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*मौलवियों की हवस का शिकार बने पाकिस्तानी मुस्लिमों के अनुभव सुन हो जाएँगे हैरान : लड़की ही नहीं लड़के भी हैं इससे पीड़ित*

सोशल मीडिया पर 2 अप्रैल 2024 को एक पाकिस्तानी फैसल रफी ने मौलवियों को लेकर एक प्रश्न किया जिसके बाद उस पोस्ट पर तमाम प्रतिक्रियाएँ आईं। फैसल रफी ने अपने ट्वीट में लोगों से पूछा था कि क्या कभी किसी मौलवी ने उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया है या फिर कभी यौन शोषण किया है?
फैसल ने इस प्रश्न को पूछने के बाद स्वयं ही इसका उत्तर दिया। उन्होंने कहा, “ऐसा मेरे साथ हुआ है लेकिन घर में, मदरसे में नहीं।”
फैसल के इस सवाल के बाद प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई और ये प्रतिक्रियाएँ वाकई हैरान करने वाली थीं। न केवल महिला यूजर्स ने अपना दर्द साझा किया। वहीं लड़कों ने भी बताया कि उनके साथ ऐसा हुआ।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/social-media-trends/pakistani-man-asks-how-many-have-been-raped-or-sexually-abused-by-a-maulvi-hundreds-of-responses/
*संदेशखाली में जो हुआ उसके लिए 100% TMC जिम्मेदार : बंगाल HC ने लगाई ममता सरकार को फटकार, शाहजहाँ शेख के वकील को भी लताड़ा*

संदेशखाली मामले को शर्मनाक बताते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को फटकारा, "अगर राज्य में नागरिकों की सुरक्षा खतरे में है जो इसकी जिम्मेदारी सारी राज्य सरकार की है। संदेशखाली में जो हुआ अगर उसमें 1 फीसदी भी सच्चाई है तो ये बेहद शर्मनाक है क्योंकि बंगाल सांख्यिकी रिपोर्ट में खुद को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित राज्य बताने का दावा करता है। संदेशखाली में जो हुआ उसके लिए पूरा जिला प्रशासन और सत्तारूढ़ दल को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यदि किसी नागरिक की सुरक्षा खतरे में है तो 100% जिम्मेदारी सत्तारूढ़ दल की है; इसमें भी सरकार जिम्मेदार है।”

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/politics/calcutta-high-court-raps-bengal-government-on-sandeshkhali/
*AAP विधायक अमानतुल्ला खान के बेटे अनस ने अलीगढ़ में डॉक्टर को पीटा, महिला रिश्तेदारों ने भी की गाली-गलौच : पुलिस में शिकायत*

27 मार्च 2024 को दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान के बेटे अनस ने अलीगढ़ में हुए मामूली सड़क विवाद में अपने मामा और साथियों के साथ मिलकर डॉक्टर सुहेब आरिफ के साथ मारपीट की और उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया। डॉ सुहेब आरिफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएनएमसी में वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर हैं। इस घटना का पास के एक घर के सीसीटीवी से वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो में एक संकरी सड़क पर दो कारों की भिड़ंत और उसके बाद डॉक्टर और आरोपियों के बीच हाथापाई होती दिख रही है। अनस के विरुद्ध जेएनएमसी के डॉक्टर एसोसिएशन ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/aligarh-dr-suheb-arif-beaten-by-anas-son-of-aap-mla-amanatullah-khan/
*लव जिहाद : कल्लू यादव बनकर मोहम्मद अंसार ने विधवा को झाँसे में लिया, अश्लील वीडियो से धर्मांतरण का बनाने लगा दबाव*

उत्तर प्रदेश के रायबरेली में मोहम्मद अंसार ने नाम बदलकर एक हिंदू विधवा से नजदीकी बढ़ाई और फिर उसका यौन शोषण करने लगा। आरोपित ने उसका अश्लील वीडियो बनाकर उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव भी बनाया।
पीड़िता का बयान है, "लगभग एक साल पहले उसके पति मौत हो चुकी है और उसका तीन साल का एक बच्चा है। एक दिन मेरे फोन की घंटी बजी तो मैंने उठाया। एक शख्स ने कुछ पूछा तो मैंने रॉन्ग नंबर कहा। अचानक बात कुछ आगे बढ़ी तो उसने अपना नाम कल्लू यादव बताया था।”
इसके बाद मोहम्मद अंसार ने कल्लू बनकर पीड़िता को अपने झाँसे में ले लिया और उसे मिलने के लिए बुलाया। अंसार ने पीड़िता से मिलकर उसे शादी का झांसा दिया और शारीरिक संबंध बना लिया साथ ही पीड़िता का वीडियो भी रिकॉर्ड कर लिया, जिसके आधार पर अनेक बार ब्लैकमेल कर वह पीड़िता का रेप कर चुका है। एक दिन पीड़िता के हाथ कल्लू का आधार कार्ड लग गया जिस पर उसका असली नाम लिखा था, जिसे देख पीड़िता सकते में आ गई। तब अंसार ने पीड़िता की वीडियो की धमकी देकर धर्म परिवर्तित करने हेतु भी ब्लैकमेल किया।

स्रोत :
https://hindi.opindia.com/national/love-jihad-man-raped-widow-threats-viral-video-religious-conversion-raebareli-mathura/
*आत्मबोध🕉️🦁*

*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*

*दिवस :३००/३५० (300/350)*

*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

*सप्तदशऽध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग*

*अध्याय १७ श्लोक १२ (17:12)*
*अभिसन्धाय तु फलं दम्भार्थमपि चैव यत्।*
*इज्यते भरतश्रेष्ठ तं यज्ञं विद्धि राजसम्॥*

*शब्दार्थ—*
(तु) परंतु (भरतश्रेष्ठ) हे अर्जुन! (दम्भार्थम्, एव) केवल दम्भाचरण के ही लिये (च) अथवा (फलम्) फलको (अपि) भी (अभिसन्धाय) दृृष्टिमें रखकर (यत्) जो यज्ञ (इज्यते) किया जाता है (तम्) अंधेरे वाले नरक में ले जाने वाली (यज्ञम्) यज्ञ अर्थात् धार्मिक अनुष्ठान को (राजसम्) राजस (विद्धि) जान।

*अनुवाद—*
परन्तु हे अर्जुन! केवल दम्भाचरण के लिए अथवा फल को भी दृष्टि में रखकर जो यज्ञ किया जाता है, उस यज्ञ को तू राजस जान।

*अध्याय १७ श्लोक १३ (17:13)*
*विधिहीनमसृष्टान्नं मन्त्रहीनमदक्षिणम्।*
*श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं परिचक्षते॥*

*शब्दार्थ—*
(विधिहीनम्) शास्त्राविधिसे रहित (असृष्टान्नम्) अन्नदानसे रहित (मन्त्राहीनम्) बिना मन्त्रोंके (अदक्षिणम्) बिना दक्षिणा के, बिना दीक्षा-उपदेश लिए और (श्रद्धाविरहितम्) बिना श्रद्धाके किये जानेवाले (यज्ञम्) अर्थात् धार्मिक अनुष्ठान को (तामसम्) तामस यज्ञ (परिचक्षते) कहते हैं।

*अनुवाद—*
शास्त्रविधि से हीन, अन्नदान से रहित, बिना मन्त्रों के, बिना दक्षिणा के और बिना श्रद्धा के किए जाने वाले यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं।

शेष क्रमश: कल

*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल  (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेद में मनुष्यों को जल जैसे महत्वपूर्ण संसाधन को शुद्ध रखने व उसकी रक्षा करने का उपदेश*

*अद्भ्यः स्वाहा वार्भ्यः स्वाहोदकाय स्वाहा तिष्ठन्तीभ्यः स्वाहा स्रवन्तीभ्यः स्वाहा स्यन्दमानाभ्यः स्वाहा कूप्याभ्यः स्वाहा सूद्याभ्यः स्वाहा धार्याभ्यः स्वाहार्णवाय स्वाहा समुद्राय स्वाहा सरिराय स्वाहा॥*

*(यजुर्वेद - अध्याय 22; मन्त्र 25)*

*मन्त्रार्थ—*
जिन मनुष्यों ने यज्ञकर्मों में सुगन्धि आदि पदार्थ होमने के लिये (अद्भ्यः) सामान्य जलों के लिये (स्वाहा) उन को शुद्ध करने की क्रिया (वार्भ्यः) स्वीकार करने योग्य अति उत्तम जलों के लिये (स्वाहा) उनको शुद्ध करने की क्रिया (उदकाय) पदार्थों को गीले करने वा सूर्य की किरणों से ऊपर को जाते हुए जल के लिये (स्वाहा) उनको शुद्ध करने वाली क्रिया (तिष्ठन्तीभ्यः) बहते हुए जलों के लिये (स्वाहा) उक्त क्रिया (स्रवन्तीभ्यः) शीघ्र बहते हुए जलों के लिये (स्वाहा) उक्त क्रिया (स्यन्दमानाभ्यः) धीरे-धीरे चलते जलों के लिये (स्वाहा) उक्त क्रिया (कूप्याभ्यः) कुएं में हुए जलों के लिये (स्वाहा) उक्त क्रिया (सूद्याभ्यः) भलीभांति भिगोने हारे अर्थात् वर्षा आदि से जो भिगोते हैं, उन जलों के लिये (स्वाहा) उनके शुद्ध करने की क्रिया (धार्याभ्यः) धारण करने योग्य जो जल हैं, उनके लिये (स्वाहा) उक्त क्रिया (अर्णवाय) जिस में बहुल जल है, उस बड़े नद के लिये (स्वाहा) उक्त क्रिया (समुद्राय) जिस में अच्छे प्रकार नद-महानद, नदी-महानदी, झील, झरना आदि के जल जा मिलते हैं, उस सागर वा महासागर के लिये (स्वाहा) शुद्ध करने वाली क्रिया और (सरिराय) अति सुन्दर मनोहर जल के लिये (स्वाहा) उसकी रक्षा करने वाली क्रिया विधान की है, वे सब को सुख देनेहारे होते हैं।

*व्याख्या—*
जो मनुष्य आग में सुगन्धि आदि पदार्थों को होमें, वे जल आदि पदार्थों की शुद्धि करने हारे हो पुण्यात्मा होते हैं और जल की शुद्धि से ही सब पदार्थों की शुद्धि होती है, यह जानना चाहिये।

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*🧐आतंकियों के पास ICICI, HDFC, J&K बैंक के 7 डेबिट-क्रेडिट कार्ड: रामनवमी पर करते अटैक, कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए ट्रेनिंग*

https://hindi.opindia.com/reports/national-security/three-terrorists-arrested-from-nepal-border-by-up-ats-trained-in-pakistan/

*🔊उत्तर प्रदेश पुलिस की ATS (आतंकवाद निरोधक शाखा) ने बुधवार (3 मार्च 2024) को नेपाल सीमा से हिजबुल मुजाहिदीन के 3 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से मोहम्मद अल्ताफ और सैयद गजनफर पाकिस्तान के जबकि तीसरा आतंकी नासिर अली कश्मीर का रहने वाला है। पूछताछ में इन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने जैसे मंसूबों का खुलासा किया। कश्मीरी आतंकी नासिर ने खुद को कारगिल युद्ध के बाद बना आतंकी बताया। इनके पास से कई भारतीय बैंकों द्वारा जारी डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी बरामद हुए हैं।*
*आत्मबोध🕉️🦁*

*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*

*दिवस :३०१/३५० (301/350)*

*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

*सप्तदशऽध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग*

*अध्याय १७ श्लोक १४ (17:14)*
*देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्।*
*ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते॥*

*शब्दार्थ—*
(देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनम्) दैवी वृृति वाले व्यक्ति अर्थात संत, ब्राह्मण, गुरु और ज्ञानीजनोंका आदर (शौचम्) पवित्रता (आर्जवम्) आधीनी (ब्रह्मचर्यम्) ब्रह्मचर्य (च) और (अहिंसा) अहिंसा यह (शारीरम्) शरीरसम्बन्धी (तपः) तप (उच्यते) कहा जाता है।

*अनुवाद—*
देवता, ब्राह्मण, गुरु (यहाँ 'गुरु' शब्द से माता, पिता, आचार्य और वृद्ध एवं अपने से जो किसी प्रकार भी बड़े हों, उन सबको समझना चाहिए।) और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा- यह शरीर- सम्बन्धी तप कहा जाता है।

*अध्याय १७ श्लोक १५ (17:15)*
*अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत्।*
*स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ्मयं तप उच्यते॥*
*शब्दार्थ—*
(यत्) जो (अनुद्वेगकरम्) उद्वेग न करनेवाला (प्रियहितम्) प्रिय और हितकारक (च) एवं (सत्यम्) यथार्थ (वाक्यम्) भाषण है (च) तथा जो (स्वाध्याय अभ्यसनम्) धार्मिक-शास्त्रोंके पठनका एवं परमेश्वरके नाम जापका अभ्यास (एव) ही (वाङ्मयम्) वाणीसम्बन्धी (तपः) तप (उच्यते) कहा जाता है।

*अनुवाद—*
जो उद्वेग न करने वाला, प्रिय और हितकारक एवं यथार्थ भाषण है (मन और इन्द्रियों द्वारा जैसा अनुभव किया हो, ठीक वैसा ही कहने का नाम 'यथार्थ भाषण' है।) तथा जो वेद-शास्त्रों के पठन का एवं परमेश्वर के नाम-जप का अभ्यास है- वही वाणी-सम्बन्धी तप कहा जाता है।

शेष क्रमश: कल

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेद में परमात्मा को सर्वव्यापक जान पापकर्मों से बचने का संदेश*

*क्वेयथ क्वेदसि पुरुत्रा चिद्धि ते मन: । अलर्षि युध्म खजकृत्पुरंदर प्र गायत्रा अगासिषुः॥*

*(ऋग्वेद - मण्डल 8; सूक्त 1; मन्त्र 7)*

*मन्त्रार्थ—*
(युध्म, खजकृत्) हे युद्धकुशल, युद्ध कnnनेवाले (पुरन्दर) अविद्यासमूहनाशक परमात्मन् ! (क्व, इयथ) आप किस एक देश में विद्यमान थे (क्व, इत्, असि) आप कहाँ विद्यमान हैं ? यह शङ्का नहीं करनी चाहिये (हि) क्योंकि (ते, मनः) आपका ज्ञान (पुरुत्रा, चित्) सर्वत्र ही है (अलर्षि) आप अन्तःकरण में विराजमान हो (गायत्राः) स्तोता लोग (प्रागासिषुः) आपकी स्तुति करते हैं।

*व्याख्या—*
इस मन्त्र में प्रश्नोत्तर की रीति से परमात्मा की सर्वव्यापकता बोधन की गई है, जिसका भाव यह है कि हे परमात्मन् ! आप पहले कहाँ थे, वर्तमान समय में कहाँ हैं और भविष्य में कहाँ होंगे ? इत्यादि प्रश्न परमात्मा में नहीं हो सकते, क्योंकि वह अन्य पदार्थों की न्याईं एकदेशावच्छिन्न नहीं, अपने ज्ञानस्वरूप से सर्वत्र विद्यमान होने के कारण मन्त्र में “पुरुत्रा चिद्धिते मनः” इत्यादि प्रतीकों से उसको सर्वव्यापक वर्णन किया गया है, इसलिये उचित है कि परमात्मा को सर्वव्यापक मानकर जिज्ञासु उसके ज्ञानरूप प्रदीप से अपने हृदय को प्रकाशित करें और किसी काल तथा किसी स्थान में भी पापकर्म करने का साहस न करें, क्योंकि वह प्रत्येक स्थान में हर समय हमारे कर्मों का द्रष्टा है।

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*अपनी दुकान में ‘हनुमान चालीसा’ सुनने पर हुई जिस मुकेश की पिटाई, अब उन पर सुलेमान की अम्मी ने कराई FIR: कहा- म्यूजिक बजा 3 हजार नमाजियों को किया तंग*

17 मार्च 2024 को कर्नाटक के बेंगलुरु में हनुमान चालीसा बजाने पर नमाजियों ने मुकेश की उनके दुकान में घुसकर मारपीट की थी। अब पीड़ित मुकेश के साथ मारपीट करने वालों में से एक सुलेमान की अम्मी महजबीन ने ही उल्टा विक्टिम कार्ड खेल मुकेश के ही विरुद्ध FIR करवा दी है। इसमें मुकेश पर तेज आवाज में म्यूजिक बजाकर नमाजियों को तंग करने और उसे समझाने की कोशिश करने पर सुलेमान सहित अन्य के खिलाफ मारपीट का आरोप लगाया गया है।

17 मार्च 2024 बेंगलुरु के नगराथपेट इलाके में सिद्दन्ना लेआउट के पास अपनी मोबाइल शॉप में मुकेश भक्ति गाने सुन रहे थे। इसी दौरान सुलेमान अपने कुछ साथियों के साथ उनकी दुकान पर धमक गया उसने पहले धमकी दी फिर मारपीट की गई। घटना के विरोध में व्यापारियों ने एकजुटता दिखाते हुए प्रदर्शन किया था।

स्रोत : https://hindi.opindia.com/national/karnataka-bengaluru-police-lodged-fir-against-hindu-shopkeeper-assaulted-for-playing-hanuman-chalisa/
*केरल में अरुणाचल के श्रमिक की मॉब लिचिंग: महिला सहकर्मी से मिलने पर लोगों ने खंभे से बाँधकर पीटा, लहूलुहान हालत में छोड़ा; मौत के बाद 10 अरेस्ट*

केरल के मुवत्तुपुझा में मॉब लिंचिंग की एक घटना में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले 24 वर्षीय प्रवासी श्रमिक अशोक दास गुरुवार (4 अप्रैल 2024) को अपनी एक महिला सहकर्मी से मिलने जा रहे थे। इसी दौरान भीड़ ने कथित तौर पर उन्हें रोका और एक खंभे से बाँधकर बुरी तरह पीटा। इस पिटाई से उनकी छाती और सिर में गहरी चोटें आईं। अशोक को गंभीर हालत में नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन चोटों के कारण 5 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। केरल पुलिस ने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। बाकियों की तलाश की जा रही है।

स्रोत: https://hindi.opindia.com/national/migrant-worker-of-arunachal-pradesh-beaten-to-death-by-mob-in-kerala-10-in-custody/
*जिस सज्जाद की कई बार की मदद, उसी ने बनाया बंधक: बेटे को जान से मारने की धमकी देकर 5 दिनों तक दलित महिला से रेप, UP पुलिस ने दबोचा*

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक दलित महिला से रेप का मामला सामने आया है। यहाँ जान-पहचान के ऑटो चालक सज्जाद ने पीड़िता को चाय में नशा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया है। पीड़िता को आरोपित द्वारा 5 दिनों तक बंधक भी बनाकर रखा गया। घटना 19 मार्च 2024 की है। पुलिस ने सज्जाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उसे 3 अप्रैल 2024 को गिरफ्तार कर लिया।

स्टेशन तक जाने के लिए पीड़िता ने गाँव के ही रहने वाले ऑटोचलाने वाले साबिर उर्फ़ सज्जाद को सम्पर्क किया। दोनों परिवारों में पहले से जान-पहचान थी। पीड़िता के परिजनों ने पूर्व में कई बार सज्जाद की मदद भी की थी। सज्जाद पीड़िता के देवर-देवरानी को वाराणसी तक छोड़ने के लिए राजी हो गया। पीड़िता भी उसी ऑटो में बैठकर उन्हें छोड़ने वाराणसी गई।

बताया जा रहा है कि वापसी में जब महिला अकेली रह गई थी, तब सज्जाद ने बावतपुर क्षेत्र में चाय पीने के बहाने ऑटो रोक लिया। यहाँ उसने पीड़िता को भी बेहोशी की दवा मिली चाय पिलाई। जिससे वो बेहोश हो गई, सज्जाद ने उसे 5 दिनों तक बंधक बनाकर रखा और इस दौरान आरोपित ने उससे कई बार बलात्कार किया।

विस्तार से पढ़ें: https://hindi.opindia.com/national/rape-accused-with-dalit-women-sajjad-arrested-by-jaupur-police-in-uttar-pradesh/
*आत्मबोध🕉️🦁*

*श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय*

*दिवस :३०२/३५० (302/350)*

*।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*

*सप्तदशऽध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग*

*अध्याय १७ श्लोक १६ (17:16)*
*मन:प्रसाद: सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रह:।*
*भावसंश‍ुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते॥*

*शब्दार्थ—*
मन:-प्रसाद:—मन की तुष्टि; सौम्यत्वम्—सौम्य भाव, शान्त भाव; मौनम्— गम्भीरता; आत्म—अपना; विनिग्रह:—नियन्त्रण, संयम; भाव—स्वभाव का; संशुद्धि:—शुद्धीकरण; इति—इस प्रकार; एतत्—यह; तप:—तपस्या; मानसम्—मन की; उच्यते—कही जाती है।

*अनुवाद—*
संतोष, सरलता, गम्भीरता, आत्म-संयम एवं जीवन की शुद्धि—ये मन की तपस्याएँ हैं।

*अध्याय १७ श्लोक १७ (17:17)*
*श्रद्धया परया तप्‍तं तपस्तत्‍त्रिविधं नरै:।*
*अफलाकाङ्‌‍क्षिभिर्युक्तै: सात्त्विकं परिचक्षते।।*

*शब्दार्थ—*
श्रद्धया—श्रद्धा समेत; परया—दिव्य; तप्तम्—किया गया; तप:—तप; तत्—वह; त्रि-विधम्—तीन प्रकार के; नरै:—मनुष्यों द्वारा; अफल-आकाङ्क्षिभि:—फल की इच्छा न करने वाले; युक्तै:—प्रवृत्त; सात्त्विकम्—सतोगुण में; परिचक्षते—कहा जाता है।

*अनुवाद—*
भौतिक लाभ की इच्छा न करने वाले तथा केवल परमेश्वर में प्रवृत्त मनुष्यों द्वारा दिव्य श्रद्धा से सम्पन्न यह तीन प्रकार की तपस्या सात्त्विक तपस्या कहलाती है।

शेष क्रमश: कल

*अधिकांश हिन्दू तथाकथित व्यस्तता व तथाकथित समयाभाव के कारण हम सभी सनातनियों के लिए आदरणीय पठनीय एवं अनुकरणीय श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करना छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रतिदिन गीता जी के दो श्लोकों को उनके हिन्दी अर्थ सहित भेजकर लगभग एक वर्ष के अन्तराल  (350 दिन × 2 श्लोक/दिन = 700 श्लोक) में एक बार समूह से हजारों हिन्दुओं को सम्पूर्ण गीताजी का स्वाध्याय कराने का प्रण लिया गया है। आप सभी भी ये दो श्लोक प्रतिदिन पढ़ने व पढ़वाने का संकल्प लें।*

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*दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : वेद में विद्वानों के सत्सङ्ग से उन्नति का उपदेश।*

*तपसा येअनाधृष्यास्तपसा ये स्वर्ययुः। तपो ये चक्रिरे महस्तांश्चिदेवापिगच्छतात्॥*
*(अथर्ववेद - काण्ड 18; सूक्त 2; मन्त्र 16)*

*मन्त्रार्थ—*
(ये) जो [विद्वान्] (तपसा) तप [ब्रह्मचर्यसेवन और वेदाध्ययन] से (अनाधृष्याः) नहीं दबनेवाले हैं और (ये) जिन्होंने (तपसा) तप से (स्वः) स्वर्ग [आनन्द पद] (ययुः) पाया है। और (ये)जिन्होंने (तपः) तप [ब्रह्मचर्यसेवन और वेदाध्ययन] को (महः) अपना महत्त्व (चक्रिरे) बनाया है, (तान्) उन [महात्माओं] को (चित्) सत्कार से (एव) ही (अपि)अवश्य (गच्छतात्) तू प्राप्त हो।

*व्याख्या—*
जो महर्षि ब्रह्मचर्यसेवन और वेदाध्ययन को अपना महत्त्व समझ कर आनन्द पाते हैं, मनुष्य उन से शिक्षालेकर ब्रह्मचर्यसेवन और वेदाध्ययन से स्वयं भी महान् होकर सुखी होवें।

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*इतिहासबोध* 🦁🚩
*8 अप्रैल/बलिदान-दिवस–1857 की क्रान्ति के प्रथम अमर बलिदानी मंगल पाण्डेय जी*

*⚜️अंग्रेजी शासन के विरुद्ध चले लम्बे संग्राम का बिगुल बजाने वाले पहले क्रान्तिवीर मंगल पाण्डेय का जन्म 30 जनवरी, 1831 को ग्राम नगवा (बलिया, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। कुछ लोग इनका जन्म ग्राम सहरपुर (जिला साकेत, उ0प्र0) तथा जन्मतिथि 19 जुलाई, 1927 भी मानते हैं। युवावस्था में ही वे सेना में भर्ती हो गये थे।*

*⚜️उन दिनों सैनिक छावनियों में गुलामी के विरुद्ध आग सुलग रही थी। अंग्रेज जानते थे कि हिन्दू गाय को पवित्र मानते हैं, जबकि मुसलमान सुअर से घृणा करते हैं। फिर भी वे सैनिकों को जो कारतूस देते थे, उनमें गाय और सूअर की चर्बी मिली होती थी। इन्हें सैनिक अपने मुँह से खोलते थे। ऐसा बहुत समय से चल रहा था; पर सैनिकों को इनका सच मालूम नहीं था।*

*⚜️मंगल पाण्डेय उस समय बैरकपुर में 34वीं हिन्दुस्तानी बटालियन में तैनात थे। वहाँ पानी पिलाने वाले एक हिन्दू ने इसकी जानकारी सैनिकों को दी। इससे सैनिकों में आक्रोश फैल गया। मंगल पाण्डेय से रहा नहीं गया। 29 मार्च, 1857 को उन्होंने विद्रोह कर दिया।*

*⚜️एक भारतीय हवलदार मेजर ने जाकर सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन को यह सब बताया। इस पर मेजर घोड़े पर बैठकर छावनी की ओर चल दिया। वहाॅं मंगल पाण्डेय सैनिकों से कह रहे थे कि अंग्रेज हमारे धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं। हमें उनकी नौकरी छोड़ देनी चाहिए। मैंने प्रतिज्ञा की है कि जो भी अंग्रेज मेरे सामने आयेगा, मैं उसे मार दूँगा।*

*⚜️सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन ने सैनिकों को मंगल पाण्डेय को पकड़ने को कहा; पर तब तक मंगल पाण्डेय की गोली ने उसका सीना छलनी कर दिया। उसकी लाश घोड़े से नीचे आ गिरी। गोली की आवाज सुनकर एक अंग्रेज लेफ्टिनेण्ट वहाँ आ पहुँचा। मंगल पाण्डेय ने उस पर भी गोली चलाई; पर वह बचकर घोड़े से कूद गया। इस पर मंगल पाण्डेय उस पर झपट पड़े और तलवार से उसका काम तमाम कर दिया। लेफ्टिनेण्ट की सहायता के लिए एक अन्य सार्जेण्ट मेजर आया; पर वह भी मंगल पाण्डेय के हाथों मारा गया।*

*⚜️तब तक चारों ओर शोर मच गया। 34वीं पलटन के कर्नल हीलट ने भारतीय सैनिकों को मंगल पाण्डेय को पकड़ने का आदेश दिया; पर वे इसके लिए तैयार नहीं हुए। इस पर अंग्रेज सैनिकों को बुलाया गया। अब मंगल पाण्डेय चारों ओर से घिर गये। वे समझ गये कि अब बचना असम्भव है। अतः उन्होंने अपनी बन्दूक से स्वयं को ही गोली मार ली; पर उससे वे मरे नहीं, अपितु घायल होकर गिर पड़े। इस पर अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया।*

*⚜️अब मंगल पाण्डेय पर सैनिक न्यायालय में मुकदमा चलाया गया। उन्होंने कहा, _‘‘मैं अंग्रेजों को अपने देश का भाग्यविधाता नहीं मानता। देश को स्वतन्त्र कराना यदि अपराध है, तो मैं हर दण्ड भुगतने को तैयार हूँ।’’_*

*⚜️न्यायाधीश ने उन्हें फाँसी की सजा दी और इसके लिए 18 अप्रैल का दिन निर्धारित किया; पर अंग्रेजों ने देश भर में विद्रोह फैलने के डर से घायल अवस्था में ही 8 अप्रैल, 1857 को उन्हें फाँसी दे दी। बैरकपुर छावनी में कोई उन्हें फाँसी देने के लिए सज्ज नहीं हुआ। अतः कोलकाता से चार जल्लाद जबरन बुलाने पड़े।*

*⚜️मंगल पाण्डेय ने क्रान्ति की जो मशाल जलाई, उसने आगे चलकर 1857 के व्यापक स्वाधीनता संग्राम का रूप लिया। यद्यपि भारत 1947 में स्वतन्त्र हुआ; पर उस प्रथम क्रान्तिकारी मंगल पाण्डेय के बलिदान को सदा श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाता है।*
*इतिहासबोध* 🚩🦁
*8 अप्रैल/निर्वाण दिवस : वन्देमातरम् के गायक बंकिमचन्द्र चटर्जी*

🔻 भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में वन्देमातरम् नामक जिस महामन्त्र ने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक जन-जन को उद्वेलित किया, उसके रचियता बंकिमचन्द्र चटर्जी का जन्म ग्राम काँतलपाड़ा, जिला हुगली,पश्चिम बंगाल में 26 जून, 1838 को हुआ था। प्राथमिक शिक्षा हुगली में पूर्ण कर उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंसी कालिज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। पढ़ाई के साथ-साथ छात्र जीवन से ही उनकी रुचि साहित्य के प्रति भी थी।

🔻 शिक्षा पूर्ण कर उन्होंने प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी और उसमें उत्तीर्ण होकर वे डिप्टी कलेक्टर बन गये। इस सेवा में आने वाले वे प्रथम भारतीय थे। नौकरी के दौरान ही उन्होंने लिखना प्रारम्भ किया। पहले वे अंग्रेजी में लिखते थे। उनका अंग्रेजी उपन्यास ‘राजमोहन्स वाइफ’ भी खूब लोकप्रिय हुआ; पर आगे चलकर वे अपनी मातृभाषा बंगला में लिखने लगे।

🔻 1864 में उनका पहला बंगला उपन्यास ‘दुर्गेश नन्दिनी’ प्रकाशित हुआ। यह इतना लोकप्रिय हुआ कि इसके पात्रों के नाम पर बंगाल में लोग अपने बच्चों के नाम रखने लगे। इसके बाद 1866 में ‘कपाल कुण्डला’ और 1869 में ‘मृणालिनी’ उपन्यास प्रकाशित हुए। 1872 में उन्होंने ‘बंग दर्शन’ नामक पत्र का सम्पादन भी किया; पर उन्हें अमर स्थान दिलाया ‘आनन्द मठ’ नामक उपन्यास ने, जो 1882 में प्रकाशित हुआ।

🔻 आनन्द मठ में देश को मातृभूमि मानकर उसकी पूजा करने और उसके लिए तन-मन और धन समर्पित करने वाले युवकों की कथा थी, जो स्वयं को ‘सन्तान’ कहते थे। इसी उपन्यास में वन्देमातरम् गीत भी समाहित था। इसे गाते हुए वे युवक मातृभूमि के लिए मर-मिटते थे। जब यह उपन्यास बाजार में आया, तो वह जन-जन का कण्ठहार बन गया। इसने लोगों के मन में देश के लिए मर मिटने की भावना भर दी। वन्देमातरम् सबकी जिव्हा पर चढ़ गया।

🔻 1906 में अंग्रेजों ने बंगाल को हिन्दू तथा मुस्लिम आधार पर दो भागों में बाँटने का षड्यन्त्र रचा। इसकी भनक मिलते ही लोगों में क्रोध की लहर दौड़ गयी। 7 अगस्त, 1906 को कोलकाता के टाउन हाल में एक विशाल सभा हुई, जिसमें पहली बार यह गीत गाया गया। इसके एक माह बाद 7 सितम्बर को वाराणसी के कांग्रेस अधिवेशन में भी इसे गाया गया। इससे इसकी गूँज पूरे देश में फैल गयी। फिर क्या था, स्वतन्त्रता के लिए होने वाली हर सभा, गोष्ठी और आन्दोलन में वन्देमातरम् का नाद होने लगा।

🔻 यह देखकर शासन के कान खड़े हो गये। उसने आनन्द मठ और वन्देमातरम् गान पर प्रतिबन्ध लगा दिया। इसे गाने वालों को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाते थे; लेकिन प्रतिबन्धों से भला भावनाओं का ज्वार कभी रुक सका है ? अब इसकी गूँज भारत की सीमा पारकर विदेशों में पहुँच गयी। क्रान्तिवीरों के लिए यह उपन्यास गीता तथा वन्देमातरम् महामन्त्र बन गया। वे फाँसी पर चढ़ते समय यही गीत गाते थे। इस प्रकार इस गीत ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में अतुलनीय योगदान दिया।

🔻 बंकिम के प्रायः सभी उपन्यासों में देश और धर्म के संरक्षण पर बल रहता था। उन्होंने विभिन्न विषयों पर लेख, निबन्ध और व्यंग्य भी लिखे। इससे बंगला साहित्य की शैली में आमूल चूल परिवर्तन हुआ। 8 अप्रैल, 1894 को उनका देहान्त हो गया। स्वतन्त्रता मिलने पर वन्देमातरम् को राष्ट्रगान के समतुल्य मानकर राष्ट्रगीत का सम्मान दिया गया।
*इतिहासबोध🕉️🇮🇳*

*8 अप्रैल : बहरी अंग्रेजी सत्ता तक लूटे जा रहे भारतीयों की आवाज पहुंचाने वाला असेम्बली बम काण्ड : अमर बलिदानी भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त*

_"अंग्रेजों के द्वारा अमानवीय व्यवहार तथा भारतवासियों का शोषण करने से लेकर हमारी भारत माता के ऑंचल से सारा धन-धान्य विदेशों में पहुॅंचाने तक जिन भारतवासियों ने कष्ट सहे, अपनी माॅं को स्वतन्त्र करवाने और अपने भारतवासी भाई-बहनों को सुखी जीवन देने की इच्छा लिए बहुत सारे महान् बलिदानियों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, उनमें दो नाम अमर बलिदानी भगत सिंह जी एवं अमर बलिदानी बटुकेश्वर दत्त जी के भी हैं। 8 अप्रैल, 1929 को इन दोनों क्रान्तिकारियों की जोड़ी ने मिलकर अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की माॅंग करने हेतु असेम्बली में बम विस्फोट किया।"_

संसद भवन कही जाने वाली असेम्बली में जॉन ऑलसेब्रुक साइमन मौजूद था। इस ब्रिटिश व्यक्ति को 'साइमन गो बैक' नारे में भी संदर्भित किया गया था। भारतीय सांविधिक आयोग (जिसे आमतौर पर इसके अध्यक्ष के नाम पर साइमन कमीशन के रूप में जाना जाता है) में सम्भावित संवैधानिक सुधारों का अध्ययन करने के लिए फरवरी-मार्च 1928 और अक्टूबर 1928 से अप्रैल 1929 तक इसके अध्यक्ष जॉन ऑलसेब्रुक साइमन को दो बार भारत भेजा गया था। साइमन कमीशन को पूरे भारत में विभिन्न क्षेत्रों में विरोध और प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा और लाहौर से पटना तक काले झण्डे और नारों के साथ स्वागत किया गया। इसी के विरोध में असेम्बली बम काण्ड हुआ।
8 अप्रैल 1929 को, दिल्ली की केंद्रीय विधान सभा(असेम्बली) में अमर बलिदानी भगत सिंह एवं उनके निडर साथी बटुकेश्वर दत्त द्वारा “इंकलाब ज़िंदाबाद” (क्रांति अमर रहे) के नारों के साथ असेम्बली के खाली स्थान में कम तीव्रता वाले दो हस्तनिर्मित बम फेंके गए, जिस कारण असेम्बली भय से हिल गई थी। उन्होंने “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगाए और दर्शक दीर्घा से लुटेरी अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध पर्चे बरसाए। पर्चों में लिखा था कि _*“यह बधिरों(बहरों) को सुनाने के लिए एक तेज धमाका है”।*_
बम विस्फोट का उद्देश्य किसी को हानि पहुँचाना नहीं था, अपितु अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर अंकुश लगाने, नागरिक स्वतन्त्रता और श्रमिकों के अधिकारों को कम करने वाले दमनकारी विधेयकों के विरुद्ध शक्तिशाली विरोध का प्रदर्शन करना था।
इस घटना के बाद क्रान्तिकारियों की इस प्रतिष्ठित जोड़ी ने आत्मसमर्पण कर दिया था और वे गिरफ्तार कर लिए गए। उन्होंने बचने का कोई प्रयास नहीं किया, क्योंकि वे चाहते थे कि उनकी आवाज सुनी जाए।
ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह के गद्दार बाप शोभा सिंह ने इन क्रांतिकारियों के विरुद्ध गवाही दी थी जिसके लिए अंग्रेजों ने उसे संपत्ति और सम्मान दिए।

बाद में कुछ समाचार पत्रों की खबरों ने क्रांतिवीरों को यह कहते हुए उद्धृत किया कि यह प्रशासन की प्रणाली को बदलने को लेकर केवल सरकार के लिए खतरे का संकेत था।
उस समय के समाचार पत्रों ने यह भी खबर छापी थी कि दो स्वतन्त्रता सेनानियों ने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी की ओर से आगन्तुकों की गैलरी से लाल पत्रक गिराए थे, जिसमें संदेश था - 'यह बधिरों को सुनाने के लिए एक तेज धमाका है'।
इन दोनों क्रान्तिकारियों को अंग्रेजी क्रूर सत्ता द्वारा इस दबे कुचले भारतीयों की आवाज बनने के कथित अपराध के लिए अंग्रेजी कोर्ट ने आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई। बाद में अमर बलिदानी भगत सिंह को सांडर्स की हत्या के आरोप में फांसी दे गई जबकि बटुकेश्वर दत्त 1947 में सत्ता हस्तांतरण के बाद जेल से छूट पाए। मातृभूमि के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाले इन क्रांतिवीरों को श्रद्धा से नमन।🙇🏻‍♂️🇮🇳🚩
2024/09/28 13:28:47
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