चाहे मैं जितना भी उदास हूं
हा मगर मुझे वो हंसा सकती है...
उसकी तो एक मुस्कान मुझे
मेरी हर तकलीफ़ भुला सकती है...
यूं तो मैं बहुत ही साबर हूं मगर
उसकी जुदाई मुझे रूला सकती है...
गुलरेज करते हो तुम जिस खंडर से
वो चाहे तो उसे घर बना सकती है...!!
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हा मगर मुझे वो हंसा सकती है...
उसकी तो एक मुस्कान मुझे
मेरी हर तकलीफ़ भुला सकती है...
यूं तो मैं बहुत ही साबर हूं मगर
उसकी जुदाई मुझे रूला सकती है...
गुलरेज करते हो तुम जिस खंडर से
वो चाहे तो उसे घर बना सकती है...!!
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नज़र अब दूर तक भी ना शजर आते
घने अब जंगलों के ना सफ़र आते...
दिल जज़्बात भी तुम जो समझ पाते
बिछुड के गांव से हम ना शहर आते...!!
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घने अब जंगलों के ना सफ़र आते...
दिल जज़्बात भी तुम जो समझ पाते
बिछुड के गांव से हम ना शहर आते...!!
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अगर हमराज होता जहां भर में
दफ़न यूं राज गहरे हम ना कर आते...
कुछ भूल को भूल समझ कर ही लेना
गया वक्त लौट कर कभी ना फिर आते...
अंतस में छुपा मैल ना धोया गया
कुदरत का रौस बनके न कहर आते...!!
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दफ़न यूं राज गहरे हम ना कर आते...
कुछ भूल को भूल समझ कर ही लेना
गया वक्त लौट कर कभी ना फिर आते...
अंतस में छुपा मैल ना धोया गया
कुदरत का रौस बनके न कहर आते...!!
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सो चुकी हो तुम शायद
पर मैं अभी भी जग रहा हूं
एक बज गया हैं सुबह के और मैं
एक-सौ बार सोने की कोशिश कर चुका हूं
पता नहीं नींद क्यों नहीं आती मुझे
ये रील्स देखते देखते थक चुका हूं
फिर बेचैनी है आज
फिर तुम्हारा ख्याल सता रहा है
ठीक नहीं हूं मैं
पता नहीं मुझे क्या होता जा रहा है...!!
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पर मैं अभी भी जग रहा हूं
एक बज गया हैं सुबह के और मैं
एक-सौ बार सोने की कोशिश कर चुका हूं
पता नहीं नींद क्यों नहीं आती मुझे
ये रील्स देखते देखते थक चुका हूं
फिर बेचैनी है आज
फिर तुम्हारा ख्याल सता रहा है
ठीक नहीं हूं मैं
पता नहीं मुझे क्या होता जा रहा है...!!
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बहुत रोएगी जिस दिन कफ़न में लिपटूं गा
और बोलेंगी की
एक पागल था
जो सिर्फ मेरे लिए पागल था...!!
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और बोलेंगी की
एक पागल था
जो सिर्फ मेरे लिए पागल था...!!
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कभी सोचते हैं तो दिल भर आता है
कि क्या बनकर जीना चाहते थे
और क्या बनकर जी रहे हैं...!!
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कि क्या बनकर जीना चाहते थे
और क्या बनकर जी रहे हैं...!!
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वो जो मोहब्बत निभा सकता था
उसको मोहब्बत कभी मिली ही नहीं...!!
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उसको मोहब्बत कभी मिली ही नहीं...!!
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पिलाओ सबको ये प्याला ग़रीबी का,
कहो कि मांग कर खाएं नहीं अच्छी अमीरी है,
जिन्हें जाकर कहीं जमककर काम करना था,
मुफ़्त की दाल पीकर करते हैं गुणगान फकीरी की..!!
कहो कि मांग कर खाएं नहीं अच्छी अमीरी है,
जिन्हें जाकर कहीं जमककर काम करना था,
मुफ़्त की दाल पीकर करते हैं गुणगान फकीरी की..!!
ये पसंद है मुझे मगर न चाहिए,
याद आना ठीक है पास होना और है..!!
याद आना ठीक है पास होना और है..!!
कितनी रातों के बाद ये रात आई आज सोऊंगा,
मैनें ये बात हर रात सोची और जागता रहा..!!
मैनें ये बात हर रात सोची और जागता रहा..!!
दिखाओ रौशनी और कहो कि देखता है क्या..
मैं कहूंगा जो भी हो सब राधे राधे है..!!
मैं कहूंगा जो भी हो सब राधे राधे है..!!
अगर मिले ख़ुदा तो पूछना ज़रूर,
कौन बाप देखता है बच्चे को तड़पते रोज़ रोज़..!!
कौन बाप देखता है बच्चे को तड़पते रोज़ रोज़..!!
मुझको सम्भाल खुद भी सम्भल
मैं नशें में हूं
ऐ जान-ए-ग़ज़ल
साथ में चल
मैं नशें में हूं...!!
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मैं नशें में हूं
ऐ जान-ए-ग़ज़ल
साथ में चल
मैं नशें में हूं...!!
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ख़ाबों की एक क़ीमत है वो तो कम नहीं होगी,
चाहने की जो जुर्रत है वो तो करनी होगी,
मिलना है जो जिसे वो मिला जाएगा ज़रूर,
ना मिलने की खाई है उसे पार तो करनी होगी..!!
चाहने की जो जुर्रत है वो तो करनी होगी,
मिलना है जो जिसे वो मिला जाएगा ज़रूर,
ना मिलने की खाई है उसे पार तो करनी होगी..!!
पीनें पिलानें की बात क्या राही,
हम जाम नहीं पीते हैं अंजाम जानकर,
एक बार सफ़र में थे तो भीग थे,
अब नज़र नहीं मिलाते काम तमाम जानकर..!!
हम जाम नहीं पीते हैं अंजाम जानकर,
एक बार सफ़र में थे तो भीग थे,
अब नज़र नहीं मिलाते काम तमाम जानकर..!!
मैं बदलनें के लिए ख़ुद को तैयार तो था ही,
उसने कहा कि कोई पुराना सामान न चाहिए..!!
उसने कहा कि कोई पुराना सामान न चाहिए..!!
इतना भी चाहनें का इरादा न करना था,
जो जैसा था वैसा ही निभाए चलना था,
कोशिश भी करनें की शायद जगह होगी,
माचिस की आग से समंदर न जलना था..!!
जो जैसा था वैसा ही निभाए चलना था,
कोशिश भी करनें की शायद जगह होगी,
माचिस की आग से समंदर न जलना था..!!
रिहा हो गए मगर जाएं कहां हुज़ूर,
यहीं रख लो हमें गुनाहगार मान कर..!!
यहीं रख लो हमें गुनाहगार मान कर..!!
हमें तो शराब पीने पर
मजबुर कर गई वो...
सुना है वो अपने पति को
सिगरेट तक नहीं छुने देती है...!!
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मजबुर कर गई वो...
सुना है वो अपने पति को
सिगरेट तक नहीं छुने देती है...!!
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इन्सान की जिंदगी में
तीन चीज़ें बहुत उलझी होती है
दिल, दिमाग और तक़दीर...
दिल कुछ चाहता है
फिर दिमाग उसे पाने के लिए
रास्ता तलाश करता है...
पर होता वही है
जो तक़दीर में लिखा होता है...!!
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तीन चीज़ें बहुत उलझी होती है
दिल, दिमाग और तक़दीर...
दिल कुछ चाहता है
फिर दिमाग उसे पाने के लिए
रास्ता तलाश करता है...
पर होता वही है
जो तक़दीर में लिखा होता है...!!
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