आपने आखिर हमको किस तरह नहीं लूटा कभी इंकार से तो कभी प्यार से लूटा आपके लूटने का हुनर बारीकियां क्या कहें कभी ठुकराया तो कभी अपना बनाकर लूटा कभी तोहफ़ा लिबास का देकर कभी लिबास उतार कर लूटा कभी खामोश रहकर कभी बातो से लूटा कभी नजर चुरा कर कभी नजर मिलाकर लूटा..