✨💖 इस महिला दिवस पर अपना जश्न मनाएँ! 💖✨
महिला दिवस पर आत्म-प्रेम का अनुभव
यहाँ व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें:
https://chat.whatsapp.com/BNesgyiAWJ71rIQdSVljXW
🎉🆓💖 महिलाओं के लिए निःशुल्क कार्यक्रम
महिलाओं, आत्म-प्रेम, आत्म-मूल्य और आत्म-स्वीकृति को अपनाने का समय आ गया है! 🌸💫 हमारे साथ 90 मिनट के शक्तिशाली सत्र में शामिल हों, जहाँ हम आत्म-संदेह को दूर करेंगे, अपनी आंतरिक शक्ति से फिर से जुड़ेंगे और खुद का सम्मान करेंगे - शरीर, मन और आत्मा।
🌷 क्या उम्मीद करें?
✅ आत्म-आलोचना और नकारात्मक मान्यताओं को छोड़ दें 🙅♀️
✅ शरीर की सकारात्मकता और आत्मविश्वास को अपनाएँ ✨
✅ आंतरिक शांति और भावनात्मक कल्याण की खेती करें 🧘♀️
✅ अपनी उज्ज्वल महिला का जश्न मनाएँ! 💃
📅 दिनांक:
मंगलवार 11 मार्च 2025 (अंग्रेजी में)
बुधवार 12 मार्च 2025 (हिंदी में)
⏳ अवधि: 90 मिनट
🕰️ समय: शाम 7:30 बजे से 9 बजे तक
📍 ऑनलाइन सत्र
💡 खुद को वह प्यार दें जिसके आप वास्तव में हकदार हैं!
💕 ऐसी महिला को टैग करें जिसे इसकी ज़रूरत है! 👇
महिला दिवस उपहार - केवल महिलाओं के लिए निःशुल्क कार्यक्रम! 🎉🆓💖
यहाँ व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें:
https://chat.whatsapp.com/BNesgyiAWJ71rIQdSVljXW
संपर्क करें:
जयश्री (व्हाट्सएप) 91 9930914743
समग्र उपचारक
ईएफटी प्रैक्टिशनर
तनाव प्रबंधन कोच
योग शिक्षक
स्वास्थ्य कोच
अंग्रेजी बोलने वाले मेंटर
महिला दिवस पर आत्म-प्रेम का अनुभव
यहाँ व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें:
https://chat.whatsapp.com/BNesgyiAWJ71rIQdSVljXW
🎉🆓💖 महिलाओं के लिए निःशुल्क कार्यक्रम
महिलाओं, आत्म-प्रेम, आत्म-मूल्य और आत्म-स्वीकृति को अपनाने का समय आ गया है! 🌸💫 हमारे साथ 90 मिनट के शक्तिशाली सत्र में शामिल हों, जहाँ हम आत्म-संदेह को दूर करेंगे, अपनी आंतरिक शक्ति से फिर से जुड़ेंगे और खुद का सम्मान करेंगे - शरीर, मन और आत्मा।
🌷 क्या उम्मीद करें?
✅ आत्म-आलोचना और नकारात्मक मान्यताओं को छोड़ दें 🙅♀️
✅ शरीर की सकारात्मकता और आत्मविश्वास को अपनाएँ ✨
✅ आंतरिक शांति और भावनात्मक कल्याण की खेती करें 🧘♀️
✅ अपनी उज्ज्वल महिला का जश्न मनाएँ! 💃
📅 दिनांक:
मंगलवार 11 मार्च 2025 (अंग्रेजी में)
बुधवार 12 मार्च 2025 (हिंदी में)
⏳ अवधि: 90 मिनट
🕰️ समय: शाम 7:30 बजे से 9 बजे तक
📍 ऑनलाइन सत्र
💡 खुद को वह प्यार दें जिसके आप वास्तव में हकदार हैं!
💕 ऐसी महिला को टैग करें जिसे इसकी ज़रूरत है! 👇
महिला दिवस उपहार - केवल महिलाओं के लिए निःशुल्क कार्यक्रम! 🎉🆓💖
यहाँ व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें:
https://chat.whatsapp.com/BNesgyiAWJ71rIQdSVljXW
संपर्क करें:
जयश्री (व्हाट्सएप) 91 9930914743
समग्र उपचारक
ईएफटी प्रैक्टिशनर
तनाव प्रबंधन कोच
योग शिक्षक
स्वास्थ्य कोच
अंग्रेजी बोलने वाले मेंटर
WhatsApp.com
Mindgini Healings 🙌 🙏🌹
WhatsApp Group Invite
सभी स्नेहीजनों को
आमलकी एकादशी
की हार्दिक शुभकामनाएं !
सनातन धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। साथ ही जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर आमलकी एकादशी व्रत किया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि आमलकी एकादशी व्रत करने से साधक के सभी पापों का नाश होता है और विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। इस बार आमलकी एकादशी की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बन रही है। अतः प्रस्तुत है आमलकी एकादशी की सही तिथि-
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत ०९ मार्च को सुबह ०७ बजकर ४५ मिनट पर हो रही है। वहीं, तिथि का समापन १० मार्च को सुबह ०७ बजकर ४४ मिनट पर होगा है। ऐसे में १० मार्च को आमलकी एकादशी मनाई जाएगी।
आमलकी एकादशी व्रत पारण करने का शुभ मुहूर्त-
११ मार्च को सुबह ०६ बजकर ३५ मिनट से ०८ बजकर १३ मिनट तक है। इस दिन व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा अनुसार मंदिर या गरीब लोगों में दान करना चाहिए। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है।
।। डॉ0 विजय शंकर मिश्र: ।।
@ancientindia1
आमलकी एकादशी
की हार्दिक शुभकामनाएं !
सनातन धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। साथ ही जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर आमलकी एकादशी व्रत किया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि आमलकी एकादशी व्रत करने से साधक के सभी पापों का नाश होता है और विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। इस बार आमलकी एकादशी की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बन रही है। अतः प्रस्तुत है आमलकी एकादशी की सही तिथि-
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत ०९ मार्च को सुबह ०७ बजकर ४५ मिनट पर हो रही है। वहीं, तिथि का समापन १० मार्च को सुबह ०७ बजकर ४४ मिनट पर होगा है। ऐसे में १० मार्च को आमलकी एकादशी मनाई जाएगी।
आमलकी एकादशी व्रत पारण करने का शुभ मुहूर्त-
११ मार्च को सुबह ०६ बजकर ३५ मिनट से ०८ बजकर १३ मिनट तक है। इस दिन व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा अनुसार मंदिर या गरीब लोगों में दान करना चाहिए। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है।
।। डॉ0 विजय शंकर मिश्र: ।।
@ancientindia1
होलिका स्तोत्र
होली जलाते समय या होली जलाने के बाद और तीन या पांच परिक्रमा करने के पश्चात होलिका को दोनों हाथो से नमस्कार करके यह स्तोत्र बोलने से होलिका मनुष्य के सभी पापो को हर लेती है, सभी सन्तापों को हर लेती है, और सभी प्रकार से कल्याण करती है होलिका जगन्माता बनके सर्वसिद्धियाँ प्रदान करती है सुखशान्ति प्रदान करती है।
यह स्तोत्र को तीन परिक्रमा करने के बाद दोनों हाथो से नमस्कार करके होलिका स्तोत्र पढ़ना चाहिए
होलिका स्तोत्र
ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।
(अर्थ --ॐ, मैं उस महान् ज्योति का, अग्निदेव का ध्यान करता हूँ। वह (शुभ) अग्नि हमें (समृद्धि और कल्याण की ओर) प्रेरित करे।)
पापं तापं च दहनं कुरु कल्याणकारिणि |
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः ||
होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी |
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव ||
वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च ।
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव ||
अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः |
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव ||
त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च ।
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः ||
होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी |
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव ||
वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च |
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव ||
अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः |
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव ||
त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च |
जल्पन्तु स्वेछ्या लोकाः निःशङ्का यस्य यन्मतम्
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय महाचक्राय महाज्वालाय दीप्तिरूपाय सर्वतो रक्ष रक्ष मां महाबलाय नमः।
ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय पराय परम पुरूषाय परमात्मने परकर्म मंत्र यंत्र औषध अस्त्र शस्त्राणि संहर संहर मृत्योर्मोचय मोचय ओम नमो भगवते सुदर्शनाय दीप्ते ज्वालादित्याय ,सर्वदिक् क्षोभण कराय हूं फट् ब्रहणे परं ज्योतिषे नमः।
.ॐ नमो भगवते सुदर्शनाय वासुदेवाय, धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय, सकला भय विनाशाय, सर्व रोग निवारणाय त्रिलोक पतये, त्रिलोकीनाथाय ॐ श्री महाविष्णु स्वरूपाय ॐ श्रीं ह्मीं ऐं औषधि चक्र नारायणाय फट्!!
ॐ ऐं ऐं अपराजितायै क्लीं क्लीं नमः।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं हूं हूं त्रैलोक्यमोहन विष्णवे नमः।
ॐ त्रैलोक्यमोहनाय च विदमहे आदिकामदेवाय धीमहि
तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।
ॐ तेजोरूपाय च विदमहे विष्णु पत्न्यै धीमहि तन्नो;
श्री: प्रचोदयात्।
इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025 गुरुवार और 14 मार्च 2025 को होली खेली जाएगी। होलिका दहन के लिए लकड़ी और उपले आदि एकत्रित किए जाते हैं। होलिका दहन से पूर्व उसमें गुलाल समेत अन्य सामग्रियां डाली जाती हैं। होलिका की अग्नि को अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि होलिका की अग्नि में कुछ विशेष चीजों को डालने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। जबकि होलिका में कोई भी अपवित्र चीज डालने की मनाही होती है। मान्यता है कि इसका जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जानें होलिका में क्या-क्या डालना चाहिए और क्या नहीं-
होलिका में क्या-क्या डालना चाहिए-
1.होलिका दहन की आग में सूखा नारियल डालना चाहिए। इसके अलावा अक्षत और ताजे फूल होलिका की अग्नि में चढ़ाएं। होलिका को साबुत मूंग की दाल, हल्दी के टुकड़े, और गाय के सूखे गोबर से बनी माला अर्पित करें।
होलिका की अग्नि में सूखा नारियल डालना अत्यंत शुभ माना गया है।
2. होली की अग्नि में गेहूं की बालियां सेंककर घर लेकर आएं
बाद में इसके गेंहू के दानों को अन्न भंडार में मिला दें अथवा विसर्जित कर दें।
3. होलिका की अग्नि में नीम के पत्ते व कपूर का टुकड़ा अर्पित करना चाहिए।
4. होलिका की अग्नि में घी में भिगोए पान के पत्ते व बताशा अर्पित करना चाहिए।
5. होलिका दहन में चांदी या तांबे के कलश से जल और गुलाल अर्पित करना चाहिए।
6. होलिका की अग्नि में हल्दी व उपले अर्पित करने चाहिए।
7. होलिका दहन की अग्नि में अक्षत व ताजे फूल भी अर्पित करने चाहिए।
8.होली के दिन रंग खेलने के बाद घर में फिटकरी का पोछा लगाने से धन आपकी तरफ चुंबक की तरह चला आता है. एक बाल्टी में पानी लेकर उसके अंदर थोड़ा फिटकरी का पाउडर डाल दें और उससे पोंछा करें.
होली पर बहुत सी नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती है.
वह दूर होती है।
होलिका की अग्नि में क्या नहीं डालना चाहिए
1. होलिका की अग्नि में पानी वाला नारियल नहीं चढ़ाना चाहिए। होलिका में हमेशा सूखा नारियल ही चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि पानी वाला नारियल अर्पित करने से जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति खराब हो सकती है और जातक को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पानी वाला नारियल फोड़कर प्रसाद रूप में ले सकते हैं।
होली जलाते समय या होली जलाने के बाद और तीन या पांच परिक्रमा करने के पश्चात होलिका को दोनों हाथो से नमस्कार करके यह स्तोत्र बोलने से होलिका मनुष्य के सभी पापो को हर लेती है, सभी सन्तापों को हर लेती है, और सभी प्रकार से कल्याण करती है होलिका जगन्माता बनके सर्वसिद्धियाँ प्रदान करती है सुखशान्ति प्रदान करती है।
यह स्तोत्र को तीन परिक्रमा करने के बाद दोनों हाथो से नमस्कार करके होलिका स्तोत्र पढ़ना चाहिए
होलिका स्तोत्र
ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।
(अर्थ --ॐ, मैं उस महान् ज्योति का, अग्निदेव का ध्यान करता हूँ। वह (शुभ) अग्नि हमें (समृद्धि और कल्याण की ओर) प्रेरित करे।)
पापं तापं च दहनं कुरु कल्याणकारिणि |
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः ||
होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी |
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव ||
वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च ।
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव ||
अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः |
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव ||
त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च ।
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः ||
होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी |
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव ||
वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च |
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव ||
अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः |
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव ||
त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च |
जल्पन्तु स्वेछ्या लोकाः निःशङ्का यस्य यन्मतम्
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय महाचक्राय महाज्वालाय दीप्तिरूपाय सर्वतो रक्ष रक्ष मां महाबलाय नमः।
ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय पराय परम पुरूषाय परमात्मने परकर्म मंत्र यंत्र औषध अस्त्र शस्त्राणि संहर संहर मृत्योर्मोचय मोचय ओम नमो भगवते सुदर्शनाय दीप्ते ज्वालादित्याय ,सर्वदिक् क्षोभण कराय हूं फट् ब्रहणे परं ज्योतिषे नमः।
.ॐ नमो भगवते सुदर्शनाय वासुदेवाय, धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय, सकला भय विनाशाय, सर्व रोग निवारणाय त्रिलोक पतये, त्रिलोकीनाथाय ॐ श्री महाविष्णु स्वरूपाय ॐ श्रीं ह्मीं ऐं औषधि चक्र नारायणाय फट्!!
ॐ ऐं ऐं अपराजितायै क्लीं क्लीं नमः।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं हूं हूं त्रैलोक्यमोहन विष्णवे नमः।
ॐ त्रैलोक्यमोहनाय च विदमहे आदिकामदेवाय धीमहि
तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।
ॐ तेजोरूपाय च विदमहे विष्णु पत्न्यै धीमहि तन्नो;
श्री: प्रचोदयात्।
इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025 गुरुवार और 14 मार्च 2025 को होली खेली जाएगी। होलिका दहन के लिए लकड़ी और उपले आदि एकत्रित किए जाते हैं। होलिका दहन से पूर्व उसमें गुलाल समेत अन्य सामग्रियां डाली जाती हैं। होलिका की अग्नि को अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि होलिका की अग्नि में कुछ विशेष चीजों को डालने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। जबकि होलिका में कोई भी अपवित्र चीज डालने की मनाही होती है। मान्यता है कि इसका जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जानें होलिका में क्या-क्या डालना चाहिए और क्या नहीं-
होलिका में क्या-क्या डालना चाहिए-
1.होलिका दहन की आग में सूखा नारियल डालना चाहिए। इसके अलावा अक्षत और ताजे फूल होलिका की अग्नि में चढ़ाएं। होलिका को साबुत मूंग की दाल, हल्दी के टुकड़े, और गाय के सूखे गोबर से बनी माला अर्पित करें।
होलिका की अग्नि में सूखा नारियल डालना अत्यंत शुभ माना गया है।
2. होली की अग्नि में गेहूं की बालियां सेंककर घर लेकर आएं
बाद में इसके गेंहू के दानों को अन्न भंडार में मिला दें अथवा विसर्जित कर दें।
3. होलिका की अग्नि में नीम के पत्ते व कपूर का टुकड़ा अर्पित करना चाहिए।
4. होलिका की अग्नि में घी में भिगोए पान के पत्ते व बताशा अर्पित करना चाहिए।
5. होलिका दहन में चांदी या तांबे के कलश से जल और गुलाल अर्पित करना चाहिए।
6. होलिका की अग्नि में हल्दी व उपले अर्पित करने चाहिए।
7. होलिका दहन की अग्नि में अक्षत व ताजे फूल भी अर्पित करने चाहिए।
8.होली के दिन रंग खेलने के बाद घर में फिटकरी का पोछा लगाने से धन आपकी तरफ चुंबक की तरह चला आता है. एक बाल्टी में पानी लेकर उसके अंदर थोड़ा फिटकरी का पाउडर डाल दें और उससे पोंछा करें.
होली पर बहुत सी नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती है.
वह दूर होती है।
होलिका की अग्नि में क्या नहीं डालना चाहिए
1. होलिका की अग्नि में पानी वाला नारियल नहीं चढ़ाना चाहिए। होलिका में हमेशा सूखा नारियल ही चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि पानी वाला नारियल अर्पित करने से जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति खराब हो सकती है और जातक को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पानी वाला नारियल फोड़कर प्रसाद रूप में ले सकते हैं।
2.होलिका की अग्नि में टूटा-फूटा सामान जैसे पलंग, सोफा आदि नहीं डालना चाहिए। अथवा घर का कचरा न डालें।
मान्यता है कि ऐसा करने से शनि, राहु व केतु अशुभ फल प्रदान करते हैं।
3. होलिका की आग में सूखी हुई गेहूं की बालियां न डालें
बल्कि सेंककर घर लाए।
और सूखे फूल नहीं अर्पित करने चाहिए।
#डॉ0_विजय_शंकर_मिश्र:।।
@ancientindia1
मान्यता है कि ऐसा करने से शनि, राहु व केतु अशुभ फल प्रदान करते हैं।
3. होलिका की आग में सूखी हुई गेहूं की बालियां न डालें
बल्कि सेंककर घर लाए।
और सूखे फूल नहीं अर्पित करने चाहिए।
#डॉ0_विजय_शंकर_मिश्र:।।
@ancientindia1
Our popular *Hare Krishna cooking classes* are conducting the next module from 12th April onwards.
It would be on Saturday from 1.00 pm- 4.30 pm.
20 new recipes would be taught.
Apart from learning how to cook, etiquette on how to serve food to the Lord, food information according to body type, according to season & diet for common ailments will be taught.
Enquire & enroll for it @ 8419990058
@ancientindia1
It would be on Saturday from 1.00 pm- 4.30 pm.
20 new recipes would be taught.
Apart from learning how to cook, etiquette on how to serve food to the Lord, food information according to body type, according to season & diet for common ailments will be taught.
Enquire & enroll for it @ 8419990058
@ancientindia1
फाग महोत्सव/ होलिकोत्सव श्री राधा गोविन्द देव जी, जयपुर
Holi Festival Darshans of Shri Radha Govind Dev ji, Jaipur
Holi Festival Darshans of Shri Radha Govind Dev ji, Jaipur
*🌕🪷 शुक्रवार, 14 मार्च 2025 : गौर पूर्णिमा― श्री चैतन्य महाप्रभु आविर्भाव तिथि 🪷🌕*
🌺🌼🌸🌻🌺🌼🌸🌻🌺
https://youtu.be/NQ9-qWryRNI?si=yZfxzQwrk9_7jmUq
*🪷🌕 श्री चैतन्य महाप्रभु 🌕🪷*
नदनंदन श्रीकृष्ण ही श्रीराधारानी के भाव और माधुर्य रस के उन्नत-उज्जवल रस को सभी साधारण जीवों को देने के लिए कलियुग में श्रीगौर सुन्दर के रूप में, श्री धाम मायापुर, नवद्वीप, जिला नदीया, पश्चिम बंगाल में सन् 1486 की फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन संध्या काल में अवतरित हुए थे। श्री चैतन्य महाप्रभु जी का जन्म गंगा जी के तट पर उस समय हुआ जब चन्द्रग्रहण के समय असंख्यक लोग गंगा में स्नान कर रहे थे तथा सभी जगह 'हरि बोल, हरि बोल' की वाणी गूँज रही थे।
इनके पिता का नाम श्री जगन्नाथ मिश्र तथा माता का नाम श्रीमति शची देवी था। निमाई बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। साथ ही, अत्यंत सरल, सुंदर व भावुक भी थे। इनके द्वारा की गई लीलाओं को देखकर हर कोई हतप्रभ हो जाता था। बहुत कम उम्र में ही निमाई न्याय व व्याकरण में पारंगत हो गए थे।
व्रजेन्द्रनंदन श्री कृष्ण अपने ही माधुर्य का आस्वादन करने व युगधर्म श्री हरीनाम संकीर्तन का प्रचार करने के लिए श्री चैतन्य महाप्रभु जी के रूप में अवतरित हुए। श्री चैतन्य महाप्रभु जी को अनेक नामों जैसे श्री गौर हरि, श्री गौरांग, श्री चैतन्य देव, श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु व उनके बचपन के नाम, निमाई से भी पुकारा जाता है।
कलियुग के युगधर्म श्री हरिनाम संकीर्तन को प्रदान करने के लिए श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने अपने पार्षदों श्री नित्यानंद प्रभु, श्री अद्धैत, श्री गदाधर, श्री वास आदि भक्तवृंद के माध्यम से जीवों के कल्याण हेतु गाँव-गाँव, नगर-नगर, शहर-शहर जाकर हरिनाम संकीर्तन का प्रचार व प्रसार किया। सन् 1534 में पुरी, उड़ीसा में 48 वर्ष की आयु में उनका तिरोभाव हुआ।
प्रतिवर्ष फाल्गुणी पूर्णिमा के दिन उनका जन्म दिवस (अविर्भाव) भारत में ही नहीं, अपितु पुरे विश्व में उनके द्वारा प्रचारित श्री हरिनाम -संर्कीतन के साथ मनाया जाता है।
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥*
🌺🌼🌸🌻🌺🌼🌸🌻🌺
*🔸शास्त्रों में श्री चैतन्य महाप्रभु के अवतरण की भविष्यवाणियां ―*
कलियुग में बुद्धिमान लोग, कृष्ण-नाम के भजन में निरंतर रत रहने वाले अवतार की पूजा संकीर्तन द्वारा करते हैं । यद्यपि वे श्यामवर्ण के नहीं हैं, परन्तु वे स्वयं कृष्ण हैं ।
*– भागवत ११.५.३२*
प्रारंभिक लीलाओं में वे स्वर्णिम वर्ण के एक गृहस्थ के रूप में प्रकट होते हैं । उनके प्रत्यंग सुन्दर हैं और चन्दन का लेप लगाये हुए वे तप्तकांचन के समान दिखते हैं । अपनी अंत की लीलाओं में उन्होंने संन्यास स्वीकार किया, एवं वे सौम्य एवं शांत हैं । वे शांति एवं भक्ति के उच्चतम आश्रय हैं क्योंकि वे मायावादी अभक्तों को भी शांत कर देते हैं ।
*– महाभारत (दान-धर्म पर्व, अध्याय १८९)*
मैं नवद्वीप की पावन भूमि पर माता शचिदेवी के पुत्र के रूप में प्रकट होऊंगा ।
*– कृष्ण यमल तंत्र*
कलियुग में जब संकीर्तन आंदोलन का उदघाटन होगा तब मैं सचिदेवी के पुत्र के रूप में अवतरित होऊंगा ।
*– वायु पुराण*
कभी कभी मैं स्वयं एक भक्त के वेश में उस धरातल पर प्रकट होता हूँ । विशेष रूप से कलियुग में मैं सची देवी के पुत्र के रूप में संकीर्तन आंदोलन आरम्भ करने के लिए प्रकट होता हूँ ।
*– ब्रह्म यमल तंत्र*
हे महेश्वरी ! स्वयं परम पुरुष श्री कृष्ण, जो राधारानी के प्राण एवं जगत के सृष्टिकर्ता, पालक एवं विध्वंसक हैं, गौर के रूप में प्रकट होते हैं ।
*– अनंत संहिता*
परम पुरुषोत्तम भगवान, परम भोक्ता, गोविन्द जिनका रूप दिव्य है, जो त्रिगुणातीत हैं, जो सभी जीवों के हृदय में विद्यमान सर्व्यापक परमात्मा हैं, वे कलियुग में दोबारा प्रकट होंगे । परम-भक्त के रूप में, परम पुरुषोत्तम भगवान गोलोक वृन्दावन के समान, गंगा के तट पर नवद्वीप में द्विभुज सुवर्णमय रूप ग्रहण करेंगे । वे विश्वभर में शुद्ध-भक्ति का प्रचार करेंगे।
*– चैतन्य उपनिषद ५*
कलियुग की प्रथम संध्या में परम पुरुषोत्तम भगवान सुवर्णमय रूप ग्रहण करेंगे । सर्प्रथम वे लक्ष्मी के पति होंगे तत्पश्चात वे संन्यासी होंगे जो जगन्नाथ पुरी में निवास करेंगे ।
*– गरुड़ पुराण*
कमल रूपी नगर के मध्य में स्थित मायापुर नामक एक स्थान है और मायापुर के मध्य में एक स्थान है, अंतर्द्विप। यह परम पुरुषोत्तम भगवान, श्री चैतन्य का निवास स्थान है।
*– छान्दोग्य उपनिषद*
🌺🌼🌸🌻🌺🌼🌸🌻🌺
https://youtu.be/NQ9-qWryRNI?si=yZfxzQwrk9_7jmUq
*🪷🌕 श्री चैतन्य महाप्रभु 🌕🪷*
नदनंदन श्रीकृष्ण ही श्रीराधारानी के भाव और माधुर्य रस के उन्नत-उज्जवल रस को सभी साधारण जीवों को देने के लिए कलियुग में श्रीगौर सुन्दर के रूप में, श्री धाम मायापुर, नवद्वीप, जिला नदीया, पश्चिम बंगाल में सन् 1486 की फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन संध्या काल में अवतरित हुए थे। श्री चैतन्य महाप्रभु जी का जन्म गंगा जी के तट पर उस समय हुआ जब चन्द्रग्रहण के समय असंख्यक लोग गंगा में स्नान कर रहे थे तथा सभी जगह 'हरि बोल, हरि बोल' की वाणी गूँज रही थे।
इनके पिता का नाम श्री जगन्नाथ मिश्र तथा माता का नाम श्रीमति शची देवी था। निमाई बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। साथ ही, अत्यंत सरल, सुंदर व भावुक भी थे। इनके द्वारा की गई लीलाओं को देखकर हर कोई हतप्रभ हो जाता था। बहुत कम उम्र में ही निमाई न्याय व व्याकरण में पारंगत हो गए थे।
व्रजेन्द्रनंदन श्री कृष्ण अपने ही माधुर्य का आस्वादन करने व युगधर्म श्री हरीनाम संकीर्तन का प्रचार करने के लिए श्री चैतन्य महाप्रभु जी के रूप में अवतरित हुए। श्री चैतन्य महाप्रभु जी को अनेक नामों जैसे श्री गौर हरि, श्री गौरांग, श्री चैतन्य देव, श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु व उनके बचपन के नाम, निमाई से भी पुकारा जाता है।
कलियुग के युगधर्म श्री हरिनाम संकीर्तन को प्रदान करने के लिए श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने अपने पार्षदों श्री नित्यानंद प्रभु, श्री अद्धैत, श्री गदाधर, श्री वास आदि भक्तवृंद के माध्यम से जीवों के कल्याण हेतु गाँव-गाँव, नगर-नगर, शहर-शहर जाकर हरिनाम संकीर्तन का प्रचार व प्रसार किया। सन् 1534 में पुरी, उड़ीसा में 48 वर्ष की आयु में उनका तिरोभाव हुआ।
प्रतिवर्ष फाल्गुणी पूर्णिमा के दिन उनका जन्म दिवस (अविर्भाव) भारत में ही नहीं, अपितु पुरे विश्व में उनके द्वारा प्रचारित श्री हरिनाम -संर्कीतन के साथ मनाया जाता है।
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥*
🌺🌼🌸🌻🌺🌼🌸🌻🌺
*🔸शास्त्रों में श्री चैतन्य महाप्रभु के अवतरण की भविष्यवाणियां ―*
कलियुग में बुद्धिमान लोग, कृष्ण-नाम के भजन में निरंतर रत रहने वाले अवतार की पूजा संकीर्तन द्वारा करते हैं । यद्यपि वे श्यामवर्ण के नहीं हैं, परन्तु वे स्वयं कृष्ण हैं ।
*– भागवत ११.५.३२*
प्रारंभिक लीलाओं में वे स्वर्णिम वर्ण के एक गृहस्थ के रूप में प्रकट होते हैं । उनके प्रत्यंग सुन्दर हैं और चन्दन का लेप लगाये हुए वे तप्तकांचन के समान दिखते हैं । अपनी अंत की लीलाओं में उन्होंने संन्यास स्वीकार किया, एवं वे सौम्य एवं शांत हैं । वे शांति एवं भक्ति के उच्चतम आश्रय हैं क्योंकि वे मायावादी अभक्तों को भी शांत कर देते हैं ।
*– महाभारत (दान-धर्म पर्व, अध्याय १८९)*
मैं नवद्वीप की पावन भूमि पर माता शचिदेवी के पुत्र के रूप में प्रकट होऊंगा ।
*– कृष्ण यमल तंत्र*
कलियुग में जब संकीर्तन आंदोलन का उदघाटन होगा तब मैं सचिदेवी के पुत्र के रूप में अवतरित होऊंगा ।
*– वायु पुराण*
कभी कभी मैं स्वयं एक भक्त के वेश में उस धरातल पर प्रकट होता हूँ । विशेष रूप से कलियुग में मैं सची देवी के पुत्र के रूप में संकीर्तन आंदोलन आरम्भ करने के लिए प्रकट होता हूँ ।
*– ब्रह्म यमल तंत्र*
हे महेश्वरी ! स्वयं परम पुरुष श्री कृष्ण, जो राधारानी के प्राण एवं जगत के सृष्टिकर्ता, पालक एवं विध्वंसक हैं, गौर के रूप में प्रकट होते हैं ।
*– अनंत संहिता*
परम पुरुषोत्तम भगवान, परम भोक्ता, गोविन्द जिनका रूप दिव्य है, जो त्रिगुणातीत हैं, जो सभी जीवों के हृदय में विद्यमान सर्व्यापक परमात्मा हैं, वे कलियुग में दोबारा प्रकट होंगे । परम-भक्त के रूप में, परम पुरुषोत्तम भगवान गोलोक वृन्दावन के समान, गंगा के तट पर नवद्वीप में द्विभुज सुवर्णमय रूप ग्रहण करेंगे । वे विश्वभर में शुद्ध-भक्ति का प्रचार करेंगे।
*– चैतन्य उपनिषद ५*
कलियुग की प्रथम संध्या में परम पुरुषोत्तम भगवान सुवर्णमय रूप ग्रहण करेंगे । सर्प्रथम वे लक्ष्मी के पति होंगे तत्पश्चात वे संन्यासी होंगे जो जगन्नाथ पुरी में निवास करेंगे ।
*– गरुड़ पुराण*
कमल रूपी नगर के मध्य में स्थित मायापुर नामक एक स्थान है और मायापुर के मध्य में एक स्थान है, अंतर्द्विप। यह परम पुरुषोत्तम भगवान, श्री चैतन्य का निवास स्थान है।
*– छान्दोग्य उपनिषद*
YouTube
गौर पूर्णिमा व्रत कथा | Gaur Purnima Vrat Katha 2025
गौर पूर्णिमा व्रत कथा | Gaur Purnima Vrat Katha 2025
💰Support Us For Next Ekadashi:
PayTM/GPay: 9429001358/8574646460
Follow us on
WhatsApp https://bit.ly/UpdeshastakamCommunity
Telegram https://www.tg-me.com/updeshastakam
Instagram https://bit.ly/UpdeshaInsta
Join…
💰Support Us For Next Ekadashi:
PayTM/GPay: 9429001358/8574646460
Follow us on
WhatsApp https://bit.ly/UpdeshastakamCommunity
Telegram https://www.tg-me.com/updeshastakam
Instagram https://bit.ly/UpdeshaInsta
Join…
कलियुग के प्रारम्भ में, मैं अपने सम्पूर्ण एवं वास्तविक आध्यात्मिक स्वरूप में, नवद्वीप-मायापुर में सचिदेवी का पुत्र बनूँगा ।
*– गरुड़ पुराण*
परम पुरुषोत्तम भगवान इस संसार में दोबारा प्रकट होंगे । उनका नाम श्री कृष्ण चैतन्य होगा और वे भगवान के पवित्र नामों के कीर्तन का प्रचार करेंगे ।
*– देवी पुराण*
परम पुरुषोत्तम भगवान कलियुग में दोबारा प्रकट होंगे । उनका रूप स्वर्णिम होगा, वे भगवान के पवित्र नाम कीर्तन में आनंद लेंगे और उनका नाम चैतन्य होगा।
*– नृसिंह पुराण*
कलियुग के प्रथम संध्या में मैं गंगा के एक मनोरम तट पर प्रकट होऊंगा । मैं सचिदेवी का पुत्र कहलाऊंगा और मेरा वर्ण सुनहरा होगा ।
*–पद्म पुराण*
कलियुग में मैं भगवान् के भक्त के वेश में प्रकट होऊंगा और सभी जीवों का उद्धार करूँगा ।
*– नारद पुराण*
पृथ्वी पर कलियुग की प्रथम संध्या में, गंगा के तट पर मैं अपना नित्य सुवर्णमय रूप प्रकाशित करूँगा ।
*– ब्रम्हा पुराण*
इस समय मेरा नाम कृष्ण चैतन्य, गौरांग, गौरचंद्र, सचिसुत, महाप्रभु, गौर एवं गौरहरि होगा । इन नामों का कीर्तन करके मेरे प्रति भक्ति विकसित करेंगे ।
*– अनन्त संहिता*
🌺🌼🌸🌻🌺🌼🌸🌻🌺
@ancientindia1
*– गरुड़ पुराण*
परम पुरुषोत्तम भगवान इस संसार में दोबारा प्रकट होंगे । उनका नाम श्री कृष्ण चैतन्य होगा और वे भगवान के पवित्र नामों के कीर्तन का प्रचार करेंगे ।
*– देवी पुराण*
परम पुरुषोत्तम भगवान कलियुग में दोबारा प्रकट होंगे । उनका रूप स्वर्णिम होगा, वे भगवान के पवित्र नाम कीर्तन में आनंद लेंगे और उनका नाम चैतन्य होगा।
*– नृसिंह पुराण*
कलियुग के प्रथम संध्या में मैं गंगा के एक मनोरम तट पर प्रकट होऊंगा । मैं सचिदेवी का पुत्र कहलाऊंगा और मेरा वर्ण सुनहरा होगा ।
*–पद्म पुराण*
कलियुग में मैं भगवान् के भक्त के वेश में प्रकट होऊंगा और सभी जीवों का उद्धार करूँगा ।
*– नारद पुराण*
पृथ्वी पर कलियुग की प्रथम संध्या में, गंगा के तट पर मैं अपना नित्य सुवर्णमय रूप प्रकाशित करूँगा ।
*– ब्रम्हा पुराण*
इस समय मेरा नाम कृष्ण चैतन्य, गौरांग, गौरचंद्र, सचिसुत, महाप्रभु, गौर एवं गौरहरि होगा । इन नामों का कीर्तन करके मेरे प्रति भक्ति विकसित करेंगे ।
*– अनन्त संहिता*
🌺🌼🌸🌻🌺🌼🌸🌻🌺
@ancientindia1
This media is not supported in your browser
VIEW IN TELEGRAM
*🚩🚩रंगोत्सव🚩🚩*
*🌹आध्यात्मिक ज्ञान के रंग से आत्मा की चोली को रंगना ही वास्तविक होली मनाना है।माया का रंग तो प्रत्येक मनुष्य पर चढा़ हुआ है।अब ईश्वरीय संग के रंग में आत्मा को रंगना ही आध्यात्मिक होली है।होली का उत्सव हमें आपसी मतभेद, मन मुटाव, अहंकार एवम् सारी समाजिक बंधनों को तोड़कर अपनी अन्दर की भावना, उम़ंग, उल्लास को प्रकट करने तथा सभी जीवों से प्रेम करने का अवसर देता है। 🌹*
*यह होली का उत्सव आपके लिए एवम् आपके परिजनो के लिए मंगलमय हो, तथा यह रंगोत्सव आपके लिए सुख, समृद्धि का वाहक बने।*
*👏👏🌹👏👏*
होली के त्यौहार पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं, महादेव की कृपा सभी पर बनी रहे!
*जय महादेव* 🙏🙏
@ancientindia1
*🌹आध्यात्मिक ज्ञान के रंग से आत्मा की चोली को रंगना ही वास्तविक होली मनाना है।माया का रंग तो प्रत्येक मनुष्य पर चढा़ हुआ है।अब ईश्वरीय संग के रंग में आत्मा को रंगना ही आध्यात्मिक होली है।होली का उत्सव हमें आपसी मतभेद, मन मुटाव, अहंकार एवम् सारी समाजिक बंधनों को तोड़कर अपनी अन्दर की भावना, उम़ंग, उल्लास को प्रकट करने तथा सभी जीवों से प्रेम करने का अवसर देता है। 🌹*
*यह होली का उत्सव आपके लिए एवम् आपके परिजनो के लिए मंगलमय हो, तथा यह रंगोत्सव आपके लिए सुख, समृद्धि का वाहक बने।*
*👏👏🌹👏👏*
होली के त्यौहार पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं, महादेव की कृपा सभी पर बनी रहे!
*जय महादेव* 🙏🙏
@ancientindia1