ता है। कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। यह शाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ' आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है।
2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण प्रक्षेपास्त्रों को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।
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अब्दुल कलाम
आई एन एस सिंधुरक्षक पर तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति कलाम
यूं तो अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी थी। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे थे। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते थे। कलाम का कहना था कि 'सॉफ़्टवेयर' का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी उपयोगिता से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो सकेगा। वैसे इनके विचार शांति और हथियारों को लेकर विवादास्पद हैं।
राष्ट्रपति दायित्व से मुक्ति के बाद
बिजनौर में कलाम
कार्यालय छोड़ने के बाद, कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर व भारतीय विज्ञान संस्थान,बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया।
मई 2012 में, कलाम ने भारत के युवाओं के लिए एक कार्यक्रम ,भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ, "मैं आंदोलन को क्या दे सकता हूँ" का शुभारंभ किया।उन्होंने यहाँ तमिल कविता लिखने और वेन्नई नामक दक्षिण भारतीय स्ट्रिंग वाद्य यंत्र को बजाने का भी आनंद लिया।
कलाम कर्नाटक भक्ति संगीत हर दिन सुनते थे और हिंद
राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। यह शाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ' आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है।
2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण प्रक्षेपास्त्रों को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।
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अब्दुल कलाम
आई एन एस सिंधुरक्षक पर तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति कलाम
यूं तो अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी थी। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे थे। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते थे। कलाम का कहना था कि 'सॉफ़्टवेयर' का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी उपयोगिता से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो सकेगा। वैसे इनके विचार शांति और हथियारों को लेकर विवादास्पद हैं।
राष्ट्रपति दायित्व से मुक्ति के बाद
बिजनौर में कलाम
कार्यालय छोड़ने के बाद, कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर व भारतीय विज्ञान संस्थान,बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया।
मई 2012 में, कलाम ने भारत के युवाओं के लिए एक कार्यक्रम ,भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ, "मैं आंदोलन को क्या दे सकता हूँ" का शुभारंभ किया।उन्होंने यहाँ तमिल कविता लिखने और वेन्नई नामक दक्षिण भारतीय स्ट्रिंग वाद्य यंत्र को बजाने का भी आनंद लिया।
कलाम कर्नाटक भक्ति संगीत हर दिन सुनते थे और हिंद
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा,"अमेरिकी लोगों की ओर से, मैं पूर्व भारतीय राष्ट्रपति ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम के निधन पर भारत के लोगों के लिए अपनी गहरी संवेदना का विस्तार करना चाहता हूँ। एक वैज्ञानिक और राजनेता, कलाम ने अपनी विनम्रता से घर में और विदेशों में सम्मान कमाया और भारत के सबसे महान नेताओं में से एक बने। भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों के लिए, डा कलाम ने सदा वकालत की। 1962 में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान नासा के साथ अंतरिक्ष सहयोग को गहरा करने के लिए काम किया। भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में इनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका-भारत संबंधों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। उपयुक्त रूप से नामित "पीपुल्स प्रेसिडेंट" (जनता के राष्ट्रपति) ने सार्वजनिक सेवा, विनम्रता और समर्पण से दुनिया भर के लाखों भारतीयों और प्रशंसकों को एक प्रेरणा प्रदान की।"
व्यक्तिगत जीवन
कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन का पालन करने वालों में से थे। ऐसा कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। कलाम ने कई स्थानों पर उल्लेख किया है कि वे तिरुक्कुरल का भी अनुसरण करते हैं, उनके भाषणों में कम से कम एक कुरल का उल्लेख अवश्य रहता था। राजनीतिक स्तर पर कलाम की चाहत थी कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका विस्तार हो और भारत ज्यादा से ज्यादा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत थी। उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की थी और वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुँचाने की हमेशा वक़ालत करते रहते थे। बच्चों और युवाओं के बीच डाक्टर क़लाम अत्यधिक लोकप्रिय थे। वह भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलपति भी थे। वे सदाय स्मित करते थे चाहे वो दफतर का नौकर ही क्यूँ न हो। वे जीवनभर शाकाहारी रहे।
किताबें
कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को चार पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं: 'इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस प्रकार यह भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 40 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
"सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? किसी इंसान के दिल को खुश करना, किसी भूखे को खाना देना, जरूरतमंद की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना..."
-अब्दुल कलाम
व्यक्तिगत जीवन
कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन का पालन करने वालों में से थे। ऐसा कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। कलाम ने कई स्थानों पर उल्लेख किया है कि वे तिरुक्कुरल का भी अनुसरण करते हैं, उनके भाषणों में कम से कम एक कुरल का उल्लेख अवश्य रहता था। राजनीतिक स्तर पर कलाम की चाहत थी कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका विस्तार हो और भारत ज्यादा से ज्यादा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत थी। उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की थी और वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुँचाने की हमेशा वक़ालत करते रहते थे। बच्चों और युवाओं के बीच डाक्टर क़लाम अत्यधिक लोकप्रिय थे। वह भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलपति भी थे। वे सदाय स्मित करते थे चाहे वो दफतर का नौकर ही क्यूँ न हो। वे जीवनभर शाकाहारी रहे।
किताबें
कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को चार पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं: 'इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस प्रकार यह भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 40 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
"सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? किसी इंसान के दिल को खुश करना, किसी भूखे को खाना देना, जरूरतमंद की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना..."
-अब्दुल कलाम
ू संस्कृति में विश्वास करते थे। इन्हें 2003 व 2006 में "एमटीवी यूथ आइकन ऑफ़ द इयर" के लिए नामांकित किया गया था।
2011 में आई हिंदी फिल्म आई एम कलाम में, एक गरीब लेकिन उज्ज्वल बच्चे पर कलाम के सकारात्मक प्रभाव को चित्रित किया गया। उनके सम्मान में वह बच्चा छोटू जो एक राजस्थानी लड़का है खुद का नाम बदल कर कलाम रख लेता है।2011 में, कलाम की कुडनकुलम परमाणु संयंत्र पर अपने रुख से नागरिक समूहों द्वारा आलोचना की गई। इन्होंने ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया। इन पर स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया गया।
इन्हें एक समर्थ परमाणु वैज्ञानिक होने के लिए जाना जाता है पर संयंत्र की सुरक्षा सुविधाओं के बारे में इनके द्वारा उपलब्ध कराए गए आश्वासनों से नाखुश प्रदर्शनकारी इनके प्रति शत्रुतापूर्ण थे।
निधन
...मैं यह बहुत गर्वोक्ति पूर्वक तो नहीं कह सकता कि मेरा जीवन किसी के लिये आदर्श बन सकता है; लेकिन जिस तरह मेरी नियति ने आकार ग्रहण किया उससे किसी ऐसे गरीब बच्चे को सांत्वना अवश्य मिलेगी जो किसी छोटी सी जगह पर सुविधाहीन सामजिक दशाओं में रह रहा हो। शायद यह ऐसे बच्चों को उनके पिछड़ेपन और निराशा की भावनाओं से विमुक्त होने में अवश्य सहायता करे।
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सूक्तियाँ - अब्दुल कलाम
27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि जब कलाम को अस्पताल लाया गया तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।
कलाम अक्टूबर 2015 में 84 साल के होने वाले थे। मेघालय के राज्यपाल वी॰ षडमुखनाथन; अब्दुल कलाम के हॉस्पिटल में प्रवेश की खबर सुनते ही सीधे अस्पताल में पहुँच गए। बाद में षडमुखनाथन ने बताया कि कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की कोशिशों के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया।
अंतिम संस्कार
मृत्यु के तुरंत बाद कलाम के शरीर को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से शिलांग से गुवाहाटी लाया गया। जहाँ से अगले दिन 28 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर वायुसेना के विमान सी-130जे हरक्यूलिस से दिल्ली लाया गया। लगभग 12:15 पर विमान पालम हवाईअड्डे पर उतरा। सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा।वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर पर पुष्पहार अर्पित किये। इसके बाद तिरंगे में लिपटे कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ, एक गन कैरिज में रख उनके आवास 10 राजाजी मार्ग पर ले जाया गया। यहाँ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित अनेक गणमान्य लोगों ने इन्हें श्रद्धांजलि दी। भारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन के मौके पर उनके सम्मान के रूप में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की।
29 जुलाई की सुबह वायुसेना के विमान सी-130जे से भारतीय ध्वज में लिपटे कलाम के शरीर को पालम एयर बेस पर ले जाया गया जहां से इसे मदुरै भेजा गया, विमान दोपहर तक मदुरै हवाई अड्डे पर पहुंचा। उनके शरीर को तीनों सेनाओं के प्रमुखों और राष्ट्रीय व राज्य के गणमान्य व्यक्तियों, कैबिनेट मंत्री मनोहर पर्रीकर, वेंकैया नायडू, पॉन राधाकृष्णन; और तमिलनाडु और मेघालय के राज्यपाल के॰ रोसैया और वी॰ षडमुखनाथन ने हवाई अड्डे पर प्राप्त किया। एक संक्षिप्त समारोह के बाद कलाम के शरीर को एक वायु सेना के हेलिकॉप्टर में मंडपम भेजा गया। मंडपम से कलाम के शरीर को उनके गृह नगर रामेश्वरम एक आर्मी ट्रक में भेजा गया। अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए उनके शरीर को स्थानीय बस स्टेशन के सामने एक खुले क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया ताकि जनता उन्हें आखिरी श्रद्धांजलि दे सके।
30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में दफ़ना दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित 3,50,000 से अधिक लोगों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया।
प्रतिक्रिया
अब्दुल कलाम के निधन पर काला रिबन दिखाता गूगल का मुख्यपृष्ठ
कलाम के निधन से देश भर में और सोशल मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिये अनेक कार्य किये गए। भारत सरकार ने कलाम क
2011 में आई हिंदी फिल्म आई एम कलाम में, एक गरीब लेकिन उज्ज्वल बच्चे पर कलाम के सकारात्मक प्रभाव को चित्रित किया गया। उनके सम्मान में वह बच्चा छोटू जो एक राजस्थानी लड़का है खुद का नाम बदल कर कलाम रख लेता है।2011 में, कलाम की कुडनकुलम परमाणु संयंत्र पर अपने रुख से नागरिक समूहों द्वारा आलोचना की गई। इन्होंने ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया। इन पर स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया गया।
इन्हें एक समर्थ परमाणु वैज्ञानिक होने के लिए जाना जाता है पर संयंत्र की सुरक्षा सुविधाओं के बारे में इनके द्वारा उपलब्ध कराए गए आश्वासनों से नाखुश प्रदर्शनकारी इनके प्रति शत्रुतापूर्ण थे।
निधन
...मैं यह बहुत गर्वोक्ति पूर्वक तो नहीं कह सकता कि मेरा जीवन किसी के लिये आदर्श बन सकता है; लेकिन जिस तरह मेरी नियति ने आकार ग्रहण किया उससे किसी ऐसे गरीब बच्चे को सांत्वना अवश्य मिलेगी जो किसी छोटी सी जगह पर सुविधाहीन सामजिक दशाओं में रह रहा हो। शायद यह ऐसे बच्चों को उनके पिछड़ेपन और निराशा की भावनाओं से विमुक्त होने में अवश्य सहायता करे।
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सूक्तियाँ - अब्दुल कलाम
27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि जब कलाम को अस्पताल लाया गया तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।
कलाम अक्टूबर 2015 में 84 साल के होने वाले थे। मेघालय के राज्यपाल वी॰ षडमुखनाथन; अब्दुल कलाम के हॉस्पिटल में प्रवेश की खबर सुनते ही सीधे अस्पताल में पहुँच गए। बाद में षडमुखनाथन ने बताया कि कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की कोशिशों के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया।
अंतिम संस्कार
मृत्यु के तुरंत बाद कलाम के शरीर को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से शिलांग से गुवाहाटी लाया गया। जहाँ से अगले दिन 28 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर वायुसेना के विमान सी-130जे हरक्यूलिस से दिल्ली लाया गया। लगभग 12:15 पर विमान पालम हवाईअड्डे पर उतरा। सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा।वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर पर पुष्पहार अर्पित किये। इसके बाद तिरंगे में लिपटे कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ, एक गन कैरिज में रख उनके आवास 10 राजाजी मार्ग पर ले जाया गया। यहाँ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित अनेक गणमान्य लोगों ने इन्हें श्रद्धांजलि दी। भारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन के मौके पर उनके सम्मान के रूप में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की।
29 जुलाई की सुबह वायुसेना के विमान सी-130जे से भारतीय ध्वज में लिपटे कलाम के शरीर को पालम एयर बेस पर ले जाया गया जहां से इसे मदुरै भेजा गया, विमान दोपहर तक मदुरै हवाई अड्डे पर पहुंचा। उनके शरीर को तीनों सेनाओं के प्रमुखों और राष्ट्रीय व राज्य के गणमान्य व्यक्तियों, कैबिनेट मंत्री मनोहर पर्रीकर, वेंकैया नायडू, पॉन राधाकृष्णन; और तमिलनाडु और मेघालय के राज्यपाल के॰ रोसैया और वी॰ षडमुखनाथन ने हवाई अड्डे पर प्राप्त किया। एक संक्षिप्त समारोह के बाद कलाम के शरीर को एक वायु सेना के हेलिकॉप्टर में मंडपम भेजा गया। मंडपम से कलाम के शरीर को उनके गृह नगर रामेश्वरम एक आर्मी ट्रक में भेजा गया। अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए उनके शरीर को स्थानीय बस स्टेशन के सामने एक खुले क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया ताकि जनता उन्हें आखिरी श्रद्धांजलि दे सके।
30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में दफ़ना दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित 3,50,000 से अधिक लोगों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया।
प्रतिक्रिया
अब्दुल कलाम के निधन पर काला रिबन दिखाता गूगल का मुख्यपृष्ठ
कलाम के निधन से देश भर में और सोशल मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिये अनेक कार्य किये गए। भारत सरकार ने कलाम क
ो सम्मान देने के लिए सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "उनका (कलाम का) निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। वह भारत को महान ऊंचाइयों पर ले गए। उन्होंने हमें मार्ग दिखाया।" पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिन्होंने कलाम के साथ प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की थी, ने कहा, "उनकी मृत्यु के साथ हमारे देश ने एक महान मनुष्य को खोया है जिसने, हमारे देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है। मैंने प्रधानमंत्री के रूप में कलाम के साथ बहुत निकटता से काम किया है। मुझे हमारे देश के राष्ट्रपति के रूप में उनकी सलाह से लाभ हुआ। उनका जीवन और काम आने वाली पीढ़ियों तक याद किया जाएगा। "
दलाई लामा ने अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की और कलाम की मौत को "एक अपूरणीय क्षति" बुला, अपना दुख व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा, "अनेक वर्षों में, मुझे कई अवसरों पर कलाम के साथ बातचीत करने का मौका मिला। वह एक महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद और राजनेता ही नहीं, बल्कि वे एक वास्तविक सज्जन थे, और हमेशा मैंने उनकी सादगी और विनम्रता की प्रशंसा की है। मैंने सामान्य हितों के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर हमारी चर्चाओं का आनंद लिया, लेकिन विज्ञान, अध्यात्म और शिक्षा के साथ मुख्य रूप से हमारे बीच चिंतन किया जाता था।"
दक्षिण एशियाई नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की और दिवंगत राजनेता की सराहना की। भूटान सरकार ने कलाम की मौत के शोक के लिए देश के झंडे को आधी ऊंचाई पर फहराने के लिए आदेश दिया, और श्रद्धांजलि में 1000 मक्खन के दीपक की भेंट किए। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कलाम के प्रति अपना गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, " वे एक महान नेता थे जिनकी सभी ने प्रशंसा की विशेषकर भारत के युवाओं के वे प्रशंसनीय नेता थे जिन्हें वे जनता का राष्ट्रपति बुलाते थे।"
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी व्याख्या करते हुए कहा, "एक महान राजनेता प्रशंसित वैज्ञानिक और दक्षिण एशिया के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत के संयोग" उन्होंने कलाम की मृत्यु को "भारत के लिए अपूरणीय क्षति से भी परे बताया।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सबसे प्रसिद्ध बेटे, पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर हमें गहरा झटका लगा है। ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम अपने समय के सबसे महान ज्ञानियों में से एक थे। वह बांग्लादेश में भी बहुत सम्मानित थे। उनकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की वृद्धि करने के लिए अमूल्य योगदान के लिए वे सभी के द्वारा हमेशा याद किये जायेंगे। वे दक्षिण एशिया की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत थे जो उनके सपनों को पंख देते थे।" बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया ने कहा,"एक परमाणु वैज्ञानिक के रूप में, उन्होंने लोगों के कल्याण में स्वयं को समर्पित किया।" अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, ने कलाम को, "लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक शख्सियत बताया" ये नोट करते हुए "हमे अपने जीवन से बहुत कुछ सीखना है।" नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भारत के लिए कलाम के वैज्ञानिक योगदानों को याद किया। "नेपाल ने एक अच्छा दोस्त खो दिया है और मैंने एक सम्मानित और आदर्श व्यक्तित्व को खो दिया है।" पाकिस्तान के राष्ट्रपति , ममनून हुसैन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर उनके प्रति दु: ख, शोक व संवेदना व्यक्त की।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा, "कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य भावना के आदमी थे। मैंने उन्हें दुनिया के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में देखा था। उनकी मौत भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है।"
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुसीलो बम्बनग युधोयोनो, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग , संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नहयान सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय नेताओं, , और संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक ने भी कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत सरकार, भारत के सभी लोगों के लिए और मृतक नेता ले प्रियजनों के लिए अपनी गंभीर संवेदना व्यक्त की और अपनी सहानुभूति और समर्थन से अवगत कराते हुए कहा, "कलाम को हमारे देशों के बीच लगातार मैत्रीपूर्ण संबंधों के एक प्रतिपादक के रूप में याद किया जाएगा, उन्होंने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए व्यक्तिगत योगदान दिया। उन्होंने पारस्परिक रूप से लाभप्रद रूसी-भारतीय सहयोग जोड़ने के लिए बहुत कुछ किया।"
दलाई लामा ने अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की और कलाम की मौत को "एक अपूरणीय क्षति" बुला, अपना दुख व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा, "अनेक वर्षों में, मुझे कई अवसरों पर कलाम के साथ बातचीत करने का मौका मिला। वह एक महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद और राजनेता ही नहीं, बल्कि वे एक वास्तविक सज्जन थे, और हमेशा मैंने उनकी सादगी और विनम्रता की प्रशंसा की है। मैंने सामान्य हितों के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर हमारी चर्चाओं का आनंद लिया, लेकिन विज्ञान, अध्यात्म और शिक्षा के साथ मुख्य रूप से हमारे बीच चिंतन किया जाता था।"
दक्षिण एशियाई नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की और दिवंगत राजनेता की सराहना की। भूटान सरकार ने कलाम की मौत के शोक के लिए देश के झंडे को आधी ऊंचाई पर फहराने के लिए आदेश दिया, और श्रद्धांजलि में 1000 मक्खन के दीपक की भेंट किए। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कलाम के प्रति अपना गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, " वे एक महान नेता थे जिनकी सभी ने प्रशंसा की विशेषकर भारत के युवाओं के वे प्रशंसनीय नेता थे जिन्हें वे जनता का राष्ट्रपति बुलाते थे।"
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी व्याख्या करते हुए कहा, "एक महान राजनेता प्रशंसित वैज्ञानिक और दक्षिण एशिया के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत के संयोग" उन्होंने कलाम की मृत्यु को "भारत के लिए अपूरणीय क्षति से भी परे बताया।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सबसे प्रसिद्ध बेटे, पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर हमें गहरा झटका लगा है। ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम अपने समय के सबसे महान ज्ञानियों में से एक थे। वह बांग्लादेश में भी बहुत सम्मानित थे। उनकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की वृद्धि करने के लिए अमूल्य योगदान के लिए वे सभी के द्वारा हमेशा याद किये जायेंगे। वे दक्षिण एशिया की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत थे जो उनके सपनों को पंख देते थे।" बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया ने कहा,"एक परमाणु वैज्ञानिक के रूप में, उन्होंने लोगों के कल्याण में स्वयं को समर्पित किया।" अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, ने कलाम को, "लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक शख्सियत बताया" ये नोट करते हुए "हमे अपने जीवन से बहुत कुछ सीखना है।" नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भारत के लिए कलाम के वैज्ञानिक योगदानों को याद किया। "नेपाल ने एक अच्छा दोस्त खो दिया है और मैंने एक सम्मानित और आदर्श व्यक्तित्व को खो दिया है।" पाकिस्तान के राष्ट्रपति , ममनून हुसैन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर उनके प्रति दु: ख, शोक व संवेदना व्यक्त की।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा, "कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य भावना के आदमी थे। मैंने उन्हें दुनिया के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में देखा था। उनकी मौत भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है।"
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🎈 એકમો
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➡️ 1 KW = 0.9 KVA.
➡️ 1 HP = 0.746.KW.
➡️ 1 HP = 0.67 KVA.
➡️ 1 Tonne = 3.516 KW.
➡️ 1 Tonne = 4.71 HP.
➡️ 1 Tonne = 3.164 KVA.
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🎈 હવે ગામના તલાટી રૂ. 5 લાખ સુધીનું આવકનું પ્રમાણપત્ર આપી શકશે.
➡️ તમામ પુરાવાઓ સાથે રજુ કરેલ અરજીનો નિકાલ એક દિવસમાં કરવાનો રહેશે.
અમદાવાદ: રાજ્ય સરકારે નિર્ણય કર્યો છે કે હવે રૂપિયા 5 લાખ સુધીનું આવકનું પ્રમાણપત્ર ગામના તલાટી કમ-મંત્રી કાઢી આપશે. આ માટે નિયત ફોર્મ ભરી અરજી કરવાની રહેશે. તમામ પુરાવાઓ સાથે રજુ કરેલ અરજીનો નિકાલ એક દિવસમાં કરવાનો રહેશે. તલાટી કમ-મંત્રીએ કાઢી આપેલ આવકના પ્રમાણપત્રની માન્યતા એક વર્ષની રહેશે. તલાટી કમ-મંત્રી જે ગામમાં ફરજ બજાવતા હશે તે ગામના લોકોને જ આવકનું પ્રમાણપત્ર આપી શકશે. આ માટે અરજદારે નિયત ફી પણ ચુકવવાની રહેશે. સરકારની આ જાહેરાતને પગલે ગામના લોકોને તાલુકા કચેરીઓમાં આવકના પ્રમાણપત્ર માટે ધક્કા ખાવાની જરૂર નહીં પડે.
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🎈 અયોધ્યા મામલે કેસની સુનાવણી કરી રહેલા આ 5 જસ્ટિસ વિશે
➡️ 1. જસ્ટિસ રંજન ગોગોઈ, ચીફ જસ્ટિસ ઓફ ઈન્ડિયા
👉 ચીફ જસ્ટિસ રંજન ગોગોઈ આ બેન્ચની આગેવાની કરી રહ્યા છે. તેમણે 3 ઓક્ટોબર 2018ના રોજ ચીફ જસ્ટિસ ઓફ ઈન્ડિયાનો પદભાર સંભાળ્યો હતો.
👉 18 નવેમ્બર 1954ના રોજ જસ્ટિસ રંજન ગોગોઈનો જન્મ થયો હતો. તેમણે 1978માં બાર કાઉન્સિલ જોઈન કર્યું હતું. તેમણે શરૂઆત ગુવાહાટી કોર્ટથી કરી હતી.
👉 2001માં તેઓ ગુવાહાટી કોર્ટમાં જજ બન્યા હતા. ત્યારપછી પંજાબ અને હરિયાણા હાઈકોર્ટમાં તેમની 2010માં જજ તરીકે નિમણૂક થઈ.
👉 2011માં તેઓ પંજાબ-હરિયાણા હાઈકોર્ટના ચીફ જસ્ટિસ બન્યા.
👉 23 એપ્રિલ 2012માં જસ્ટિસ રંજન ગોગોઈ સુપ્રીમ કોર્ટના બન્યા. ચીફ જસ્ટિસ તરીકે તેમના કાર્યકાળમાં તેમણે ઘણાં ઐતિહાસીક કેસના ચુકાદા આપ્યા છે. તેમાં એનઆરસી અને જમ્મુ-કાશ્મીર કેસની અરજીઓ પણ સામેલ છે.
➡️ 2. જસ્ટિસ શરદ અરવિંદ બોબડે (એસ.એ.બોબડે) આ બેન્ચમાં બીજા જજ જસ્ટિસ એસ.એ.બોબડે છે.
👉 1978માં તેઓ બાર કાઉન્સિલ ઓફ મહારાષ્ટ્રમાં જોડાયા હતા. ત્યારપછી બોમ્બે હાઈકોર્ટની નાગપુર બેન્ચમાં લોની પ્રક્ટિસ કરી, 1998માં સીનિયર વકીલ બન્યા.
👉 વર્ષ 2000માં તેમણે બોમ્બે હાઈકોર્ટમાં એડિશનલ જજ તરીકેનો કાર્યભાર સંભાળ્યો. ત્યારપછી મધ્ય પ્રદેશ હાઈકોર્ટના ચીફ જસ્ટિસ બન્યા અને 2013માં સુપ્રીમ કોર્ટની જજ તરીકે કમાન સંભાળી હતી.
👉 જસ્ટિસ એસ.એ.બોબડે 23 એપ્રિલ 2021માં નિવૃત્ત થશે. ( જે આગામી ચીફ જસ્ટિસ ઓફ ઈન્ડિયા પણ હશે.)
➡️ 3. જસ્ટિસ ધનંજય યશવંત ચંદ્રચૂડ
જસ્ટિસ ડી.વાય ચંદ્રચૂડે 13 મે 2016માં સુપ્રીમ કોર્ટમાં જજ તરીકેનો કાર્યભાર સંભાળ્યો હતો.
👉 તેમના પિતા જસ્ટિસ યશવંત વિષ્ણુ ચંદ્રચૂડ સુપ્રીમ કોર્ટમાં ચીફ જસ્ટિસ રહી ચૂક્યા છે.
👉 જસ્ટિસ ડી.વાય. ચંદ્રચૂડ સુપ્રીમ કોર્ટમાં આવ્યા તે પહેલાં અલાહાબાદ હાઈકોર્ટના ચીફ જસ્ટિસ રહી ચૂક્યા છે. તેઓ બોમ્બે હાઈકોર્ટમાં પણ જજ તરીકે કાર્યભાર સંભાળી ચૂક્યા છે.
👉 જસ્ટિસ ડી.વાય ચંદ્રચૂડ દુનિયાની ઘણી મોટી યૂનવર્સિટીમાં લેક્ચર આપી ચૂક્યા છે. જજ તરીકે નિયુક્ત થતા પહેલાં તેઓ દેશના એડિશનલ સોલિસિટર જનરલ પણ રહી ચૂક્યા છે.
👉 તેઓ સબરીમાલા, ભીમા કોરેગાંવ, સમલૈંગિકતા સહિત ઘણાં મોટા કેસની પેનલમાં રહી ચૂક્યા છે.@ONLY_NOTIFICATION
➡️ 4. જસ્ટિસ અશોક ભૂષણ
જસ્ટિસ અશોક ભૂષણનો જન્મ ઉત્તર પ્રદેશના જૌનપુરમાં થયો હતો.
👉 અહીં તેઓ 1979માં યુપી બાર કાઉન્સિલમાં જોડાયા હતા. ત્યારપછી અલાહાબાદ હાઈકોર્ટમાં વકિલાતની પ્રેક્ટિસ કરી હતી.
👉 તે સિવાય તેમણે અલાહાબાદ હાઈકોર્ટમાં ઘણાં પદ સંભાળી ચૂક્યા છે અને 2001માં અહીં જ જજ તરીકે નિયુક્ત થયા. 2014માં તેઓ કેરળ હાઈકોર્ટના જજ નિમાયા અને 2015માં અહીં ચીફ જસ્ટિસ બન્યા.@ONLY_NOTIFICATION
👉 13 મે 2016માં તેમણે સુપ્રીમ કોર્ટના જજ તરીકેનો કાર્યભાર સંભાળ્યો.
➡️ 5. જસ્ટિસ અબ્દુલ નઝીર
👉 અયોધ્યા મામલે બેન્ચમાં સામેલ જસ્ટિસ અબ્દુલ નઝીરે 1983માં વકીલાત શરૂ કરી હતી. તેમણે કર્ણાટક હાઈકોર્ટમાં પ્રેક્ટિસ કરી. ત્યારપછી ત્યાંજ એડિશનલ જજ અને પરમેનેન્ટ જજનો કાર્યભાર સંભાળ્યો.
👉 17 ફેબ્રુઆરી 2017માં તેમણે સુપ્રીમ કોર્ટમાં જજ તરીકેનો કાર્યભાર સંભાળ્યો હતો.
નોંધનીય છે કે, સુપ્રીમ કોર્ટ તરફથી પહેલાં આ ઐતિહાસિક કેસમાં મધ્યસ્થતીનો રસ્તો અપનાવવાનું કહેવામાં આવ્યું હતું પરંતુ તે પેનલને સફળતા ન મળી. @ONLY_NOTIFICATION
👉 ત્યારપછી 6 ઓગસ્ટથી સુપ્રીમ કોર્ટમાં આ કેસમાં રોજ સુનાવણી ચાલી રહી છે. કોર્ટે સપ્તાહમાં પાંચ દિવસ આ કેસની સુનાવણી કરી અને છેલ્લા અમુક દિવસોમાં સુનાવણીમાં એક કલાક પણ વધારી દેવામાં આવ્યો હતો.
➡️ 1. જસ્ટિસ રંજન ગોગોઈ, ચીફ જસ્ટિસ ઓફ ઈન્ડિયા
👉 ચીફ જસ્ટિસ રંજન ગોગોઈ આ બેન્ચની આગેવાની કરી રહ્યા છે. તેમણે 3 ઓક્ટોબર 2018ના રોજ ચીફ જસ્ટિસ ઓફ ઈન્ડિયાનો પદભાર સંભાળ્યો હતો.
👉 18 નવેમ્બર 1954ના રોજ જસ્ટિસ રંજન ગોગોઈનો જન્મ થયો હતો. તેમણે 1978માં બાર કાઉન્સિલ જોઈન કર્યું હતું. તેમણે શરૂઆત ગુવાહાટી કોર્ટથી કરી હતી.
👉 2001માં તેઓ ગુવાહાટી કોર્ટમાં જજ બન્યા હતા. ત્યારપછી પંજાબ અને હરિયાણા હાઈકોર્ટમાં તેમની 2010માં જજ તરીકે નિમણૂક થઈ.
👉 2011માં તેઓ પંજાબ-હરિયાણા હાઈકોર્ટના ચીફ જસ્ટિસ બન્યા.
👉 23 એપ્રિલ 2012માં જસ્ટિસ રંજન ગોગોઈ સુપ્રીમ કોર્ટના બન્યા. ચીફ જસ્ટિસ તરીકે તેમના કાર્યકાળમાં તેમણે ઘણાં ઐતિહાસીક કેસના ચુકાદા આપ્યા છે. તેમાં એનઆરસી અને જમ્મુ-કાશ્મીર કેસની અરજીઓ પણ સામેલ છે.
➡️ 2. જસ્ટિસ શરદ અરવિંદ બોબડે (એસ.એ.બોબડે) આ બેન્ચમાં બીજા જજ જસ્ટિસ એસ.એ.બોબડે છે.
👉 1978માં તેઓ બાર કાઉન્સિલ ઓફ મહારાષ્ટ્રમાં જોડાયા હતા. ત્યારપછી બોમ્બે હાઈકોર્ટની નાગપુર બેન્ચમાં લોની પ્રક્ટિસ કરી, 1998માં સીનિયર વકીલ બન્યા.
👉 વર્ષ 2000માં તેમણે બોમ્બે હાઈકોર્ટમાં એડિશનલ જજ તરીકેનો કાર્યભાર સંભાળ્યો. ત્યારપછી મધ્ય પ્રદેશ હાઈકોર્ટના ચીફ જસ્ટિસ બન્યા અને 2013માં સુપ્રીમ કોર્ટની જજ તરીકે કમાન સંભાળી હતી.
👉 જસ્ટિસ એસ.એ.બોબડે 23 એપ્રિલ 2021માં નિવૃત્ત થશે. ( જે આગામી ચીફ જસ્ટિસ ઓફ ઈન્ડિયા પણ હશે.)
➡️ 3. જસ્ટિસ ધનંજય યશવંત ચંદ્રચૂડ
જસ્ટિસ ડી.વાય ચંદ્રચૂડે 13 મે 2016માં સુપ્રીમ કોર્ટમાં જજ તરીકેનો કાર્યભાર સંભાળ્યો હતો.
👉 તેમના પિતા જસ્ટિસ યશવંત વિષ્ણુ ચંદ્રચૂડ સુપ્રીમ કોર્ટમાં ચીફ જસ્ટિસ રહી ચૂક્યા છે.
👉 જસ્ટિસ ડી.વાય. ચંદ્રચૂડ સુપ્રીમ કોર્ટમાં આવ્યા તે પહેલાં અલાહાબાદ હાઈકોર્ટના ચીફ જસ્ટિસ રહી ચૂક્યા છે. તેઓ બોમ્બે હાઈકોર્ટમાં પણ જજ તરીકે કાર્યભાર સંભાળી ચૂક્યા છે.
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➡️ 4. જસ્ટિસ અશોક ભૂષણ
જસ્ટિસ અશોક ભૂષણનો જન્મ ઉત્તર પ્રદેશના જૌનપુરમાં થયો હતો.
👉 અહીં તેઓ 1979માં યુપી બાર કાઉન્સિલમાં જોડાયા હતા. ત્યારપછી અલાહાબાદ હાઈકોર્ટમાં વકિલાતની પ્રેક્ટિસ કરી હતી.
👉 તે સિવાય તેમણે અલાહાબાદ હાઈકોર્ટમાં ઘણાં પદ સંભાળી ચૂક્યા છે અને 2001માં અહીં જ જજ તરીકે નિયુક્ત થયા. 2014માં તેઓ કેરળ હાઈકોર્ટના જજ નિમાયા અને 2015માં અહીં ચીફ જસ્ટિસ બન્યા.@ONLY_NOTIFICATION
👉 13 મે 2016માં તેમણે સુપ્રીમ કોર્ટના જજ તરીકેનો કાર્યભાર સંભાળ્યો.
➡️ 5. જસ્ટિસ અબ્દુલ નઝીર
👉 અયોધ્યા મામલે બેન્ચમાં સામેલ જસ્ટિસ અબ્દુલ નઝીરે 1983માં વકીલાત શરૂ કરી હતી. તેમણે કર્ણાટક હાઈકોર્ટમાં પ્રેક્ટિસ કરી. ત્યારપછી ત્યાંજ એડિશનલ જજ અને પરમેનેન્ટ જજનો કાર્યભાર સંભાળ્યો.
👉 17 ફેબ્રુઆરી 2017માં તેમણે સુપ્રીમ કોર્ટમાં જજ તરીકેનો કાર્યભાર સંભાળ્યો હતો.
નોંધનીય છે કે, સુપ્રીમ કોર્ટ તરફથી પહેલાં આ ઐતિહાસિક કેસમાં મધ્યસ્થતીનો રસ્તો અપનાવવાનું કહેવામાં આવ્યું હતું પરંતુ તે પેનલને સફળતા ન મળી. @ONLY_NOTIFICATION
👉 ત્યારપછી 6 ઓગસ્ટથી સુપ્રીમ કોર્ટમાં આ કેસમાં રોજ સુનાવણી ચાલી રહી છે. કોર્ટે સપ્તાહમાં પાંચ દિવસ આ કેસની સુનાવણી કરી અને છેલ્લા અમુક દિવસોમાં સુનાવણીમાં એક કલાક પણ વધારી દેવામાં આવ્યો હતો.
🎈 સર્વે મિત્રોનો ખૂબ ખૂબ આભાર...
ખૂબ જ લાંબા ગાળા સુધી ચેનલમાં કોઈ પણ જાતની ઉપડેટ ના હોવા છતાં ચેનલમાં જોડાયેલ રહ્યા.☺️🙏🙏🙏
ખૂબ જ લાંબા ગાળા સુધી ચેનલમાં કોઈ પણ જાતની ઉપડેટ ના હોવા છતાં ચેનલમાં જોડાયેલ રહ્યા.☺️🙏🙏🙏
🎈2020ના પ્રથમ દિવસે ભારતમાં 67385 બાળકોનો જન્મ થયો - યુનિસેફ અહેવાલ.
👉 2020 મા પ્રથમ બાળકનો જન્મ ફીજી દેશમાં થયો.
👉 ભારતમાં સૌથી વધારે બાળકોનો જન્મ થયો ત્યારબાદ ચીનમાં(46,299), ઇન્ડોનેશિયા(13020), પાકિસ્તાન(16787), અમેરિકા(10452).
👉 વર્ષ 2018માં નવજાત શિશુ જન્મના પ્રથમ મહિનામાં જ 25 લાખમાં મોત થયા.
👉 યુનિસેફના અહેવાલ પ્રમાણે 2020ના પ્રથમ જ દિવસે 3,92,078 બાળકોનો જન્મ થયો.
👉 યુએનના અહેવાલ પ્રમાણે 2050 સુધીમાં ભારતની વસ્તી દુનિયામાં અવ્વલ હશે. હાલ ચીન સૌથી આગળ છે.
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👉 2020 મા પ્રથમ બાળકનો જન્મ ફીજી દેશમાં થયો.
👉 ભારતમાં સૌથી વધારે બાળકોનો જન્મ થયો ત્યારબાદ ચીનમાં(46,299), ઇન્ડોનેશિયા(13020), પાકિસ્તાન(16787), અમેરિકા(10452).
👉 વર્ષ 2018માં નવજાત શિશુ જન્મના પ્રથમ મહિનામાં જ 25 લાખમાં મોત થયા.
👉 યુનિસેફના અહેવાલ પ્રમાણે 2020ના પ્રથમ જ દિવસે 3,92,078 બાળકોનો જન્મ થયો.
👉 યુએનના અહેવાલ પ્રમાણે 2050 સુધીમાં ભારતની વસ્તી દુનિયામાં અવ્વલ હશે. હાલ ચીન સૌથી આગળ છે.
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🎈 ચીન દ્વારા દુનિયાની ડ્રાઈવરલેસ હાઈસ્પીડ સ્માર્ટ ટ્રેન દોડી.
👉 બેઇજિંગ અને ઝાંગાજીયકો વચ્ચે દોડી ટ્રેન.
👉 સ્માર્ટ ટ્રેને 174 કિલોમીટરનું અંતર 10 સ્ટોપ સાથે 47 મિનિટમાં પૂરું કર્યું.
👉 ટ્રેનમાં સ્માર્ટ લાઇટિંગ અને 5G ની સુવિધાઓ છે.
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🎈 ગુજરાતની 54.9 % મહિલાઓ એનિમિયાથી પીડાય છે.
👉 15 થી 49 વયજુથમાં સૌથી વધારે મહિલાઓને એનિમિયા હોય તેવા રાજ્ય - કેન્દ્ર શાસિત પ્રદેશોમાં ગુજરાત 13માં સ્થાને છે.
👉 મહિલાઓને એનિમિયા મામલે સમગ્ર દેશની સરેરાશ 53.1% છે.
➡️ રક્તકનોમાં હિમોગ્લોબીનનું પ્રમાણ ઉંમર પ્રમાણે ખૂબ જ ઓછું હોય તેને એનિમિયા કહેવાય છે. શરીરમાં ઓક્સિજનનું પરિવહન હિમોગ્લોબીન દ્વારા જ થાય છે.
👉 સૌથી વધારે પ્રમાણ દાદરા નગર (79.5%), ચંડીગઠ(76.0%), આંદામાન નિકોબાર(65.6%), ઝારખંડ(65.2%), હરિયાણા(62.7%) છે. જ્યારે સૌથી ઓછું પ્રમાણ મિઝોરમ(24.8%), મણિપુર(26.4%), નાગાલેન્ડ(27.8%), ગોવા(31.3%) છે.
➡️ ગુજરાતમાં સૌથી વધારે ડાંગ (72.3%) મહિલાઓમાં એનિમિયા છે જ્યારે સુરતમાં(39%) સૌથી ઓછી મહિલાઓમાં એનિમિયા છે.
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👉 15 થી 49 વયજુથમાં સૌથી વધારે મહિલાઓને એનિમિયા હોય તેવા રાજ્ય - કેન્દ્ર શાસિત પ્રદેશોમાં ગુજરાત 13માં સ્થાને છે.
👉 મહિલાઓને એનિમિયા મામલે સમગ્ર દેશની સરેરાશ 53.1% છે.
➡️ રક્તકનોમાં હિમોગ્લોબીનનું પ્રમાણ ઉંમર પ્રમાણે ખૂબ જ ઓછું હોય તેને એનિમિયા કહેવાય છે. શરીરમાં ઓક્સિજનનું પરિવહન હિમોગ્લોબીન દ્વારા જ થાય છે.
👉 સૌથી વધારે પ્રમાણ દાદરા નગર (79.5%), ચંડીગઠ(76.0%), આંદામાન નિકોબાર(65.6%), ઝારખંડ(65.2%), હરિયાણા(62.7%) છે. જ્યારે સૌથી ઓછું પ્રમાણ મિઝોરમ(24.8%), મણિપુર(26.4%), નાગાલેન્ડ(27.8%), ગોવા(31.3%) છે.
➡️ ગુજરાતમાં સૌથી વધારે ડાંગ (72.3%) મહિલાઓમાં એનિમિયા છે જ્યારે સુરતમાં(39%) સૌથી ઓછી મહિલાઓમાં એનિમિયા છે.
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🎈 આજથી ATP કપ ઓસ્ટ્રેલિયામાં રમાશે.
👉 આ કપમાં 24 દેશો વચ્ચે ટક્કર થશે.
👉 ATP કપમાં ટેનિસ(લૉન) ની રમત રમાય છે.
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🎈 વડાપ્રધાન નરેન્દ્રભાઈ મોદી હાલ બે દિવસ કર્ણાટકના પ્રવાસે છે.
👉 પ્રથમ દિવસે બેંગ્લોરમાં પાંચ ડીઆરડીઓ યંગ સાઇન્ટિસ્ટ લેબોરેટરીનું ઉદ્દઘાટન કર્યું છે.
👉 આ લેબ બેંગ્લોર, મુંબઈ, કોલકાતા હૈદરાબાદ અને ચેન્નાઈમાં આવેલી છે.
➡️ કર્ણાટકના મુખ્યમંત્રી યેદિરુપ્પા.
➡️ DRDO ના ચેરમેન ડૉ. જી. સતિષ.
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👉 આ લેબ બેંગ્લોર, મુંબઈ, કોલકાતા હૈદરાબાદ અને ચેન્નાઈમાં આવેલી છે.
➡️ કર્ણાટકના મુખ્યમંત્રી યેદિરુપ્પા.
➡️ DRDO ના ચેરમેન ડૉ. જી. સતિષ.
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🎈 નેશનલ મેડિકલ કમિશનના અધ્યક્ષ તરીકે પ્રો. સુરેશ ચંદ્ર શર્માની નિયુક્તિ.
👉 તેઓ દિલ્હીના એઇમ્સમાં ઈએનટી માથું-ગળા સર્જરી વિભાગના વડા હતા.
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➡️ પૃથ્વી પર સૌથી ઠંડુ સ્થળ રશિયાનું વરખોયસ્ક છે જેનું તાપમાન -93.6 ડીગ્રી થયું હતું. (ગિનિસ બુક ઓફ વર્લ્ડ રેકોર્ડમાં સામેલ છે).
👉 ગિનિસ બુક ઓફ વર્લ્ડ રેકોર્ડમાં બીજું સ્થાન એન્ટાર્કટિકમાં રશિયાની પ્રયોગશાળામાં નોંધાયેલ છે જે -79.2 ડીગ્રી છે.
➡️ હાલમાં જ અમેરિકી અંતરિક્ષ એજન્સી નાસાના ડેટા વિશ્લેષણ પરથી ઓગસ્ટ 2010માં પૂર્વી એન્ટાર્કટિકા.આ માઇનસ 97.7 ડીગ્રી તાપમાન નોંધ્યું જે સેટેલાઇટ દ્વારા નોંધાયેલ એટલે આ રેકોર્ડને માન્ય ગણાશે નહિ.
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👉 ગિનિસ બુક ઓફ વર્લ્ડ રેકોર્ડમાં બીજું સ્થાન એન્ટાર્કટિકમાં રશિયાની પ્રયોગશાળામાં નોંધાયેલ છે જે -79.2 ડીગ્રી છે.
➡️ હાલમાં જ અમેરિકી અંતરિક્ષ એજન્સી નાસાના ડેટા વિશ્લેષણ પરથી ઓગસ્ટ 2010માં પૂર્વી એન્ટાર્કટિકા.આ માઇનસ 97.7 ડીગ્રી તાપમાન નોંધ્યું જે સેટેલાઇટ દ્વારા નોંધાયેલ એટલે આ રેકોર્ડને માન્ય ગણાશે નહિ.
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🎈 ભારત - આસિયાન વ્યાપાર સમિટ - નવી દિલ્હી.
➡️ 35 મી એશિયન સમિટ - બેંગકોક.
➡️ આસિયાન ઇનોટેક સમિટ - ફિલિપાઇન્સ.
➡️ આસિયાન વ્યાપાર સમિટ - ફિલિપાઇન્સ.
➡️ આસિયાન માર્કેટિંગ સમિટ - જકાર્તા.
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➡️ 35 મી એશિયન સમિટ - બેંગકોક.
➡️ આસિયાન ઇનોટેક સમિટ - ફિલિપાઇન્સ.
➡️ આસિયાન વ્યાપાર સમિટ - ફિલિપાઇન્સ.
➡️ આસિયાન માર્કેટિંગ સમિટ - જકાર્તા.
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