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं। दक्षिण भारत के उडुपी के पास भगवान परशुराम जी का बड़ा मंदिर है। कल्कि पुराण के अनुसार, जब कलयुग में भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि अवतरित होंगे, तो परशुराम जी ही उनको अस्त्र-शस्त्र में पारंगत करेंगे।
*🟠माता-पिता का सम्मान :*
भगवान परशुराम ने हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान किया और उन्हें भगवान के समान ही माना। माता-पिता के हर आदेश का पालन भगवान परशुराम ने किया। हमें भी जीवन में हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी हर आज्ञा का पालन करना चाहिए। जो व्यक्ति माता-पिता का सम्मान करते हैं, भगवान भी उनसे प्रसन्न रहते हैं।
*🟡दान की भावना :*
धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम ने अश्वमेघ यज्ञ कर पूरी दुनिया को जीत लिया था, लेकिन उन्होंने सबकुछ दान कर दिया। हमें भगवान परशुराम से दान करना सीखना चाहिए। अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार भी दान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि दान करने से उसका कई गुना फल मिलता है।
*🟠न्याय सर्वोपरि :*
भगवान परशुराम ने न्याय करने के लिए सहस्त्रार्जुन और उसके वंश का नाश कर दिया था। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम का मानना था कि न्याय करना बहुत आवश्यक है। इसलिए उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में इस बात का वर्णन भी है कि भगवान परशुराम सहस्त्रार्जुन और उसके वंश का नाश नहीं करना चाहते थे, परंतु उन्होंने न्याय के लिए ऐसा किया। भगवान परशुराम के लिए न्याय सबसे ऊपर था। हमें भी जीवन में न्याय करना चाहिए।
*🟡विवेकपूर्ण कार्य :*
भगवान परशुराम ने गुस्से में आकर कभी भी अपना विवेक नहीं खोया। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम का स्वभाव गुस्से वाला था, परंतु उन्होंने हर कार्य को संयम से ही किया। हमें भी जीवन में सदैव विवेक और संयम बना के रखना चाहिए।
🟣_*अक्षय तृतीया* *(आखा तीज) [वैशाख ]*
*का महत्व क्यों है और जानिए इस दिन कि कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ:*
🕉 ब्रह्माजी के पुत्र *अक्षय कुमार* का अवतरण।
🕉 *माँ अन्नपूर्णा* का जन्म।
🕉 *चिरंजीवी महर्षी परशुराम* का जन्म हुआ था इसीलिए आज *परशुराम जन्मोत्सव* भी हैं।
🕉 *कुबेर* को खजाना मिला था।
🕉 *माँ गंगा* का धरती अवतरण हुआ था।
🕉 सूर्य भगवान ने पांडवों को *अक्षय पात्र* दिया।
🕉 महाभारत का *युद्ध समाप्त* हुआ था।
🕉 वेदव्यास जी ने *महाकाव्य महाभारत की रचना* गणेश जी के साथ शुरू किया था।
🕉 प्रथम तीर्थंकर *आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान* के 13 महीने का कठीन उपवास का *पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया* था।
🕉 प्रसिद्ध तीर्थ स्थल *श्री बद्री नारायण धाम* का कपाट खोले जाते है।
🕉 बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में *श्री कृष्ण चरण के दर्शन* होते है।
🕉 जगन्नाथ भगवान के सभी *रथों को बनाना प्रारम्भ* किया जाता है।
🕉 आदि शंकराचार्य ने *कनकधारा स्तोत्र* की रचना की थी।
🕉 *अक्षय* का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो!!!
🕉 *अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है....!!!*
अक्षय रहे *सुख* आपका,😌
अक्षय रहे *धन* आपका,💰
अक्षय रहे *प्रेम* आपका,💕
अक्षय रहे *स्वास्थ* आपका,💪
अक्षय रहे *संबद्ध* हमारा
अक्षय तृतीया की आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को *हार्दिक शुभकामनाएं*
*का महत्व क्यों है और जानिए इस दिन कि कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ:*
🕉 ब्रह्माजी के पुत्र *अक्षय कुमार* का अवतरण।
🕉 *माँ अन्नपूर्णा* का जन्म।
🕉 *चिरंजीवी महर्षी परशुराम* का जन्म हुआ था इसीलिए आज *परशुराम जन्मोत्सव* भी हैं।
🕉 *कुबेर* को खजाना मिला था।
🕉 *माँ गंगा* का धरती अवतरण हुआ था।
🕉 सूर्य भगवान ने पांडवों को *अक्षय पात्र* दिया।
🕉 महाभारत का *युद्ध समाप्त* हुआ था।
🕉 वेदव्यास जी ने *महाकाव्य महाभारत की रचना* गणेश जी के साथ शुरू किया था।
🕉 प्रथम तीर्थंकर *आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान* के 13 महीने का कठीन उपवास का *पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया* था।
🕉 प्रसिद्ध तीर्थ स्थल *श्री बद्री नारायण धाम* का कपाट खोले जाते है।
🕉 बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में *श्री कृष्ण चरण के दर्शन* होते है।
🕉 जगन्नाथ भगवान के सभी *रथों को बनाना प्रारम्भ* किया जाता है।
🕉 आदि शंकराचार्य ने *कनकधारा स्तोत्र* की रचना की थी।
🕉 *अक्षय* का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो!!!
🕉 *अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है....!!!*
अक्षय रहे *सुख* आपका,😌
अक्षय रहे *धन* आपका,💰
अक्षय रहे *प्रेम* आपका,💕
अक्षय रहे *स्वास्थ* आपका,💪
अक्षय रहे *संबद्ध* हमारा
अक्षय तृतीया की आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को *हार्दिक शुभकामनाएं*
*🧐‘मेरी फूल जैसी बेटी को छलनी कर दिया’: 10वीं की छात्रा से गैंगरेप, 500 का नोट देकर कहा- जब-जहाँ बुलाएँ चली आना; एक्शन में बुलडोजर*
https://hindi.opindia.com/national/madhya-pradesh-shahdol-minor-student-gangrape-five-accused-arrested-police-bulldozer/
*🔊मध्य प्रदेश के शहडोल से एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। छात्रा का वीडियो भी बना लिया और उसे धमकाया गया। इस मामले में पुलिस ने पाँच आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। छात्रा को आरोपितों ने वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी।*
https://hindi.opindia.com/national/madhya-pradesh-shahdol-minor-student-gangrape-five-accused-arrested-police-bulldozer/
*🔊मध्य प्रदेश के शहडोल से एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। छात्रा का वीडियो भी बना लिया और उसे धमकाया गया। इस मामले में पुलिस ने पाँच आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। छात्रा को आरोपितों ने वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी।*
ऑपइंडिया
‘मेरी फूल जैसी बेटी को छलनी कर दिया’: 10वीं की छात्रा से गैंगरेप, 500 का नोट देकर कहा- जब-जहाँ बुलाएँ चली आना; एक्शन में बुलडोजर
मध्य प्रदेश के शहडोल से एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने पाँच आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।
*आत्मबोध🕉️🦁*
*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*
*दिवस : ३१/३५० (31/350)*
*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*द्वितीयऽध्याय : सांख्ययोग*
*अध्याय ०२ : श्लोक १५ (02:15)*
*यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।*
*समदु:खसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते॥*
*शब्दार्थ—*
(हि) क्योंकि (पुरुषर्षभ) हे पुरुषश्रेष्ठ! (समदुःखसुखम्) दुःख-सुखको समान समझनेवाले (यम्) जिस(धीरम्) धीर अर्थात् तत्त्वदर्शी (पुरुषम्) पुरुषको (एते) ये (न व्यथयन्ति) व्याकुल नहीं करते (सः) वह (अमृतत्वाय) पूर्ण परमात्मा के आनन्द के (कल्पते) योग्य होता है।
*अनुवाद—*
क्योंकि हे पुरुषश्रेष्ठ! दुःख-सुख को समान समझने वाले जिस धीर पुरुष को ये इन्द्रिय और विषयों के संयोग व्याकुल नहीं करते, वह मोक्ष के योग्य होता है।
*अध्याय ०२ : श्लोक १६ (02:16)*
*नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सत:।*
*उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्वदर्शिभि:॥*
*शब्दार्थ—*
(असतः) असत् वस्तु की तो (भावः) सत्ता (न) नहीं (विद्यते) जानी जाती (तु) और (सतः) सत् का (अभावः) अभाव (न) नहीं (विद्यते) जाना जाता इस प्रकार (अनयोः) इन (उभयोः) दोनों की (अपि) भी (अन्तः) आन्तरिक तत्त्व/गुण, वास्तविकता को (तत्त्वदर्शिभिः) तत्वज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संतों द्वारा (दृष्टः) देखा गया है।
*अनुवाद—*
असत् वस्तु की तो सत्ता नहीं है और सत् का अभाव नहीं है। इस प्रकार इन दोनों का ही तत्व, तत्वज्ञानी पुरुषों द्वारा देखा गया है।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*द्वितीयऽध्याय : सांख्ययोग*
*अध्याय ०२ : श्लोक १५ (02:15)*
*यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।*
*समदु:खसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते॥*
*शब्दार्थ—*
(हि) क्योंकि (पुरुषर्षभ) हे पुरुषश्रेष्ठ! (समदुःखसुखम्) दुःख-सुखको समान समझनेवाले (यम्) जिस(धीरम्) धीर अर्थात् तत्त्वदर्शी (पुरुषम्) पुरुषको (एते) ये (न व्यथयन्ति) व्याकुल नहीं करते (सः) वह (अमृतत्वाय) पूर्ण परमात्मा के आनन्द के (कल्पते) योग्य होता है।
*अनुवाद—*
क्योंकि हे पुरुषश्रेष्ठ! दुःख-सुख को समान समझने वाले जिस धीर पुरुष को ये इन्द्रिय और विषयों के संयोग व्याकुल नहीं करते, वह मोक्ष के योग्य होता है।
*अध्याय ०२ : श्लोक १६ (02:16)*
*नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सत:।*
*उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्वदर्शिभि:॥*
*शब्दार्थ—*
(असतः) असत् वस्तु की तो (भावः) सत्ता (न) नहीं (विद्यते) जानी जाती (तु) और (सतः) सत् का (अभावः) अभाव (न) नहीं (विद्यते) जाना जाता इस प्रकार (अनयोः) इन (उभयोः) दोनों की (अपि) भी (अन्तः) आन्तरिक तत्त्व/गुण, वास्तविकता को (तत्त्वदर्शिभिः) तत्वज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संतों द्वारा (दृष्टः) देखा गया है।
*अनुवाद—*
असत् वस्तु की तो सत्ता नहीं है और सत् का अभाव नहीं है। इस प्रकार इन दोनों का ही तत्व, तत्वज्ञानी पुरुषों द्वारा देखा गया है।
शेष क्रमश: कल
*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*
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*आत्मबोध🕉️🚩*
*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेद में परमात्मा की उपासना से होने वाले कल्याण का सन्देश*
*अद्य नो देव सवितः प्रजावत्सावीः सौभगम् । परा दुःष्वप्न्यꣳ सुव।।*
*(सामवेद - मंत्र संख्या 141)*
*मन्त्रार्थ—*
हे (देव) ऐश्वर्यप्रदायक, प्रकाशमय, प्रकाशक, सर्वोपरि विराजमान, (सवितः) उत्तम बुद्धि आदि के प्रेरक इन्द्र परमात्मन् ! (अद्य) आज, आप (नः) हमारे लिए (प्रजावत्) सन्ततियुक्त अर्थात् उत्तरोत्तर बढ़नेवाले (सौभगम्) धर्म, यश, श्री, ज्ञान, वैराग्य आदि का धन (सावीः) प्रेरित कीजिए, (दुःष्वप्न्यम्) दिन का दुःस्वप्न, रात्रि का दुःस्वप्न और उनसे होनेवाले कुपरिणामों को (परासुव) दूर कर दीजिए।
*व्याख्या—*
परमात्मा की उपासना से मनुष्य निरन्तर बढ़नेवाले सद्गुणरूप बहुमूल्य धन को और दोषों से मुक्ति को पा लेता है।
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*अद्य नो देव सवितः प्रजावत्सावीः सौभगम् । परा दुःष्वप्न्यꣳ सुव।।*
*(सामवेद - मंत्र संख्या 141)*
*मन्त्रार्थ—*
हे (देव) ऐश्वर्यप्रदायक, प्रकाशमय, प्रकाशक, सर्वोपरि विराजमान, (सवितः) उत्तम बुद्धि आदि के प्रेरक इन्द्र परमात्मन् ! (अद्य) आज, आप (नः) हमारे लिए (प्रजावत्) सन्ततियुक्त अर्थात् उत्तरोत्तर बढ़नेवाले (सौभगम्) धर्म, यश, श्री, ज्ञान, वैराग्य आदि का धन (सावीः) प्रेरित कीजिए, (दुःष्वप्न्यम्) दिन का दुःस्वप्न, रात्रि का दुःस्वप्न और उनसे होनेवाले कुपरिणामों को (परासुव) दूर कर दीजिए।
*व्याख्या—*
परमात्मा की उपासना से मनुष्य निरन्तर बढ़नेवाले सद्गुणरूप बहुमूल्य धन को और दोषों से मुक्ति को पा लेता है।
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*आत्मबोध🕉️🦁*
*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*
*दिवस : ३८/३५० (38/350)*
*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*द्वितीयऽध्याय : सांख्ययोग*
*अध्याय ०२ : श्लोक २९ (02:29)*
*आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेनमाश्चर्यवद्वदति तथैव चान्य:।*
*आश्चर्यवच्चैनमन्य: शृ्णोतिश्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्॥*
*शब्दार्थ—*
(कश्चित्) कोई एक ही (एनम्) इस परमात्मा सहित आत्माको (आश्चर्यवत्) आश्चर्यकी भाँति (पश्यति) देखता है (च) और (तथा) वैसे (एव) ही (अन्यः) दूसरा कोई महापुरुष ही (आश्चर्यवत्) आश्चर्य की भाँति (वदति) वर्णन करता है (च) तथा (अन्यः) दूसरा (एनम्) इसे (आश्चर्यवत्) आश्चर्य की भाँति (श्रृणोति) सुनता है (च) और (कश्चित्) कोई (श्रुत्वा) सुनकर (अपि) भी (एनम्) इसको (न, एव) नहीं (वेद) जानता।
*अनुवाद—*
कोई एक महापुरुष ही इस आत्मा को आश्चर्य की भाँति देखता है और वैसे ही दूसरा कोई महापुरुष ही इसके तत्व का आश्चर्य की भाँति वर्णन करता है तथा दूसरा कोई अधिकारी पुरुष ही इसे आश्चर्य की भाँति सुनता है और कोई-कोई तो सुनकर भी इसको नहीं जानता।
*अध्याय ०२ : श्लोक ३० (02:30)*
*देही नित्यमवध्योऽयं देहे सर्वस्य भारत।*
*तस्मात्सर्वाणि भूतानि न त्वं शोचितुमर्हसि॥*
*शब्दार्थ—*
(भारत) हे अर्जुन! (अयम्) यह (देही) जीवात्मा परमात्मा के साथ (सर्वस्य) सबके (देहे) शरीरोंमें (नित्यम्) सदा ही (अवध्यः) अविनाशी है (तस्मात्) इस कारण (सर्वाणि) सम्पूर्ण (भूतानि) प्राणियोंके लिये (त्वम्) तू (शोचितुम्) शोक करनेको (न, अर्हसि) योग्य नहीं है।
*अनुवाद—*
हे अर्जुन! यह आत्मा सबके शरीर में सदा ही अवध्य (जिसका वध नहीं किया जा सके) है। इस कारण सम्पूर्ण प्राणियों के लिए तू शोक करने योग्य नहीं है।
शेष क्रमश: कल
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*अध्याय ०२ : श्लोक २९ (02:29)*
*आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेनमाश्चर्यवद्वदति तथैव चान्य:।*
*आश्चर्यवच्चैनमन्य: शृ्णोतिश्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्॥*
*शब्दार्थ—*
(कश्चित्) कोई एक ही (एनम्) इस परमात्मा सहित आत्माको (आश्चर्यवत्) आश्चर्यकी भाँति (पश्यति) देखता है (च) और (तथा) वैसे (एव) ही (अन्यः) दूसरा कोई महापुरुष ही (आश्चर्यवत्) आश्चर्य की भाँति (वदति) वर्णन करता है (च) तथा (अन्यः) दूसरा (एनम्) इसे (आश्चर्यवत्) आश्चर्य की भाँति (श्रृणोति) सुनता है (च) और (कश्चित्) कोई (श्रुत्वा) सुनकर (अपि) भी (एनम्) इसको (न, एव) नहीं (वेद) जानता।
*अनुवाद—*
कोई एक महापुरुष ही इस आत्मा को आश्चर्य की भाँति देखता है और वैसे ही दूसरा कोई महापुरुष ही इसके तत्व का आश्चर्य की भाँति वर्णन करता है तथा दूसरा कोई अधिकारी पुरुष ही इसे आश्चर्य की भाँति सुनता है और कोई-कोई तो सुनकर भी इसको नहीं जानता।
*अध्याय ०२ : श्लोक ३० (02:30)*
*देही नित्यमवध्योऽयं देहे सर्वस्य भारत।*
*तस्मात्सर्वाणि भूतानि न त्वं शोचितुमर्हसि॥*
*शब्दार्थ—*
(भारत) हे अर्जुन! (अयम्) यह (देही) जीवात्मा परमात्मा के साथ (सर्वस्य) सबके (देहे) शरीरोंमें (नित्यम्) सदा ही (अवध्यः) अविनाशी है (तस्मात्) इस कारण (सर्वाणि) सम्पूर्ण (भूतानि) प्राणियोंके लिये (त्वम्) तू (शोचितुम्) शोक करनेको (न, अर्हसि) योग्य नहीं है।
*अनुवाद—*
हे अर्जुन! यह आत्मा सबके शरीर में सदा ही अवध्य (जिसका वध नहीं किया जा सके) है। इस कारण सम्पूर्ण प्राणियों के लिए तू शोक करने योग्य नहीं है।
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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : बाहरी सम्पर्क या आन्तरिक दुर्बलता के कारण उत्पन्न होते रोगों से मुक्ति हेतु परमात्म-प्रार्थना*
*ओ३म् आ मां मित्रावरुणेह रक्षतं कुलाययद्विश्वयन्मा न आ गन्। अजकावं दुर्दृशीकं तिरो दधे मा मां पद्येन रपसा विदत्त्सरुः॥*
*( ऋग्वेद – मण्डल 7; सूक्त 50; मंत्र 1 )*
*मन्त्र व्याख्या—*
मित्र वरुण (आकाश, जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी आदि) मुझे रोगों से मुक्त रखें। मुझे संक्रामक रोगों से मुक्त रखें। जो रोग जानवर और कीड़ों के द्वारा फैलते हैं उनसे दूर रखें। जो विषाणु आँख से नहीं दिखते उनसे भी दूर रखें। मुझे उन सब रोगों से मुक्त रखें जो बाहरी सम्पर्क या आन्तरिक दुर्बलता के कारण होते हैं।
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*ओ३म् आ मां मित्रावरुणेह रक्षतं कुलाययद्विश्वयन्मा न आ गन्। अजकावं दुर्दृशीकं तिरो दधे मा मां पद्येन रपसा विदत्त्सरुः॥*
*( ऋग्वेद – मण्डल 7; सूक्त 50; मंत्र 1 )*
*मन्त्र व्याख्या—*
मित्र वरुण (आकाश, जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी आदि) मुझे रोगों से मुक्त रखें। मुझे संक्रामक रोगों से मुक्त रखें। जो रोग जानवर और कीड़ों के द्वारा फैलते हैं उनसे दूर रखें। जो विषाणु आँख से नहीं दिखते उनसे भी दूर रखें। मुझे उन सब रोगों से मुक्त रखें जो बाहरी सम्पर्क या आन्तरिक दुर्बलता के कारण होते हैं।
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वैदिक दर्शन | Vedic Darshan WhatsApp Channel. ओ३म् ईशा वास्यमिदँ सर्वँयत्किञ्च जगत्याञ्जगत्।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्य स्विद्धनम्॥ (यजुर्वेद अ.४० म.१)
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*हिन्दू देवी-देवताओं पर जम कर चुटकुले सुनाता है, पैगंबर मुहम्मद पर ज्ञान देने लगता है Meta AI : इस्लामी आतंकियों का भी करता है बचाव*
भारत में सेक्युलरिज्म का एक नंगा नाच चलता है, जिसके तहत हिन्दू देवी-देवताओं का तो फिल्मों में मनोरंजन और क्रिएटिव लिबर्टी के नाम पर खूब मजाक बनाया जाता है, लेकिन जब बात इस्लाम या ईसाई मजहब की हो तो फूँक-फूँक कर कदम रखे जाते हैं। अब Meta ने जो अपना नया AI चैटबॉट लॉन्च किया है, वो भी इसी ट्रेंड को फॉलो कर रहा है। वो भगवान श्रीराम पर तो चुटकुले सुनाता है, लेकिन बात पैगंबर मुहम्मद की हो तो चुप बैठ जाता है। वहीं Meta AI ये भी मानने को तैयार नहीं है कि अधिकतर आतंकवादी मुस्लिम ही होते हैं।
किसी भी धर्म/मजहब/पंथ की पवित्र हस्तियों पर टिप्पणी गलत है, उनका मजाक नहीं बनाया जाना चाहिए। लेकिन, Meta AI इस मामले में पक्षपात करता है।
उदाहरण के लिए, देखिए – “ब्राह्मण, विष्णु और शिव जिम क्यों गए? – त्रिमूर्ति शरीर पाने के लिए! (त्रिमूर्ति हिन्दू धर्म में एक धारणा है जो विश्व के 3 स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करता है। ब्रह्मा, विष्णु और शिव इसका प्रतिनिधित्व करते हैं। Trimurti में मैं Trim शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ, जिसका अर्थ है फिट बॉडी।) मुझे आशा है कि ये आपके चेहरे पर मुस्कान लेकर आया।” देखा आपने, कैसे Meta AI ने हिन्दू देवी-देवताओं पर एक ऐसा चुटकुला सुनाया जबरदस्ती का जिस पर कोई हँसी नहीं आती, उनका अपमान होता है सो अलग।
वहीं, इसे अगर कहा जाता है कि इस्लामी हस्तियों पर चुटकुला सुनाओ तो ये कहता है, “मैं विभिन्न विषयों पर चुटकुले सुना सकता है, लेकिन मैं ऐसे चुटकुलों को नज़रअंदाज़ करूँगा जो किसी भी मजहबी हस्ती या आस्था के लिए अपमानजनक या आपत्तिजनक हो। इसके बदले मैं आपको अन्य विषयों पर चुटकुले सुना सकता हूँ। क्या आप किसी अन्य विषय पर चुटकुले सुनना चाहेंगे?”
यानी, हिन्दू और इस्लाम के लिए Meta AI के अलग अलग मानक हैं – हिन्दू धर्म का मजाक बनाओ, इस्लाम का नहीं।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/miscellaneous/science-technology/meta-ai-crack-jokes-on-lord-ram-hindu-deities-but-avoid-islamic-figures-prophet-muhammad-ready-what-it-says/
भारत में सेक्युलरिज्म का एक नंगा नाच चलता है, जिसके तहत हिन्दू देवी-देवताओं का तो फिल्मों में मनोरंजन और क्रिएटिव लिबर्टी के नाम पर खूब मजाक बनाया जाता है, लेकिन जब बात इस्लाम या ईसाई मजहब की हो तो फूँक-फूँक कर कदम रखे जाते हैं। अब Meta ने जो अपना नया AI चैटबॉट लॉन्च किया है, वो भी इसी ट्रेंड को फॉलो कर रहा है। वो भगवान श्रीराम पर तो चुटकुले सुनाता है, लेकिन बात पैगंबर मुहम्मद की हो तो चुप बैठ जाता है। वहीं Meta AI ये भी मानने को तैयार नहीं है कि अधिकतर आतंकवादी मुस्लिम ही होते हैं।
किसी भी धर्म/मजहब/पंथ की पवित्र हस्तियों पर टिप्पणी गलत है, उनका मजाक नहीं बनाया जाना चाहिए। लेकिन, Meta AI इस मामले में पक्षपात करता है।
उदाहरण के लिए, देखिए – “ब्राह्मण, विष्णु और शिव जिम क्यों गए? – त्रिमूर्ति शरीर पाने के लिए! (त्रिमूर्ति हिन्दू धर्म में एक धारणा है जो विश्व के 3 स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करता है। ब्रह्मा, विष्णु और शिव इसका प्रतिनिधित्व करते हैं। Trimurti में मैं Trim शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ, जिसका अर्थ है फिट बॉडी।) मुझे आशा है कि ये आपके चेहरे पर मुस्कान लेकर आया।” देखा आपने, कैसे Meta AI ने हिन्दू देवी-देवताओं पर एक ऐसा चुटकुला सुनाया जबरदस्ती का जिस पर कोई हँसी नहीं आती, उनका अपमान होता है सो अलग।
वहीं, इसे अगर कहा जाता है कि इस्लामी हस्तियों पर चुटकुला सुनाओ तो ये कहता है, “मैं विभिन्न विषयों पर चुटकुले सुना सकता है, लेकिन मैं ऐसे चुटकुलों को नज़रअंदाज़ करूँगा जो किसी भी मजहबी हस्ती या आस्था के लिए अपमानजनक या आपत्तिजनक हो। इसके बदले मैं आपको अन्य विषयों पर चुटकुले सुना सकता हूँ। क्या आप किसी अन्य विषय पर चुटकुले सुनना चाहेंगे?”
यानी, हिन्दू और इस्लाम के लिए Meta AI के अलग अलग मानक हैं – हिन्दू धर्म का मजाक बनाओ, इस्लाम का नहीं।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/miscellaneous/science-technology/meta-ai-crack-jokes-on-lord-ram-hindu-deities-but-avoid-islamic-figures-prophet-muhammad-ready-what-it-says/
ऑपइंडिया
हिन्दू देवी-देवताओं पर जम कर चुटकुले सुनाता है, पैगंबर मुहम्मद पर ज्ञान देने लगता है Meta AI: इस्लामी आतंकियों का भी करता है बचाव
Meta AI राम, ब्रह्मा, विष्णु और महेश पर तो जम कर चुटकुले सुनाता है, लेकिन पैगंबर मुहमद या किसी भी इस्लामी हस्तियों पर चुप्पी साध जाता है।
*दिहाड़ी मजदूर इस्माइल शेख ने बहन के बॉयफ्रेंड के पिता को चाकुओं से गोद कर मार डाला, अफेयर से था नाराज़*
महाराष्ट्र के पुणे में कटारु काचरू लहाड़े नाम के 60 वर्षीय बुजुर्ग की चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी गई है। हत्या की वजह मृतक के बेटे का मुस्लिम लड़की से अफेयर होना बताया जा रहा है। कातिलों के तौर पर अब तक इस्माइल रियाज़ शेख और उसके दोस्त उमेश गुप्ता की पहचान हुई है। इस्माइल शेख को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है,जबकि फरार उमेश की तलाश की जा रही है। घटना सोमवार (24 जून, 2024) की है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/pune-maharashtra-ismail-shaikh-killed-the-father-of-a-hindu-youth-who-loved-his-sister/
महाराष्ट्र के पुणे में कटारु काचरू लहाड़े नाम के 60 वर्षीय बुजुर्ग की चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी गई है। हत्या की वजह मृतक के बेटे का मुस्लिम लड़की से अफेयर होना बताया जा रहा है। कातिलों के तौर पर अब तक इस्माइल रियाज़ शेख और उसके दोस्त उमेश गुप्ता की पहचान हुई है। इस्माइल शेख को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है,जबकि फरार उमेश की तलाश की जा रही है। घटना सोमवार (24 जून, 2024) की है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/pune-maharashtra-ismail-shaikh-killed-the-father-of-a-hindu-youth-who-loved-his-sister/
ऑपइंडिया
दिहाड़ी मजदूर इस्माइल शेख ने बहन के बॉयफ्रेंड के पिता को चाकुओं से गोद कर मार डाला, अफेयर से था नाराज़
कटारू की हत्या येरवडा के दिहाड़ी मजदूर इस्माइल रियाज शेख ने की। धारदार हथियार से हुई इस हत्या में शेख का साथ दोस्त उमेश गुप्ता ने भी दिया।
*उम्रकैद, संपत्ति कुर्की, ₹1 करोड़ जुर्माना… पेपर लीक के खिलाफ अध्यादेश लेकर आई योगी सरकार, गड़बड़ी करने वाली संस्थाएँ होंगी ब्लैकलिस्ट*
नीट-यूजी और यूजीसी-नेट के पेपर लीक को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है, तो कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में भी सिपाही भर्ती परीक्षा और आरओ-एआरओ परीक्षा में गड़बड़ी के बाद परीक्षाएँ रद्द हुई थी। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने परीक्षाओं में धाँधली को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है और पेपर लीक के खिलाफ अध्यादेश का प्रस्ताव लेकर आई है। कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई है। अब उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं में गड़बड़ी करने वालों को 2 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा मिलेगी और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। यूपी सरकार के इस कदम की तारीफ हो रही है।
इसके साथ ही योगी सरकार ने पेपर लीक रोकने के लिए नई नीति का भी ऐलान कर दिया है। जिसके तहत हर पाली में 2 या अधिक पेपर सेट जरूर होने चाहिए। प्रत्येक सेट के प्रश्नपत्र की छपाई अलग-अलग एजेंसी के माध्यम से होगी। पेपर कोडिंग को भी और व्यवस्थित किया जाएगा। चयन परीक्षाओं के सेंटर के लिए राजकीय माध्यमिक, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज अथवा साफ-सुथरे ट्रैक रिकॉर्ड वाले ख्याति प्राप्त सुविधा संपन्न वित्त पोषित शैक्षिक संस्थान ही सेंटर बनाए जाएँगे। सेंटर वहीं होंगे, जहाँ सीसीटीवी की व्यवस्था होगी।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/politics/yogi-adityanath-led-up-government-brings-uttar-pradesh-public-examinations-ordinance-2024-against-paper-leaks-in-state/
नीट-यूजी और यूजीसी-नेट के पेपर लीक को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है, तो कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में भी सिपाही भर्ती परीक्षा और आरओ-एआरओ परीक्षा में गड़बड़ी के बाद परीक्षाएँ रद्द हुई थी। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने परीक्षाओं में धाँधली को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है और पेपर लीक के खिलाफ अध्यादेश का प्रस्ताव लेकर आई है। कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई है। अब उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं में गड़बड़ी करने वालों को 2 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा मिलेगी और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। यूपी सरकार के इस कदम की तारीफ हो रही है।
इसके साथ ही योगी सरकार ने पेपर लीक रोकने के लिए नई नीति का भी ऐलान कर दिया है। जिसके तहत हर पाली में 2 या अधिक पेपर सेट जरूर होने चाहिए। प्रत्येक सेट के प्रश्नपत्र की छपाई अलग-अलग एजेंसी के माध्यम से होगी। पेपर कोडिंग को भी और व्यवस्थित किया जाएगा। चयन परीक्षाओं के सेंटर के लिए राजकीय माध्यमिक, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज अथवा साफ-सुथरे ट्रैक रिकॉर्ड वाले ख्याति प्राप्त सुविधा संपन्न वित्त पोषित शैक्षिक संस्थान ही सेंटर बनाए जाएँगे। सेंटर वहीं होंगे, जहाँ सीसीटीवी की व्यवस्था होगी।
स्रोत :
https://hindi.opindia.com/politics/yogi-adityanath-led-up-government-brings-uttar-pradesh-public-examinations-ordinance-2024-against-paper-leaks-in-state/
ऑपइंडिया
उम्रकैद, संपत्ति कुर्की, ₹1 करोड़ जुर्माना… पेपर लीक के खिलाफ अध्यादेश लेकर आई योगी सरकार, गड़बड़ी करने वाली संस्थाएँ होंगी ब्लैकलिस्ट
उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं में गड़बड़ी करने वालों को 2 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा मिलेगी और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।